नई दिल्ली, 28 अप्रैल . भारत के जाने माने अर्थशास्त्री, लेखक और स्तंभकार, मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य रहे और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में भारत के कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्यरत रह चुके सुरजीत भल्ला ने से देश की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर खास बातचीत की. उन्होंने इस बातचीत में अपनी राय रखते हुए बताया कि वह क्यों राहुल गांधी को एक राजनेता के रूप में नहीं देखते हैं.
उन्होंने के साथ साक्षात्कार में राहुल गांधी के सवाल पर जवाब देते हुए कहा, “लीडरशिप बहुत बड़ी बात होती है. राहुल गांधी को लेकर कोई प्रमाण नहीं है कि वह प्रभावशाली लीडर होंगे या नहीं. 2013 में उन्होंने अपनी सरकार का ऑर्डिनेंस फाड़ दिया था सबके सामने. जो लीडर होते हैं, वह ऐसा नहीं करते हैं. तब, मनमोहन सिंह की सरकार थी. वह तब अपनी सरकार के खिलाफ हो गए थे. इस समय जो भी चुनाव होता है, वह चेहरे के ऊपर होता है. इस समय विपक्ष का चेहरा कौन है. मुझे तो कोई दिखता नहीं है. विपक्ष में 50 चेहरे हैं. वहीं, भाजपा का एक चेहरा है पीएम मोदी. यह एक और वजह है कि बीजेपी अच्छा करेगी.”
उन्होंने कहा, “आज सारी दुनिया में एजुकेशन बढ़ गई है. आपके परिवार में कोई लीडर था ऐसे में आपको यह जॉब मिलना चाहिए. चुनाव के बाद कांग्रेस के अंदर चर्चा होनी चाहिए कि क्या कोई डायनेस्ट्स है, उसको हम चुनाव के लिए उतारेंगे और वोट देंगे. मेरे ख्याल से वह जमाना गया. अब वक्त लगता है, 70 सालों से एक डायनेस्टी चल रही है. लेकिन, अब मेरिट के ऊपर चुनाव होगा और वह इसी पर बेस होगा.
देखिए मैं यही कहता हूं कि प्लीज आप डाटा को देखिए, वह डाटा को नहीं देखते. वह अपनी आईडियोलॉजी देखते हैं. इंडिया में कभी कोई इनकम डिस्ट्रीब्यूशन सर्वे हुआ नहीं है. मेरे ख्याल से होना चाहिए. जब भी मुझसे पूछते हैं तो मैं कहता हूं जरूर करिए और चुनाव के बाद अगर करेंगे तो बहुत अच्छी बात है. यह आईडियोलॉजी की बात है. आईडियोलॉजी हम सब की होती है. हमें देखना चाहिए कि डाटा क्या कहता है और उसके मुताबिक हमें फैसला लेना चाहिए. यह मुद्दा कांग्रेस के लिए कमजोर साबित हो सकता है.”
उन्होंने ‘विरासत कर’ पर कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के बयान पर भी अपनी राय रखते हुए कहा, “देखिए अमेरिका में 50 स्टेटस हैं, जिनमें से 6 राज्यों में विरासत कर लागू है. बाकी के राज्यों ने इसे वहां भी लागू नहीं किया है. सैम पित्रोदा ने जो वहां का रेट बताया है 50 प्रतिशत, वह भी गलत है. वहां इस कर की दर 20 प्रतिशत है. अमेरिका अमीर देश है. ये जरूरी नहीं कि जो यूएस कर रहा है, वह हम भी करेंगे. जब हम डेवलप देश हो जाएंगे तब देखा जाएगा.”
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जीकेटी/