राजस्थान के अस्पतालों में नहीं रहेगा डार्क जोन, लगेंगे सीसीटीवी कैमरे

जोधपुर, 5 सितंबर . राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह ने कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की पृष्ठभूमि में गुरुवार को कहा कि राज्य के अस्पतालों में कोई डार्क जोन नहीं रहने दिया जाएगा और सभी जगह सीसीटीवी कैमरे लगाये जायेंगे.

यहां जोधपुर की संभाग स्तरीय बैठक में उन्होंने कहा कि साइकाइट्रिक लोग ही दुष्कर्म जैसे घिनौने काम करते हैं. मंत्री फेस टू फेस सभी संभागों पर बैठक आयोजित कर रहे हैं ताकि चिकित्सा व्यवस्था और मजबूत की जा सके.

चिकित्सा विभाग में दो पदों पर एक व्यक्ति के बने रहने के मामले में उन्होंने कहा कि विभाग के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं – स्टाफ की कमी. उन्होंने कहा कि जल्द ही विभाग में नई भर्तियां की जाएंगी और पदों को भर दिया जाएगा. अस्पतालों में कोई भी जगह डार्क जोन नहीं रहेगी, सभी जगह पर अगले दो दिन में लाइट की व्यवस्था के साथ सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएंगे. शहर की टूटी सड़कों पर उन्होंने कहा कि बारिश का दौर थमते ही सभी शहरों की सड़कों को दुरुस्त कर लिया जाएगा.

गजेंद्र सिंह ने कहा कि हमारी पूरी टीम राजस्थान के हर संभाग का दौरा कर रही है. हम पहले संभाग में और फिर जिलों में जाएंगे ताकि जनता की समस्याओं की प्रत्यक्ष जानकारी मिल सके. हमारे विभाग के सभी प्रमुख, सीएमएचओ, ज्वाइंट डायरेक्टर, मेडिकल कॉलेज के प्रमुख हमसे सीधे संपर्क कर सकेंगे ताकि समस्याओं का समाधान हो सके. फेस-टू-फेस बैठक में कई समस्याएं सामने आती हैं जो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान नहीं हो सकती है. यह पहला संभाग है जहां हम बैठक कर रहे हैं और बाद में सभी संभागों और जिलों का दौरा करेंगे. अभी तक प्रदूषण और छेड़छाड़ को लेकर कई दिनों से मुद्दे चल रहे हैं, जिनका समाधान हम निकालने की कोशिश कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि रेजिडेंट डॉक्टर्स और स्टाफ, विशेष रूप से महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. राज्य में होने वाली दुष्कर्म की घटनाओं को देखकर दुख होता है, जैसे कि ढाई साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म. ऐसी घटनाएं करने वाले लोग मानसिक रूप से बीमार होते हैं, जो पागलपन की सीमा पर होते हैं. भगवान ने इंसान को ऐसा चरित्र नहीं दिया है कि वह ऐसी घिनौनी वारदात करे.

उन्होंने कहा कि उनके सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं – स्टाफ की कमी और जोखिम का स्तर. जब तक स्टाफिंग पैटर्न पूरा नहीं होगा, मरीजों का उपचार नहीं हो पाएगा. मुख्यमंत्री ने विभाग को 55 हजार भर्तियों की मंजूरी दी है, जिसमें से पांच हजार लोग पहले ही ज्वाइन कर चुके हैं और चार हजार लोग जल्द ही ज्वाइन करेंगे. नवंबर तक 45 हजार और लोगों को भर्ती होगी.

मंत्री ने बताया कि नई भर्तियों के बाद नर्सों, डॉक्टरों, लैब तकनीशियनों, और रेडियोग्राफर्स की संख्या बढ़ जाएगी. इसके अलावा, ट्रांसफर पॉलिसी भी बदलने वाली है, जिसमें ज़ोन बनाए जाएंगे और डॉक्टरों की कमी वाले क्षेत्रों में भर्ती की जाएगी. यह पॉलिसी कैबिनेट में पेश की जा चुकी है.

पीएसके/एकेजे