
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन का पर्व मनाया जाता है. होलिका दहन के अगले दिन रंगों वाली होली होती है. इस साल होलिका दहन का काफी कम समय तक ही शुभ मुहूर्त रहेगा. हिंदू शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन प्रदोष काल (सूर्यास्त के ठीक बाद की अवधि) के दौरान किया जाना सबसे अच्छा माना जाता है.
इस तिथि के पूर्वार्द्ध में भद्रा (अशुभ समय) प्रबल रहता है. इसलिए भद्रा के दौरान किसी भी शुभ कार्य से बचना चाहिए. इस बार 6 मार्च काे भद्रा में हाेलिका दहन नहीं हाेगा. इस कारण इसी दिन प्रदाेष काल में शाम 7 से रात 8 बजे तक या फिर भद्रा पुच्छ में रात 1:15 बजे से रात 2 बजे तक हाेलिका दहन किया जा सकता है.
भद्रा 7 मार्च काे सुबह 5 बजे तक रहेगी. शास्त्र सम्मत विधिवत 6 मार्च की रात और 7 मार्च काे सुबह 5.15 बजे हाेलिका हदन का अति उत्तम समय रहेगा. कुछ पंचागाें व विद्वानाें के मत से प्रदाेषकाल में और भद्रा मुख काे छाेड़कर भद्रा पुच्छ में हाेलिका दहन करेंगे. पंचांग में 6 काे हाेलिका दहन और 7 मार्च काे रंगाेत्सव का पर्व मनाया जाएगा.
इस दिन को बुराई पर अच्छाई के जीत के रूप में मनाया जाता है. होली उन त्योहारों में से एक है जो सभी धार्मिक भेदभावों को भूलकर खेला जाता है. यह त्योहार भाईचारे और समानता के संदेश को बढ़ावा देता है. होलिका दहन का बहुत ही विशेष महत्व है. होलिका दहन के दिन लोग विधि-विधान से पूजा करते हैं. मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा-पाठ करने से भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं.
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन का पर्व मनाया जाता है. होलिका दहन के अगले दिन रंगों वाली होली होती है. इस साल होलिका दहन का काफी कम समय तक ही शुभ मुहूर्त रहेगा. हिंदू शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन प्रदोष काल (सूर्यास्त के ठीक बाद की अवधि) के दौरान किया जाना सबसे अच्छा माना जाता है.
इस तिथि के पूर्वार्द्ध में भद्रा (अशुभ समय) प्रबल रहता है. इसलिए भद्रा के दौरान किसी भी शुभ कार्य से बचना चाहिए. इस बार 6 मार्च काे भद्रा में हाेलिका दहन नहीं हाेगा. इस कारण इसी दिन प्रदाेष काल में शाम 7 से रात 8 बजे तक या फिर भद्रा पुच्छ में रात 1:15 बजे से रात 2 बजे तक हाेलिका दहन किया जा सकता है. भद्रा 7 मार्च काे सुबह 5 बजे तक रहेगी. शास्त्र सम्मत विधिवत 6 मार्च की रात और 7 मार्च काे सुबह 5.15 बजे हाेलिका हदन का अति उत्तम समय रहेगा.
कुछ पंचागाें व विद्वानाें के मत से प्रदाेषकाल में और भद्रा मुख काे छाेड़कर भद्रा पुच्छ में हाेलिका दहन करेंगे. पंचांग में 6 काे हाेलिका दहन और 7 मार्च काे रंगाेत्सव का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन को बुराई पर अच्छाई के जीत के रूप में मनाया जाता है. होली उन त्योहारों में से एक है जो सभी धार्मिक भेदभावों को भूलकर खेला जाता है. यह त्योहार भाईचारे और समानता के संदेश को बढ़ावा देता है. होलिका दहन का बहुत ही विशेष महत्व है. होलिका दहन के दिन लोग विधि-विधान से पूजा करते हैं. मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा-पाठ करने से भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं.