नई दिल्ली, 7 मार्च ओलंपिक कांस्य पदक विजेता महिला पहलवान साक्षी मलिक ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष संजय सिंह को आदेश दिया है कि वह कोई राष्ट्रीय ट्रायल आयोजित नहीं करेंगे.
यह फैसला पिछले साल के पूरे कुश्ती विवाद के बाद आया है, जिसके परिणामस्वरूप पहलवान बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट, साक्षी और अन्य प्रदर्शनकारी पहलवान एशियाई ओलंपिक खेल क्वालीफायर कुश्ती टूर्नामेंट सीनियर एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप 2024 के लिए चयन ट्रायल आयोजित करने के डब्ल्यूएफआई के एक परिपत्र के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में चले गए.
साक्षी ने ‘ ’ से विशेष बातचीत में कहा कि अदालत ने विरोध करने वाले पहलवानों के लिए कुछ अच्छी खबर दी है.
साक्षी ने कहा, “हमने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक शिकायत दर्ज की है और अदालत ने आदेश दिया है कि संजय सिंह के तहत कोई ट्रायल नहीं होगा और केवल तदर्थ समिति ट्रायल करेगी. हमारा मानना है कि न्याय के लिए हमारी लड़ाई जीतेगी और बृजभूषण शरण सिंह और उनके समर्थकों को महासंघ से पूरी तरह हटा दिया जाना चाहिए. एक स्वच्छ महासंघ को आगे आना चाहिए और पहलवानों की मदद करनी चाहिए.”
यह पूछे जाने पर कि क्या हालिया घटनाक्रम के मद्देनजर वह सक्रिय कुश्ती में लौटने की योजना बना रही हैं, साक्षी ने स्पष्ट किया, “मुझे कई मानसिक और शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ा. मुझे नहीं लगता कि जब आपका दिमाग समस्याओं से घिरा हो तो खेलना अच्छा होगा. मैं चाहती हूं कि कुछ अच्छे युवा पहलवान भारत को गौरवान्वित करें जैसे मैंने ओलंपिक (2016 में) में प्रतिष्ठित पदक जीता था, तथा कुछ और नाम देश को गौरवान्वित करेंगे.”
आगे उनकी भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछा गया कि क्या वह राजनीति में शामिल होने के बारे में सोच रही हैं, तो हरियाणा की पहलवान ने कहा, “राजनीति मेरे दिमाग में नहीं है. लोगों और मेरे साथी पहलवानों की मदद करने के और भी तरीके हैं. मैं उसके अनुसार योजना बनाउंगी.”
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