
भीलवाड़ा . भीलवाड़ा जिले की 4 तहसीलों में खेतों में खड़ी अफीम की फसल से दूध निकालने का काम शुरू कर दिया गया है. किसानों ने माताजी की पूजा कर दोपहर बात डोडो को चीरा लगाना शुरू किया. साथ ही उससे निकलने वाले दूध को जमा करने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है. इस बार कई किसानों को अफीम की फसल में नुकसान होने की आशंका है.
इस बार मौसम के अचानक पलटने व ओलावृष्टि होने से अफीम की फसल को नुकसान भी हुआ है. जिसका असर अफीम के डोडो से निकलने वाले दूध पर पड़ने वाला है. अब अगर किसानों को नारकोटिक्स विभाग के नियमों के तहत अफीम दूध जमा नहीं करवाने पर पट्टा निरस्त होने का भी डर सता रहा है. 10 आरी का लाइसेंस लेने वाले किसानों को नारकोटिक्स विभाग को 6 से 7 किलोग्राम अफीम जमा करवानी है.
इस बार भीलवाड़ा खंड के चित्तौड़गढ़ व भीलवाड़ा के 251 गांवों के 5888 किसानों को अफीम की फसल के लिए पट्टे दिए गए थे. इसमें भीलवाड़ा के कोटड़ी उपखंड के 21 गावों में 558 किसानों ने 55.800 हैक्टेयर जमीन पर अफीम की बुवाई की है. मांडलगढ़ में 47 गांव में 423 किसानों ने 42.300 हैक्टेयर जमीन, बिजौलिया में 4 गांव में 35 किसानों ने 3.500 हैक्टेयर जमीन पर अफीम की बुवाई की है. इन सभी इलाकों में अफीम दूध निकालने का काम शुरू हो चुका है.
287 किसान खतरे से बाहर
इस बार 5888 किसानों ने अपने खेतों में अफीम की बुवाई की है. इसमें से 287 किसानों ने सीपीएस पद्धति से अफीम की बुवाई की है. इस सरकारी पद्धति में किसान अफीम के डोडो से दूध नहीं निकालता है. सरकार उनके डोडो को सीधे ही तोड़कर ले जाती है. ऐसे में इन किसानों को मौसम की मार से कम अफीम उत्पादन व लाइसेंस कटने का डर नहीं रहेगा.