नई दिल्ली, 24 सितंबर . आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के प्रसाद (लड्डू) में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल के इस्तेमाल की खबर सामने आने के बाद से जारी सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है. इस मामले को लेकर विश्व हिंदू परिषद के नेता डॉ. सुरेंद्र जैन ने केंद्र सरकार के समक्ष कुछ मांगें रखी हैं.
डॉ. सुरेंद्र जैन ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, “तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जिस तरीके से मिलावट की गई है. वह हिंदुओं की आस्था के साथ आपराधिक खिलवाड़ है. सरकार ने इस मामले में जो एसआईटी गठित की है, वह पर्याप्त नहीं है. हमारी मांग है कि इस मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटना न हो सके.“
उन्होंने कहा, “पिछले दिनों सबरीमाला से भी ऐसी ही शिकायत आई थी. इसी तरह के अशुद्ध पदार्थ मिलाए गए थे, इनमें सबसे कॉमन बात यही है कि इन मंदिरों पर सरकारों का नियंत्रण है. नौकरशाह और राजनेता दोनों मिलकर लूट मचा रहे हैं और हिंदुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. इसका स्थायी समाधान यही है कि सरकारों के चंगुल से मंदिरों को मुक्त किया जाए और इसे समाज को सौंपा जाए. ताकि संतों के मार्गदर्शन में मंदिरों का संचालन किया जा सके. हमारा संकल्प है कि मंदिरों का सरकारीकरण नहीं बल्कि सामाजिकरण होना चाहिए.“
सुरेंद्र जैन ने कहा कि प्रसाद ही एक मुद्दा नहीं है, बल्कि मंदिरों में घोटालों से जुड़ी खबरें सामने आती रहती हैं. अकेले तमिलनाडु में चार सौ से अधिक मंदिरों का अधिग्रहण किया जा चुका है, जो सरकार चलाती है. एक एनजीओ ने इन मंदिरों का सर्वे किया और पता चला कि सालाना मंदिरों से कमाई छह हजार करोड़ रुपये से अधिक होती है, लेकिन वह दिखाते सिर्फ 200 करोड़ रुपये ही हैं. पूजा के लिए सामान नहीं खरीदा जाता है और पुजारियों को वेतन भी नहीं मिलता है. पिछले 10 सालों में 50 हजार करोड़ का घाटा अकेले तमिलनाडु में दिखाया गया है.
सुरेंद्र जैन ने दावा किया कि बीते दिनों एक खबर में यह बताया गया कि राजस्थान की पूर्व कांग्रेस सरकार ने जयपुर के प्रसिद्ध श्री गोविंद देव मंदिर से 9 करोड़ 82 लाख रुपये ईदगाह को दिए थे. राज्य सरकारें लगातार मंदिरों की संपत्ति व आय का निरंतर दुरुपयोग करती रहती हैं तथा उनका इस्तेमाल हिंदू विरोधी कार्यों में करती हैं
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