देश में हर क्षेत्र में विकास हुआ, उसका असर सेंसेक्स और निफ्टी में भी देखने को मिला- आशीष चौहान (आईएएनएस साक्षात्कार)

नई दिल्ली, 16 अप्रैल . नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के संस्थापक सदस्य, प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशीष चौहान ने के साथ बातचीत कर देश की आर्थिक स्थिति पर अपनी राय रखी. उन्होंने 10 साल में शेयर बाजार में आए बदलावों पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी.

सवाल :- हमने पिछले 10 साल में देखा कि स्टॉक मार्केट कहां से कहां पहुंच गया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में इसके ग्रोथ को भी देखा, क्या फैक्टर रहे कि हम पिछले 10 साल में यहां पहुंचे हैं?

जवाब :- पिछले 10 सालों में जो इंडेक्स के अंक हैं, करीब तीन गुना बढ़े हैं. जब नरेंद्र मोदी के आने की चर्चा हो रही थी यानी साल 2013 का अंतिम समय चल रहा था. मुझे लग रहा है तब इंडेक्स (निफ्टी) करीब सात-साढ़े सात हजार के करीब था. आज 22 हजार के ऊपर यानी 22,500 के ऊपर है तो करीब 300 परसेंट के करीब हो गई है और 200 परसेंट की बढ़ोतरी हुई है तो उसके कई कारण हैं. एक तो यह कि लोगों की जो कंपनियां हैं भारत की, वह प्रॉफिट बढ़ा रही है और ऐसा सिर्फ नहीं है कि कंपनी जितनी लिस्टेड थी, उसी में ग्रोथ हुआ.

कई सारी नई कंपनियां भी लिस्ट हुई हैं. जैसे हाई टेक कंपनियां बहुत सारी लिस्ट हुई हैं और बड़ी संख्या में लिस्ट हुई हैं, जिनके मार्केट कैपिटलाइजेशन भी अच्छे थे. ओवरऑल जो कॉरपोरेट सेक्टर का ग्रोथ बढ़ा है, खासकर के बैंकों में, जब एनपीए की संख्या बढ़ी थी शुरुआत में, क्योंकि 2004 से 2014 तक का जो भी सफर रहा बैंकों का, उसमें बहुत सारे लोन लिए गए थे. जो कॉर्पोरेट्स उसका ऋण चुका नहीं रहे थे वापस तो 2014 के बाद उसका एक असर पड़ा एनपीए में, जो धीरे-धीरे करके उसको भी कम किया गया. मुझे लग रहा कि एक तो फिस्कल डेफिसिट कम हुआ है, जिसकी वजह से ज्यादा से ज्यादा लोगों को कॉन्फिडेंस आ गया कि सरकार अपने में ज्यादा पैसा खर्चा नहीं कर रही है और बाकी का जो पैसा है, वह डेवलपमेंट के लिए यूज हो रहा है.

उसमें भी खासकर के इंफ्रास्ट्रक्चर में भी वहां पर निवेश हुआ है. सरकार की तरफ से इतने सारे रोड, पोर्ट्स, मेट्रो, इलेक्ट्रिसिटी जेनरेशन ऐसी कई चीजें जो रही है, उसकी वजह से भी लोगों का उत्साह बढ़ा है और किसी तरह की शॉर्टेज नहीं हुई. चाहे कोविड के दौरान जो भारत ने अपना फिस्कल डेफिसिट और ओवरऑल रेवेन्यू डेफिसिट कम रखा, जिसके कारण भी लोगों को लगा कि यह बेहतर है और जिससे आमदनी भी लोगों की बढ़ी है और जो अन-एंप्लॉयमेंट की दर है, वह भी कम हुई है. तो, ओवरऑल सब जगह पर ग्रोथ हुआ है और उसका असर जो सेंसेक्स और निफ्टी के सूचकांक में आपको देखने मिलता है.

सवाल :- पॉलिटिकल स्टेबिलिटी क्या इसके लिए बहुत बड़ा फैक्टर रहा है?

जवाब :- स्वाभाविक है कि पॉलिटिकल स्टेबिलिटी हो तो ही आप ऐसे बड़ी दुर्गम परिस्थिति थी, विश्व के लिए जो कोविड का काल था दो ढाई साल का, जिसके अंदर विश्व ने एक बहुत दुख झेला, एक लंबे अरसे तक जो किसी ने सोचा भी नहीं था और उसी काल में विश्व की कई महासत्ताओं ने भी अपनी तिजोरी ऐसे खोल दी की, जिससे उनको आज मुद्रास्फीति का सामना करना पड़ रहा है.

जबकि, भारत ने सोच-समझकर टारगेटेड जो लोगों को सपोर्ट किया. उससे एनपीए भी नहीं बढ़े और मुद्रास्फीति भी नहीं बढ़ा. ठीक उसी समय बाकी जितने लोगों को सहायता चाहिए थी, 80 करोड़ लोगों को फूड, फ्री राशन की व्यवस्था की गई, जो अब मुझे लग रहा परमानेंट होने जा रही है. आयुष्मान भारत वगैरह स्कीम भी लगी बाद में. पहले भी अटल पेंशन, अटल इंश्योरेंस वगैरह की स्कीमें जो थी और ऐसी कई स्कीमें लगी. जिससे मुझे लग रहा है कि जो एक विकसित देश होते हैं, उसमें सोशल सिक्योरिटी नाम की एक फ्रेमवर्क होती है. बच्चा पैदा होने से पहले ही जच्चा-बच्चा का भी ख्याल रखा जाता है. जब तक व्यक्ति का देहांत होता है तब तक और उसके बाद भी इंश्योरेंस उसके फैमिली को मिलता है तो पूरी की पूरी व्यवस्था सरकार एक तरह से संभालती है.

उसमें उसका एक तरह से लर्निंग से लेकर के उसकी स्कूलिंग से लेकर के कॉलेज और जब अन-एंप्लॉयमेंट हो तो उसमें थोड़ा पैसा भी मिलता है. सब्सिडी भी तरह-तरह की मिलती है. घर वगैरह की भी व्यवस्था होती है तो पीएम आवास योजना के द्वारा, लोगों को रूरल एरिया में घर भी मिले हैं. तो, मुझे लग रहा कि एक तरह से फ्री राशन और अब जनधन आधार मोबाइल के द्वारा एक सोशल सिक्योरिटी फ्रेमवर्क की रचना पिछले 10 सालों में नरेंद्र मोदी ने हमारे जाने बगैर की है. जिससे मुझे लग रहा है कि जो गरीबों को बहुत फायदा हुआ है और नेचुरली जहां जो देश में एक तरह से भुखमरी कम होती है, वहां पर लोगों का कॉन्फिडेंस बढ़ता है और सभी लोग उसमें फिर इकोनॉमिक एक्टिविटी में शामिल होते हैं. जिसकी वजह से ग्रोथ बढ़ता है. मुझे लग रहा है काफी अच्छा काम हुआ है. पिछले 10 साल में ओवरऑल फिस्कल डेफिसिट को कम करते हुए भी सोशल सिक्योरिटी जैसी चीजों की रचना हुई है, वह बहुत बड़ी बात है.

सवाल :- अभी जो स्थिति है, यह जो हम संघर्ष देख रहे हैं मिडिल ईस्ट है थोड़ा, यूएस की मुद्रास्फीति भी थोड़ा सा चिंता का विषय है. आपको लगता है कि इंडियन एक्सचेंज पर इसका कोई लॉन्ग टर्म इफेक्ट होगा और इन्वेस्टर्स ऐसी स्थिति में क्या करे?

जवाब :- भारत विश्व से जुड़ा हुआ है तो विश्व में जो भी परिस्थिति बनती है, उसमें भारत को भी असर होता है. आज भी जैसे आपने देखा होगा कि निफ्टी सूचकांक जो है 1% करीब नीचे खुला था, धीरे-धीरे करके थोड़ा ऊपर आ गया. लेकिन, एक असमंजस की स्थिति बनी हुई है. उसका कारण यही है कि जो मिडल ईस्ट में कोई घटना घटती है तो उससे ऑयल के दाम पर असर होता है और इंडिया में 80% से भी अधिक, करीब-करीब 85% से भी अधिक ऑयल इंपोर्ट होता है और ऑयल का एक बड़ा महत्व भारत के आयात में है और भारत की ओवरऑल ट्रेड डेफिसिट में है तो इसकी वजह से एक भय रहता है कि आज जो ऑलरेडी उसके, ईरान और इजरायल पर हमला करने वाले थे, उसके एक्सपेक्टेशन से ही ऑयल का मार्केट करीब 80 डॉलर प्रति बैरल था, 90 डॉलर तक पहुंच गया था.

अब जो यह सिचुएशन ज्यादा ऊपर जाती है तो नेचुरली ऑयल के दाम में असर हो सकता है. भारत आज ऐसी परिस्थिति में है, जिससे वह भारत का टोटल सर्विसेस एक्सपोर्ट्स और रेमिटेंस बहुत अच्छा है, जिसकी वजह से हम जितना भी ट्रेड डेफिसिट है, उसको हम मिटा पा रहे हैं. हमारे पास जो मुद्रा है, विदेशी मुद्रा. वह भी हाईएस्ट एवर रिकॉर्डेड है, जो 645 बिलियन डॉलर के ऊपर है.

तो, मुझे लग रहा है कि जो शॉर्ट टर्म इश्यूज बनते हैं, जैसे यूक्रेन का जो युद्ध हुआ, अभी भी चल रहा है. उस समय भी एक उछाल आया था. उसमें भी भारत ने बहुत अच्छे से अपने आप को मैनेज किया. मुझे लग रहा है आगे भी भारत अपने आप को अच्छे से मैनेज करेगा. लेकिन, जो विदेशी निवेशक होते हैं, उनको यह सब चीजों से काफी एक असमंजस रहता है.

हालांकि, पिछले एक दो साल में उन्होंने जो भारत को अपने आपको मैनेज करते हुए देखा है तो मुझे लग रहा कि इसमें कोई खास असर नहीं होना चाहिए. आज का जो सिचुएशन ऐसे ही रहता है, कोई सिचुएशन आगे बढ़कर बहुत खराब होता है. दो देशों के बीच में ईरान और इजरायल के बीच में. तब, जाकर उसका असर देखने को मिल सकता है. नहीं तो भारत की जो परिस्थितियां है, वह बहुत अच्छी हैं.

सवाल :- हमने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के आपके कार्यकाल में देखा कैसे आपने टेक्नोलॉजी को लोगों तक पहुंचाया और डिजिटल किया. एनएसई में भी हमने देखा कि आपने ऐसी नई टेक्नोलॉजी को इंट्रोड्यूस किया है. तेजी से डिजिटल हो रही दुनिया में आप इसका क्या भविष्य देखते हैं?

जवाब :- भारत में जो स्टॉक मार्केट है, वह विश्व में सबसे बढ़िया स्टॉक मार्केट माने जाते हैं. डिजिटल फ्रेमवर्क में, 1994 से एनएसई फुली डिजिटल रहा. पहली एक्सचेंज हुई विश्व की, जिसने स्क्रीन बेस्ड ट्रेडिंग अपनाया और सक्सेस भी हुआ. और, पहले एनएसई की जब स्थापना हुई, तभी से कभी फ्लोर था ही नहीं वहां पर फिजिकल, सिर्फ स्क्रीन बेस्ड ट्रेडिंग था जो आज मोबाइल हो चुका है और उसके बाद बीएसई ने भी 1998 को अपने आप को ऑटोमेट किया था, तो दोनों एक्सचेंज भारत के जो हैं, मुख्य एक्सचेंज हैं और विश्व के सबसे बड़े एक्सचेंज में भी हैं और सबसे ऑटोमेटेड एक्सचेंज में भी जाने जाते हैं तो स्वाभाविक है कि भारत एक तरह से अग्रसर रहा है. थिंकिंग और एग्जीक्यूशन दोनों में पिछले 30 सालों में. और, भारत का जो पहला पब्लिक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर कहेंगे तो भी एनएसई रहा. भारत का पहला जो फिनटेक कहें तो भी एनएसई रहा और आज विश्व की सबसे बड़ी एक्सचेंज के रूप में उभरकर आया है.

फरवरी महीने के वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ एक्सचेंजेज के जो अंक लेंगे तो इक्विटी ट्रेडिंग में एनएसई वर्ल्ड का सबसे बड़ा एक्सचेंज रहा है. ओवरऑल जो एक्सचेंज का नंबर देखते हैं तो एनएसई विश्व का सबसे ज्यादा ट्रेडेड नंबर वाली एक्सचेंज है. और, इंटरनल मार्केट कैपिटलाइजेशन जो जहां देश का धन है, वह विश्व की चौथी महासत्ता है, जिसमें अमेरिका, चाइना और जापान के बाद भारत का नंबर विश्व में उभरकर आया, जो मार्केट कैपिटलाइजेशन की दृष्टि से भी बहुत ऊपर है, तो मुझे लग रहा है कि ओवरऑल जो भारत का टेक्नोलॉजिकल प्रोग्रेस है, वह एनएसई से शुरू हुआ. वह प्रोग्रेस स्टॉक मार्केट के अंदर भी अभी तक जारी है कि जो विश्व की सबसे बेहतरीन एक्शनिज्म लेते हैं, उससे कई गुना ज्यादा ट्रेडिंग वॉल्यूम नंबर ऑफ ट्रेड, नंबर ऑफ ऑर्डर आज एनएसई करता है. उसका यही कारण है कि हम अपनी जो टेक्नोलॉजी है, उसको प्रतिदिन सुधारते हैं. उसमें जितने भी नए टेक्नोलॉजी या चीज आती है, उसको समाविष्ट करते हैं, जिससे वह बेहतर से बेहतर रहे हैं.

सवाल :- आप रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में भी शामिल हुए. कैसा अनुभव रहा आपके लिए? और, जिस गति से अयोध्या का विकास हो रहा है, क्या ऐसा मुमकिन है कि अयोध्या में भी एक स्टॉक एक्सचेंज होगा?

जवाब :- धन्यवाद, राम मंदिर में एक तरह से प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम हुआ, उसमें मुझे भाग लेने का सौभाग्य मिला और मैं अपने आप को बहुत ऋणी मानता हूं. जिन्होंने मुझे वहां पर इस विशेष कार्य के लिए बुलाया. दो दिन मैं वहां पर रहा और वहां जो इंफ्रास्ट्रक्चर का काम देखे मैंने, मैंने पहले कभी नहीं सोचा था कि अयोध्या में भी यह चीजें हो सकती है, जिसकी वजह से आप फोरलेन हाईवे, एट लेन हाईवे, टचिंग द टेंपल बन सकते हैं. वह किसी ने सोचा नहीं था और इतनी बड़ी अच्छी अद्यतन होटल वगैरह बन रही है. तो, यह जो चीजें हो रही है, मुझे लग रहा है कि अयोध्या का भी और विकास तेजी से हो रहा है और आगे भी होगा. और, नेचुरली आज भी आपने देखा होगा चार-पांच लाख लोग हर रोज वहां पर दर्शन के लिए जाते हैं.

मुझे लग रहा है कि रामनवमी के दौरान और अधिक लोग वहां पर दर्शन के लिए जाएंगे तो स्वाभाविक है कि एक श्रद्धा का स्थान रहा है भारत के लिए, पिछले हजारों वर्षों से और उसमें इतना सुंदर बेहतरीन मंदिर बनना वह सबके लिए गौरव की बात है. और, अब स्टॉक एक्सचेंज की बात तो यह है कि वहां पर भी आज भी अयोध्या में बहुत सारे लोग स्टॉक मार्केट से जुड़े हुए हैं, क्योंकि एनएसई का जो मोबाइल है. हमारे मेंबरों द्वारा वहां पर मोबाइल ट्रेडिंग की सुविधा भी दी है और कई सारे टर्मिनल्स भी लगाए हुए हैं.

अलग-अलग मेंबर्स के खुद के फ्रेंचाइजीज ने या ऑथोराइज्ड पर्सन्स ने तो उसकी वजह से वहां आज भी अयोध्या के वासी भी आज भारत की प्रगति में अपना निवेश कर सकते हैं अपने पैसों का और जो पैसा आप निवेश करते हो वह कंपनियों में जाता है. जहां पर नई जॉब्स क्रिएट होती है तो एक तरह से वर्चुअल साइकिल बनती है कि आपको भी उन कंपनियों के आगे बढ़ने से अच्छा रिटर्न मिलता है और आपके जो पैसे हैं वो जॉब क्रिएशन में जाते हैं. तो, स्वाभाविक है कि सिर्फ अयोध्या की बात नहीं है. पूरे यूपी में आज काफी लोग निवेश कर रहे हैं और पूरे भारतवर्ष में आज बहुत लोग निवेश करने लगे हैं. करीब 9 करोड़ से भी अधिक लोग आज एनएसई के साथ डायरेक्ट जुड़े हुए हैं और ईपीएफओ और दूसरी एनपीएस वगैरह से मिलकर जहां से इनडायरेक्ट निवेश होते हैं निफ्टी वगैरह में, इंडेक्स वगैरह में… तो मुझे लग रहा है कि आज भारत का 20 से 25% जो घर है, जितने हाउसहोल्ड जिसको कहते हैं, उसमें करीब एक चौथाई भाग जो है आज स्टॉक मार्केट के साथ जुड़ा हुआ है और उनकी जो संपत्ति है, उनकी जो वेल्थ है, वह भी स्टॉक मार्केट से जुड़ी हुई. और, आगे लग रहा कि जैसे-जैसे भारत की प्रगति होगी, वैसे हमने देखा है कि दूसरे डेवलप्ड कंट्रीज में और भी अधिक परसेंट के लोग अपने स्टॉक मार्केट में निवेश करते हैं और वही चीज यहां पर भी आगे जाकर देखने मिलेगी.

सवाल :- आप क्रिकेट से भी जुड़े हैं. मुंबई इंडियंस के सीईओ भी रहे. क्या भविष्य में आप कभी फिर से क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेशन से जुड़ने का इरादा रखते हैं?

जवाब :- हम एक तरह से एडमिनिस्ट्रेटर का काम करते हैं. जहां पर भी हमें कहा जाता है कि आप यह काम करिए तो हम कोशिश करते हैं. अपनी जितनी भी शक्ति है और जितना भी प्रभु ने दिमाग दिया है उसके हिसाब से मेहनत करके कोशिश करके सबसे बेहतरीन काम करें.

कोई भी एडमिनिस्ट्रेशन का काम मिलता है तो स्वाभाविक है कि गौरव की बात होती है. ऐसी कोई भी नेशनल चीज जैसे एनएसई का दायित्व हो या पहले बीएसई का दायित्व था या यूनिवर्सिटी का भी दायित्व मिलता है तो स्वाभाविक है कि व्यक्ति अपने आप को भी गौरवान्वित महसूस करता है और मेरे लिए भी हकीकत यही है कि जो भी आगे भी समाज जो दायित्व देता है, सरकार जो दायित्व देती है कि उसको सिर आंखों पर रखकर, जितना भी हो सके उतना करना मेरे लिए भी अच्छी बात होगी.

सवाल :- आपको यूजीसी का भी मेंबर बनाया गया. बतौर यूजीसी मेंबर आपकी क्या प्राथमिकता होगी?

जवाब :- अभी तो इस सप्ताह में ही यह न्यूज आया हुआ है तो आप यूजीसी के जो वहां पर जो काम करते हैं उन लोगों से भी चर्चा होगी. यूजीसी के जो मेंबर्स हैं उनसे भी चर्चा होगी और जो भी नई एजुकेशन पॉलिसी है या सरकार की जो भी प्राथमिकता है उसके हिसाब से हम एक्चुअल मेंबर जो होते हैं, वह नॉन एग्जीक्यूटिव होते हैं.

हमारा मेन काम तो आज भी जो एनएसई चलाना ही है, लेकिन यह एडिशनल रिस्पांसिबिलिटी जो जहां पर बोर्ड मीटिंग में बैठकर आपको डिस्कशन या डिबेट करना होता है और निर्णय पर सबको साथ मिलकर आना होता है तो वह जो चीजें हैं वह आगे जाकर सरकार की जो नीति है, उसको कैसे अधिक से अधिक बेहतर तरीके से इंप्लीमेंट करें उसी पर चर्चा होगी.

सवाल :- आईपीओ के बारे में अगर आप जानकारी दे सकें?

जवाब :- भारत में आईपीओ पिछले साल में भी बहुत सारे आए और अगले साल में भी काफी पाइपलाइन में हैं. यदि मार्केट ऐसा ही तेजी में रहा तो हो सकता है कि 2024-25 में और भी अधिक आईपीओ आए. जहां तक एनएसई के खुद के आईपीओ की बात है, उसमें हमारा जो रेग्युलेटर सेबी है, उनकी तरफ से एक बार ग्रीन सिग्नल मिलता है. उसके बाद ही हम अपना प्रॉस्पेक्टस लेकर करने की कोशिश करेंगे और उनको सबमिट करने की कोशिश करेंगे. तब तक हम अपना जो डे-टू-डे काम है. भारत की सबसे बड़ी स्टॉक एक्सचेंज, विश्व की सबसे बड़ी स्टॉक एक्सचेंज एनएसई को चलाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जिस पर हम हर रोज काम करते रहेंगे.

जीकेटी/