पिछले 10 वर्षों में मोबाइल फोन विनिर्माण में आई तेजी, आईटी राज्य मंत्री ने लोकसभा में पेश किया आंकड़ा

नई दिल्ली, 7 फरवरी . सरकार ने बुधवार को कहा कि मोबाइल फोन विनिर्माण 2014-15 में अनुमानित 18,900 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में अनुमानित 3,50,000 करोड़ रुपये हो गया है, जिससे उत्पादन में 1,700 प्रतिशत से अधिक की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की गई है.

लोकसभा में प्रश्न का जवाब देते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा, ”एक महत्वहीन वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक आपूूूूूर्ति चक्र से अब भारत तीव्र गति से महत्वपूर्ण और विश्वसनीय स्वामित्व के रूप में इलेक्ट्रॉनिक्स वैश्विक मूल्य श्रृंखला में सामने आ रहा है.”

मंत्री ने आगे कहा, “हमारे घरेलू विनिर्माण को आयात प्रतिस्थापन से निर्यात-आधारित विनिर्माण में बदलने के लिए सरकार ने मैकेनिक्स, डाई-कट पार्ट्स और अन्य श्रेणी के अंतर्गत आने वाले सामानों पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) को 10 प्रतिशत (15 प्रतिशत से) कम कर दिया है. भारत अब विश्व में मोबाइल का सबसे बड़ा उत्पादक देश बनकर उभर रहा है.”

चंद्रशेखर ने आगे कहा, “मोबाइल फोन का निर्यात भी 2014-15 में अनुमानित 1,566 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में अनुमानित 90,000 करोड़ रुपये हो गया है, जिससे निर्यात में 5,600 प्रतिशत से अधिक की प्रभावशाली वृद्धि हुई है.”

सरकार का 2026 तक 300 अरब डॉलर के घरेलू इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण का महत्वाकांक्षी लक्ष्य है. लगभग 75 बिलियन डॉलर के मौजूदा स्तर से 300 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन तक पहुंचने की रणनीति भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को व्यापक और गहरा करने पर बनाई गई है.

मंत्री ने इस बात पर जोर दिया, ”इसे वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माताओं/ब्रांडों को आकर्षित करने, सब-असेंबली और कंपोनेंट इकोसिस्टम, डिजाइन इकोसिस्टम को बेहतर करने, भारतीय चैंपियनों का पोषण करने और उद्योग द्वारा सामना की जाने वाली लागत संबंधी बाधाओं को लगातार दूर करके प्रतिस्पर्धात्मकता और पैमाने का निर्माण करके हासिल करने का प्रस्ताव है.”

मोबाइल फोन के लिए पीएलआई योजना की सफलता के बाद, सरकार को उम्मीद है कि आईटी हार्डवेयर और सर्वर के लिए पीएलआई से आपूर्ति श्रृंखला विकसित करने के लिए देश में कंपोनेंट इकोसिस्टम में निवेश का विस्तार होगा.

मंत्री ने आगे कहा, “सरकार चिपसेट सहित मुख्य घटकों को विकसित करने के लिए देश में क्षमताओं को प्रोत्साहित और संचालित करके और उद्योग के लिए एक सक्षम वातावरण बनाकर भारत को निर्यात-संचालित विनिर्माण केंद्र और इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण (ईएसडीएम) के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने की कल्पना करती है.”

एसएचके/एबीएम