Friday , 31 March 2023

छह मार्च काे भद्रा में नहीं हाेगा हाेलिका दहन: शास्त्र सम्मत विधिवत 6 की रात और 7 काे सुबह 5:15 बजे दहन का अति उत्तम रहेगा समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन मास‎ की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन का पर्व‎ मनाया जाता है. - Dainik Bhaskar

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन मास‎ की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन का पर्व‎ मनाया जाता है. होलिका दहन के अगले दिन‎ रंगों वाली होली होती है. इस साल होलिका दहन‎ का काफी कम समय तक ही शुभ मुहूर्त रहेगा.‎ हिंदू शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन प्रदोष‎ काल (सूर्यास्त के ठीक बाद की अवधि) के‎ दौरान किया जाना सबसे अच्छा माना जाता है.‎

इस तिथि के पूर्वार्द्ध में भद्रा (अशुभ समय)‎ प्रबल रहता है. इसलिए भद्रा के दौरान किसी भी‎ शुभ कार्य से बचना चाहिए. इस बार 6 मार्च काे ‎ भद्रा में हाेलिका दहन नहीं हाेगा.‎ इस कारण इसी दिन प्रदाेष काल में शाम 7 से‎ ‎रात 8 बजे तक या फिर भद्रा पुच्छ में रात‎ 1:15 बजे से रात 2 बजे तक हाेलिका दहन‎ किया जा सकता है.

भद्रा 7 मार्च काे सुबह 5‎ बजे तक रहेगी. शास्त्र सम्मत विधिवत 6 मार्च‎ की रात और 7 मार्च काे सुबह 5.15 बजे‎ हाेलिका हदन का अति उत्तम समय रहेगा.‎ कुछ पंचागाें व विद्वानाें के मत से प्रदाेषकाल में‎ और भद्रा मुख काे छाेड़कर भद्रा पुच्छ में‎ हाेलिका दहन करेंगे. पंचांग में 6 काे हाेलिका‎ दहन और 7 मार्च काे रंगाेत्सव का पर्व मनाया‎ जाएगा.

इस दिन को बुराई पर अच्छाई के जीत‎ के रूप में मनाया जाता है. होली उन त्योहारों में‎ से एक है जो सभी धार्मिक भेदभावों को‎ भूलकर खेला जाता है. यह त्योहार भाईचारे‎ और समानता के संदेश को बढ़ावा देता है.‎ होलिका दहन का बहुत ही विशेष महत्व है.‎ होलिका दहन के दिन लोग विधि-विधान से‎ पूजा करते हैं. मान्यता है कि इस दिन व्रत और‎ पूजा-पाठ करने से भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं.‎

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन मास‎ की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन का पर्व‎ मनाया जाता है. होलिका दहन के अगले दिन‎ रंगों वाली होली होती है. इस साल होलिका दहन‎ का काफी कम समय तक ही शुभ मुहूर्त रहेगा.‎ हिंदू शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन प्रदोष‎ काल (सूर्यास्त के ठीक बाद की अवधि) के‎ दौरान किया जाना सबसे अच्छा माना जाता है.‎

इस तिथि के पूर्वार्द्ध में भद्रा (अशुभ समय)‎ प्रबल रहता है. इसलिए भद्रा के दौरान किसी भी‎ शुभ कार्य से बचना चाहिए. इस बार 6 मार्च काे ‎ भद्रा में हाेलिका दहन नहीं हाेगा.‎ इस कारण इसी दिन प्रदाेष काल में शाम 7 से‎ ‎रात 8 बजे तक या फिर भद्रा पुच्छ में रात‎ 1:15 बजे से रात 2 बजे तक हाेलिका दहन‎ किया जा सकता है. भद्रा 7 मार्च काे सुबह 5‎ बजे तक रहेगी. शास्त्र सम्मत विधिवत 6 मार्च‎ की रात और 7 मार्च काे सुबह 5.15 बजे‎ हाेलिका हदन का अति उत्तम समय रहेगा.‎

कुछ पंचागाें व विद्वानाें के मत से प्रदाेषकाल में‎ और भद्रा मुख काे छाेड़कर भद्रा पुच्छ में‎ हाेलिका दहन करेंगे. पंचांग में 6 काे हाेलिका‎ दहन और 7 मार्च काे रंगाेत्सव का पर्व मनाया‎ जाएगा. इस दिन को बुराई पर अच्छाई के जीत‎ के रूप में मनाया जाता है. होली उन त्योहारों में‎ से एक है जो सभी धार्मिक भेदभावों को‎ भूलकर खेला जाता है. यह त्योहार भाईचारे‎ और समानता के संदेश को बढ़ावा देता है.‎ होलिका दहन का बहुत ही विशेष महत्व है.‎ होलिका दहन के दिन लोग विधि-विधान से‎ पूजा करते हैं. मान्यता है कि इस दिन व्रत और‎ पूजा-पाठ करने से भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं.‎

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