ये दिल्ली ही हिंदुस्तान नहीं है, ताजमहल से भारत का टूरिज्म पूरा नहीं होता : पीएम मोदी (आईएएनएस साक्षात्कार)

नई दिल्ली, 27 मई . लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण का मतदान 1 जून को होना है. ऐसे में लोकसभा चुनाव की व्यस्तता के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की टीम के साथ समय निकालकर बातचीत की. उन्होंने राजनीति, भ्रष्टाचार, डिजिटल इंडिया सहित देश के तमाम मुद्दों पर अपनी बात रखी.

उन्होंने के साक्षात्कार में बताया कि उनकी सरकार कैसे ग्रासरूट लेवल से लेकर अपर लेवल तक और कैसे ‘वोकल फॉर लोकल’ से लेकर तकनीक के समुचित उपयोग तक पर ध्यान केंद्रित करती है.

पीएम मोदी ने अपने साक्षात्कार में कहा, ”भारत विविधताओं से भरा हुआ है और कोई देश एक पिलर पर बड़ा नहीं हो सकता है. ऐसे में मैंने एक मिशन लिया देश के हर जिले को आगे बढ़ाने का, ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट’ पर बल दिया क्योंकि भारत इतना विविधता भरा देश है, हर डिस्ट्रिक्ट के पास अपनी अलग ताकत है.”

उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि इसको हम, लोगों के सामने लाएं और आज मैं कभी विदेश जाता हूं तो मैं वहां कौन सी चीजें ले जाऊंगा, वो उलझन नहीं होती है. मैं सिर्फ ‘वन डिस्ट्रिक, वन प्रोडक्ट’ का कैटलॉग देखता हूं. तो, पता लग जाता है कि यूरोप जाऊंगा तो यह लेकर जाऊंगा. अफ्रीका जाऊंगा तो यह लेकर जाऊंगा और, यह हर एक को लगता है देश में. यह एक पहलू है. दूसरा हमने जी-20 समिट हिंदुस्तान के अलग-अलग हिस्से में की है. क्यों? दुनिया को पता चले कि दिल्ली, यही हिंदुस्तान नहीं है. अब आप ताजमहल देखें तो टूरिज्म पूरा नहीं होता मेरे देश का. मेरे देश में इतना पोटेंशियल है, मेरे देश को जानिए और समझिए और इस बार हमने जी-20 का उपयोग विश्व के अंदर भारत की पहचान बनाने के लिए किया. दुनिया की भारत के प्रति जानने की इच्छा बढ़े, इसमें हमने बड़ी सफलता पाई है, क्योंकि दुनिया के करीब एक लाख नीति निर्धारक ऐसे लोग जी-20 समूह की 200 से ज्यादा बैठकों में आए. वह अलग-अलग जगह पर गए. उन्होंने इन जगहों को देखा, सुना भी नहीं था. इसे उन्होंने यहां देखा और वो अपने देश के साथ इसको कोरिलेट करने लगे. वो वहां जाकर इसके बारे में बातें करने लगे. मैं देख रहा हूं जी-20 के कारण लोग आजकल काफी टूरिस्टों को यहां भेज रहे हैं. जिसके कारण हमारे देश के टूरिज्म को बढ़ावा मिला.

उन्होंने कहा कि इसी तरह आपने देखा होगा कि मैंने स्टार्टअप वालों के साथ मीटिंग की थी, मैं वर्कशॉप करता था. आज से मैं 7-8 साल पहले या 10 साल पहले, शुरू-शुरू में यानी मैं 14 में आया. उसके बाद 2015-16 के भीतर-भीतर मैंने जो नए स्टार्टअप की दुनिया शुरू हुई, उनकी मैंने ऐसे वर्कशॉप की. इतना ही नहीं मैंने फिल्म दुनिया वालों के साथ भी ऐसी मीटिंग की. मैं जानता हूं कि वह बिरादरी हमारे विचारों से काफी दूर है. मेरी सरकार से भी दूर है, लेकिन मेरा काम था, उनकी समस्याओं को समझें क्योंकि बॉलीवुड अगर ग्लोबल मार्केट में मुझे उपयोगी होता है, अगर मेरी तेलुगू फिल्में दुनिया में पॉपुलर हो सकती है, मेरी तमिल फिल्म दुनिया में पॉपुलर हो सकती है. मुझे तो ग्लोबल मार्केट लेना था मेरे देश की हर चीज का.

उन्होंने आगे कहा कि आज यूट्यूब की दुनिया पैदा हुई तो मैंने उनसे जुड़े लोगों को बुलाया. उनसे पूछा कि आप देश की क्या मदद कर सकते हैं. इंफ्लुएंसर को बुलाया, क्रिएटिव वर्ल्ड, गेमिंग, अब देखिए दुनिया का इतना बड़ा गेमिंग मार्केट है. भारत के लोग इन्वेस्ट कर रहे हैं, पैसा लगा रहे हैं और गेमिंग की दुनिया में कमाई कोई और करता है तो मैंने सारे गेमिंग के एक्सपर्ट को बुलाया. पहले उनकी समस्याएं समझी. मैंने देश को कहा, मेरी सरकार को मुझे गेमिंग में भारतीय लीडरशिप पक्की करनी है. यह इतना बड़ा भविष्य का बाजार है, अब तो ओलंपिक में गेमिंग आया है तो मैं उसमें इसे जोड़ना चाहता हूं. ऐसे सभी विषयों में मैं एक साथ काम करने के पक्ष में हूं. उसी प्रकार से देश की जो मूलभूत व्यवस्थाएं हैं, आप उसको नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं. गांव का एक मोची होगा, सुनार होगा, कपड़े सिलने वाला होगा. वो भी मेरे देश की बहुत बड़ी शक्ति है. मुझे उसको भी उतना ही तवज्जो देना होगा. और, इसलिए मेरी सरकार का इंटीग्रेटेड अप्रोच होता है. कॉम्प्रिहेंसिव अप्रोच होता है, होलिस्टिक अप्रोच होता है.

जीकेटी/