जीएसटी रेट कट से सरकार पर कोई बड़ा राजकोषीय बोझ नहीं आएगा : रिपोर्ट

New Delhi, 19 सितंबर . क्रिसिल की एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, GST रेट्स को रेशनलाइज करने से Government पर किसी तरह का कोई बड़ा राजकोषीय बोझ नहीं आएगा.

Government ने GST सुधारों के कारण अल्पावधि में राजस्व में 48,000 करोड़ रुपए का वार्षिक शुद्ध घाटा होने का अनुमान लगाया है.

क्रिसिल रेटिंग्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में कुल GST संग्रह 10.6 लाख करोड़ रुपए था; इसलिए, यह घाटा ज्यादा नहीं लगता.

रिपोर्ट में इस बात पर खास जोर दिया गया है कि टैक्स रेट में कमी के कदम से Governmentी राजस्व पर कोई बड़ा दबाव पड़ने की संभावना नहीं है.

रिपोर्ट में कहा गया है, “वित्त वर्ष 2024 तक, GST राजस्व का 70 से 75 प्रतिशत अधिकांश हिस्सा 18 प्रतिशत स्लैब से आया. केवल 5-6 प्रतिशत 12 प्रतिशत स्लैब से और 13-15 प्रतिशत 28 प्रतिशत स्लैब से आया.”

वस्तुओं के टैक्स रेट को 12 प्रतिशत से कम करने से राजस्व में कोई बड़ा नुकसान नहीं होगा.

इस बीच, मोबाइल टैरिफ शुल्क जैसी कई तेजी से बढ़ती सेवाओं पर कर की दरें अपरिवर्तित हैं.

ई-कॉमर्स डिलीवरी जैसी नई सेवाओं को भी GST के दायरे में लाया गया है और उन पर 18 प्रतिशत कर लगाया गया है और अन्य जन उपभोग की वस्तुओं पर लाभ के कारण प्रयोज्य आय में कुछ वृद्धि से उनकी मांग और कर संग्रह में वृद्धि हो सकती है.

रिपोर्ट में कहा गया है, “उच्च आय वर्ग से प्रीमियम मांग बरकरार रह सकती है, जिससे राजस्व को बढ़ावा मिल सकता है.”

इसके अलावा, GST सुधार से अधिक वस्तु और सेवाएं औपचारिक दायरे में आ सकती हैं, जिससे मध्यम अवधि में कर वृद्धि को बढ़ावा मिल सकता है.

हालांकि उपभोग पर इसका प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि GST में कटौती का असर उपभोक्ता कीमतों पर कितनी तेजी और किस हद तक पड़ता है, लेकिन आवश्यक वस्तुओं पर कर कटौती से क्रय शक्ति बढ़ सकती है, जिससे उपभोग को धीरे-धीरे व्यापक बढ़ावा मिल सकता है.

इसके अलावा, इस वित्त वर्ष में उपभोग के लिए अन्य वृहद सकारात्मक पहलू भी हैं, जैसे कम मुद्रास्फीति, उधार लेने की लागत में कमी, इस साल की शुरुआत में Government द्वारा घोषित आयकर राहत और बेहतर कृषि.

एसकेटी/