चीन और भारत की संस्कृति में काफी समानता है : प्रोफेसर लोहनी

बीजिंग, 21 सितंबर . चीन और भारत की संस्कृति में काफी समानता है, यह कहने में कोई दो राय नहीं है. दोनों देश इस क्षेत्र में एक-दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं. दोनों देशों के बीच लगातार सांस्कृतिक आदान-प्रदान होते रहना चाहिए. इस विषय पर भारतीय प्रोफेसर नवीन लोहनी ने चाइना मीडिया ग्रुप के संवाददाता अनिल पांडेय के साथ बातचीत की.

प्रोफेसर लोहनी पूर्व में चीन में अध्यापन का कार्य कर चुके हैं, इस दौरान उन्होंने चीन को करीब से जाना. चीन में रहते हुए उन्होंने कई शहरों में भ्रमण किया. चीन में हो रहे विकास और सांस्कृतिक जागरूकता को लेकर वे बहुत प्रभावित हुए हैं. वे कहते हैं कि चीन और भारत की संस्कृति में काफी समानता है. दोनों देश एक-दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं. लेकिन, इसके लिए दोनों पड़ोसियों के बीच अधिक से अधिक सांस्कृतिक आदान-प्रदान की आवश्यकता है. भारत और चीन न केवल पड़ोसी देश हैं, बल्कि प्राचीन सभ्यता वाले राष्ट्र हैं, जिनके बीच सदियों से अच्छे संबंध कायम रहे हैं.

लोहनी कहते हैं कि चीन की विकास की गति से भारत को प्रेरणा लेनी चाहिए. वर्तमान में भारत औद्योगिक विकास के क्षेत्रों में आगे बढ़ रहा है. लेकिन, भारत को चीन से निर्माण के क्षेत्र में सीखने की जरूरत है.

लोहनी युन्नान प्रांत के खुनमिंग में आयोजित द थर्ड खुनमिंग अर्बन पोएट्री आर्ट फेस्टिवल में हिस्सा लेने आए हैं. प्रोफेसर लोहनी के मुताबिक साहित्य अक्षम के लिए शक्ति देने का काम करता है, वह तमाम लोगों के लिए प्रेरणा, मार्गदर्शन का काम करता है. इस संगोष्ठी में कई महत्वपूर्ण बिंदु उभरकर आए.

वे कहते हैं कि हम क्षमता की बात क्यों करें? आध्यात्मिक विषयों, राजाओं पर लिखा साहित्य क्या प्रेरणा देता है? यह अहम सवाल है. चीनी और भारतीय साहित्य पर चर्चा हुई. बकौल लोहनी उनके लिए यह सत्र बहुत खास रहा. उन्होंने कहा कि इस प्रकार की गतिविधियां आम आदमी की साहित्यिक कृतियों के प्रति समझ विकसित करने में सहायक होती हैं. यह फेस्टिवल वाकई में बहुत प्रेरक कहा जा सकता है.

बता दें कि इस फेस्टिवल में भारत के साथ-साथ वियतनाम, थाइलैंड, मलेशिया और बांग्लादेश के कवियों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया. कार्यक्रम में चीन के कई कवि और साहित्यकारों ने भी अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं.

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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