सोशल मीडिया पर चीजों को गलत संदर्भ में पेश किया जाता है: पूर्व सीजेआई गवई

New Delhi, 27 नवंबर . Supreme court के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने social media और न्यायपालिका से जुड़े विवादों पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि social media का गलत उपयोग देश की तीनों संस्थाओं (विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका) के लिए चुनौती बन गया है.

पूर्व सीजेआई गवई ने कहा, “social media के दुरुपयोग से होने वाला नुकसान सभी को झेलना पड़ रहा है. चाहे वह कार्यपालिका हो, विधायिका हो या न्यायपालिका, सभी ट्रोल किए जा रहे हैं. यह तकनीक वरदान है, लेकिन इसका गलत इस्तेमाल भी हो रहा है. इसे रोकने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा.”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि social media पर आलोचना या ट्रोलिंग के आधार पर जज का फैसला नहीं होना चाहिए. जज को केवल तथ्यों, दस्तावेजों और सबूतों के आधार पर निर्णय लेना चाहिए.

पूर्व सीजेआई ने भगवान विष्णु के संबंध में उनके बयान को लेकर social media पर हुई आलोचना पर भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, “मैं social media नहीं देखता. मुझे यह दृढ़ विश्वास है कि एक जज को यह नहीं देखना चाहिए कि लोग फैसला पसंद करेंगे या नहीं. जब सामने तथ्यों और सबूतों का सेट होता है तो निर्णय कानून के अनुसार होना चाहिए.”

उन्होंने यह भी कहा कि जज को व्यक्तिगत रूप से टारगेट करके ट्रोल करना बिल्कुल गलत है.

पूर्व सीजेआई ने न्यायपालिका से जुड़े अन्य मामलों पर भी अपनी राय दी. जब उनसे जस्टिस यशवंत वर्मा मामले पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, “चीफ जस्टिस के फैसले के बाद, संसद के स्पीकर ने Supreme court के एक जज की अध्यक्षता में जांच समिति बनाई है. उनका कार्य अभी जारी है, इसलिए इस समय इस मामले पर मेरी टिप्पणी करना सही नहीं होगा.”

India के 52वें चीफ जस्टिस बीआर गवई का कानूनी सफर लंबा रहा है. उन्होंने 1985 में अपनी वकालत शुरू की थी, लेकिन वे शुरू से ही कानून के राज से वाकिफ थे, क्योंकि उनका परिवार सोशल एक्टिविज्म में लगा हुआ था. अपने पूरे करियर में एक वकील, बॉम्बे हाई कोर्ट के जज, Supreme court के जज और आखिर में सीजेआई के तौर पर जस्टिस गवई ने न्यायिक कुशलता और कानून के राज के प्रति गहरा कमिटमेंट दिखाया.

जस्टिस गवई ने इस साल 14 मई को 52वें सीजेआई के तौर पर शपथ ली. उनकी नियुक्ति एक ऐतिहासिक मील का पत्थर थी, क्योंकि वे इस पद पर पहुंचने वाले पहले बौद्ध और जस्टिस केजी बालकृष्णन के बाद अनुसूचित जाति समुदाय से दूसरे चीफ जस्टिस थे.

वीकेयू/डीकेपी