नई दिल्ली, 29 सितंबर . भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की प्रमुख पीटी उषा ने अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के अंतरराष्ट्रीय संबंध निदेशक जेरोम पोइवे को संबोधित एक पत्र में आईओए कार्यकारी परिषद (ईसी) के 12 सदस्यों द्वारा लगाए गए झूठे और निराधार आरोपों पर पलटवार किया है.
12 ईसी सदस्यों, जिनमें गगन नारंग और योगेश्वर दत्त, जैसे ओलंपिक पदक विजेता शामिल हैं, ने वरिष्ठ आईओसी अधिकारी जेरोम पोइवे को एक पत्र लिखा है, जिसमें दिग्गज एथलीट पर संगठन को “निरंकुश” तरीके से चलाने का आरोप लगाया गया है.
पीटी उषा ने एक पत्र में लिखा, “ये आरोप केवल मेरे नेतृत्व और भारतीय खेलों की बेहतरी के लिए लगन से काम करने वालों के प्रयासों को बदनाम करने के लिए लगाए गए हैं.” पत्र में आगे लिखा गया है, “प्रतियोगिता के उच्चतम स्तरों पर भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ी के रूप में मेरे 45 साल के लंबे करियर में, मैंने कभी ऐसे लोगों को नहीं देखा जो हमारे एथलीटों की आकांक्षाओं और हमारे देश के खेल भविष्य के प्रति इतने उदासीन हों. भारत में 2036 ओलंपिक खेलों की मेजबानी करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी लक्ष्य का समर्थन करने के बजाय, ये लोग खेल प्रशासन में अपनी लंबी उपस्थिति और नियंत्रण के माध्यम से स्वार्थी सत्ता के खेल और मौद्रिक लाभ पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं.”
गुरुवार की आपातकालीन कार्यकारी समिति की बैठक के दौरान, आईओए की बैठक के दौरान तीखी नोकझोंक हुई, जहां उषा ने रघुराम अय्यर को सीईओ के पद से हटाने की उनकी अपील को सिरे से खारिज कर दिया. इन कार्यकारी समिति सदस्यों द्वारा किए गए दावों को संबोधित करते हुए रघुराम अय्यर की आईओए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में नियुक्ति पर सवाल उठाया गया है.
पीटी उषा ने स्पष्ट किया कि जनवरी 2024 में की गई उनकी नियुक्ति,आईओए संविधान के सख्त अनुपालन में की गई थी.आईओए संविधान के प्रावधानों को बनाए रखने के लिए, कार्यकारी समिति के बहुमत के अनुचित प्रतिरोध के बावजूद, नामांकन समिति ने अनुच्छेद 15.3.1 में परिकल्पित चयन की प्रक्रिया अपनाई. जवाबदेही और पारदर्शिता के उद्देश्य से, नामांकन समिति द्वारा की गई पूरी प्रक्रिया का विवरण तैयार किया गया और जनवरी 2024 की बैठक के दौरान पूरी कार्यकारी समिति के साथ विधिवत साझा किया गया.”
उन्होंने पत्र में लिखा, “अब प्रक्रिया या उन्हें किए गए कथित ‘अत्यधिक’ वेतन भुगतान पर सवाल उठाना पूरी तरह से गलत है.”
इसमें कहा गया है, “जनवरी 2024 की बैठक में उनकी नियुक्ति की आधिकारिक पुष्टि की गई थी. उक्त बैठक की न केवल वीडियोग्राफी की गई है, बल्कि उसका प्रतिलेखन और विवरण भी किया गया है, जो इस तथ्य का प्रमाण है कि कार्यकारी समिति के अधिकांश सदस्यों ने अय्यर की नियुक्ति को स्वीकार कर लिया और कार्यकारी समिति के हिस्से के रूप में मुझसे अनुरोध किया और मुझे नामित किया, ताकि मैं केवल वेतन घटक पर फिर से बातचीत करूं .”
पीटी उषा ने यह भी दावा किया कि आईओए द्वारा नियुक्त सीईओ को बिल्कुल भी भुगतान नहीं किया गया है. इसमें लिखा है, “अपनी आधिकारिक नियुक्ति के बावजूद, अय्यर को आज तक एक भी रुपया नहीं दिया गया है. उनके वेतन का भुगतान करने में देरी केवल इसलिए हुई है क्योंकि कार्यकारी समिति के कुछ सदस्य आईओए संविधान के प्रावधानों की अवहेलना कर रहे हैं, जिससे आवश्यक प्रगति और निर्णय लेने में बाधा उत्पन्न हो रही है.”
उन्होंने पत्र में दावा किया, “यह प्रकाश में लाना आवश्यक है कि इनमें से कार्यकारी समिति के कुछ सदस्यों का रिकॉर्ड बहुत ही संदिग्ध है, जिसमें लैंगिक पक्षपात के आरोप और यहां तक कि उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले भी दर्ज हैं. हाल ही में, सीएजी ऑडिट के दौरान, यह मेरे ध्यान में आया है कि आईओए कोषाध्यक्ष सहदेव यादव ने अजय पटेल की अध्यक्षता वाली आईओए वित्त समिति के सदस्यों और राजलक्ष्मी सिंह देव, बीएस बाजवा, अमिताभ शर्मा, रोहित राजपाल, लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह और मोनल चोकसी के साथ मिलीभगत करके आईओए को देय बड़ी रकम को गुप्त रूप से माफ कर दिया है.”
ईसी सदस्यों के खिलाफ आगे दावा करते हुए उन्होंने लिखा, “वॉलीबॉल के प्रभारी तदर्थ समिति, जिसके अध्यक्ष रोहित राजपाल और सदस्य अलकनंदा अशोक हैं, द्वारा आईओए के पैन कार्ड का उपयोग करने के मामले की भी जांच की जा रही है, क्योंकि यह आवश्यक मंजूरी के बिना किया गया था.
“पूर्व कार्यवाहक सीईओ कल्याण चौबे ने आईओए महासभा को दरकिनार कर भारतीय ताइक्वांडो महासंघ को संबद्धता प्रदान की, जिसे न तो विश्व और न ही एशियाई महासंघ द्वारा मान्यता प्राप्त है, जिससे हमारे मेहनती ताइक्वांडो एथलीटों को आसन्न नुकसान हुआ है. इन गंभीर आरोपों के बावजूद, वे आईओए और अन्य राष्ट्रीय खेल महासंघों में पदों पर बने हुए हैं.”
“अंत में, मैं दोहराती हूं कि आईओए ईसी के 12 सदस्यों का यह दुर्भावनापूर्ण पत्र भारतीय खेलों की प्रगति में बाधा डालने और उन सकारात्मक विकासों को कमजोर करने के एक व्यापक प्रयास का हिस्सा है, जिन्हें हासिल करने के लिए हमने सामूहिक रूप से कड़ी मेहनत की है. ये कार्रवाइयां न केवल भारतीय खेलों की छवि को धूमिल करती हैं, बल्कि हमारे एथलीटों की आकांक्षाओं और देश के वैश्विक खेल महाशक्ति बनने के लक्ष्य को भी नुकसान पहुंचाती हैं.
“मैं ईमानदारी, पारदर्शिता और भारतीय खेलों के उत्थान के मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग हूं. हम ऐसे निराधार आरोपों को अपने एथलीटों को सशक्त बनाने और उन्हें आगे लाने के अपने मिशन को पटरी से नहीं उतरने देंगे.”
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आरआर/