इंडो-पैसिफिक क्षेत्रीय संवाद, अंतरराष्ट्रीय साझेदारी की होगी बात

नई दिल्ली, 30 सितंबर . भारतीय नौसेना का वार्षिक शीर्ष स्तरीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘इंडो-पैसिफिक क्षेत्रीय संवाद’ (आईपीआरडी) 3 , 4 और 5 अक्टूबर को नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा. आईपीआरडी का उद्देश्य भारतीय नौसेना की अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को प्रदर्शित करना है. रणनीतिक स्तर पर यह भारत-प्रशांत क्षेत्र में ‘समग्र’ समुद्री सुरक्षा मुद्दों की अभिव्यक्ति और समाधान देता है.

इसमें 20 से अधिक देशों के प्रतिनिधि होंगे. यह संवाद दो महत्वपूर्ण स्तंभों अर्थात ‘समुद्री संसाधन’ और ‘संसाधन साझाकरण’ के कई आयामों का पता लगाएगा. उन पर विस्तारपूर्वक चर्चा करेगा.

कोबाल्ट, लिथियम, निकल और अन्य मुश्किल से मिलने वाले खनिजों के लिए भू-राजनीतिक दौड़ है. साथ ही टेल्यूरियम और नियोडिमियम जैसे दुर्लभ पृथ्वी तत्व (आरईई) भी हैं, जिनकी आवश्यकता लाखों बैटरी, सौर पैनल, पवन टर्बाइन और अन्य ऐसे नवीकरणीय-ऊर्जा उपकरणों के लिए होती है. ये जीवाश्म-ईंधन से ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों में सफलतापूर्वक रूपांतरण के लिए आवश्यक हैं.

इसके अलावा, हाइड्रोकार्बन जैसे अपतटीय ऊर्जा संसाधन, अपने भू-राजनीतिक महत्व को बनाए रखने की संभावना रखते हैं. वहीं, अधिक अपरंपरागत वाले ईंधन, जैसे गैस हाइड्रेट्स और समुद्री नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन, समुद्र से प्राप्त हाइड्रोजन, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भविष्य की भू-आर्थिक रणनीतियों को संचालित करने की संभावना रखते हैं.

चर्चा के विषय में समुद्र में मछली के घटते भंडारण, साथ ही अवैध, अप्रतिबंधित और अनियमित रूप से मछली पकड़ने की गतिविधियों में वृद्धि भी शामिल है. विशेष रूप से राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे वाले समुद्री क्षेत्रों में ऐसी वृद्धि देखी गई है. आईपीआरडी के पहले दो संस्करण क्रमश: 2018 और 2019 में नई दिल्ली में आयोजित किए गए थे. आईपीआरडी 2020 को कोविड-19 के कारण आयोजित नहीं किया गया था. इसका तीसरा संस्करण 2021 में वर्चुअल मोड में आयोजित किया गया था.

आईपीआरडी-2024 में यह भी पता लगाया जाएगा कि किस तरह से सहयोग, सहभागिता और सौहार्द, संसाधन-भू-राजनीति के भीतर वैकल्पिक मार्ग प्रदान कर सकते हैं. इस बड़े सम्मेलन का एक विशेष आकर्षण भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का संबोधन होगा. आईपीआरडी-2024 में 20 से अधिक देशों से आए दिग्गजों के एक समूह के अलावा, प्रतिष्ठित वक्ताओं द्वारा संबोधनों की एक श्रृंखला भी शामिल होगी.

जीसीबी/एबीएम