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New Delhi, 20 नवंबर . पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) एक ऐसा हार्मोनल डिसऑर्डर है, जिसकी वजह से महिलाओं को पीरियड्स संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ऐसे में आयुर्वेद हार्मोन बैलेंस करने के सिंपल टिप्स को अपनी रूटीन में शामिल करने की सलाह देता है.
महिलाओं में बढ़ते हार्मोनल असंतुलन की वजह से अनियमित पीरियड्स, तेज दर्द, बार-बार थकान और मूड स्विंग्स जैसी समस्याएं जन्म लेती हैं, जो आज के समय में और भी आम बात हो गई है. हालांकि, आयुर्वेद इन समस्याओं से राहत पाने के सिंपल टिप्स साझा करता है.
India Government के आयुष मंत्रालय ने महिलाओं की हार्मोनल हेल्थ को संतुलित रखने के लिए कुछ सरल एवं प्रभावी आयुर्वेदिक उपाय सुझाए हैं. मंत्रालय का कहना है कि अपना ख्याल रखना कोई लग्जरी नहीं, बल्कि एक जरूरत है. रोजमर्रा की दिनचर्या में छोटे-छोटे बदलाव लाकर हार्मोन को प्राकृतिक रूप से संतुलित किया जा सकता है. इसके लिए चार आसान टिप्स दिए गए हैं.
सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी में आधा चम्मच त्रिफला चूर्ण मिलाकर पीने से शरीर का डिटॉक्सीफिकेशन होता है. यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है, कब्ज, गैस, एसिडिटी दूर करता है और हार्मोनल असंतुलन की जड़ तक पहुंचकर उसे ठीक करने में मदद करता है.
हल्दी और शतावरी का सेवन भी महिलाओं के लिए वरदान से कम नहीं. हल्दी में मौजूद करक्यूमिन सूजन को कम करता है और एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है, जबकि शतावरी को आयुर्वेद में महिलाओं का सबसे बड़ा टॉनिक माना जाता है. यह एस्ट्रोजन लेवल को नियंत्रित करता है और पीरियड्स के दर्द व अनियमितता में राहत देता है. आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के साथ इसका सेवन किया जा सकता है.
सूर्य नमस्कार और प्राणायाम को दिनचर्या में शामिल करने से कई फायदे मिलते हैं. रोजाना 10-12 चक्र सूर्य नमस्कार और 10-15 मिनट अनुलोम-विलोम, भ्रामरी और कपालभाति जैसे प्राणायाम करने से तनाव का स्तर कम होता है. स्ट्रेस हार्मोन (कोर्टिसोल) महिलाओं के प्रजनन हार्मोन को सीधे प्रभावित करता है, इसलिए योग से हार्मोनल हेल्थ में बड़ा सुधार देखा जाता है.
चौथा टिप्स सबसे आसान है और वह है पर्याप्त नींद और पानी. रात में कम से कम 7-8 घंटे की गहरी नींद और दिन में 3-4 लीटर पानी पीना शरीर की प्राकृतिक हीलिंग प्रक्रिया को सक्रिय करता है. नींद के दौरान ही शरीर हार्मोन को फिर से सेट करता है.
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एमटी/एबीएम