काशी के कलाकारों की कलाकृतियों की पूरी दुनिया कायल, बड़े-बड़े देशों के राष्ट्रध्यक्ष भी हैं मुरीद

काशी, 1 अगस्त . पूरी दुनिया काशी के कलाकारों की कृतियों की किस कदर कायल है, इसका अंदाजा महज इसी से लगा सकते हैं कि दुनिया के कई बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्ष इन कलाकृतियों को सहर्ष स्वीकार कर रहे हैं. हाल ही में काशी के कलाकारों ने फ्रांस के राष्ट्रपति के तोहफा देने के लिए अपने हाथों से कलाकृति बनाई थी और उन्हें तोहफे में दिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी समय-समय पर यहां के कलाकार अपने हाथों से कलाकृति बनाते रहते हैं. जब कभी–भी प्रधानमंत्री का काशी आना होता है, तो उन्हें यहां के कलाकार भेंट स्वरूप यह तोहफा देते हैं.

काशी की संकरी गलियों में रहने वाले शादाब आलम बनारस जरदोजी के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. तीन पीढ़ी से ये काम इनका परिवार कर रहा है. शादाब इंटरनेशनल लेवल पर काम कर रहे हैं. अमेरिका, इंग्लैंड, यूरोप, मलेशिया के आर्मी का बैज व फ्लैग तैयार कर रहे हैं.

शादाब बताते हैं, “बैज को बारीकी से बुना जाता है. जरी के धातु को छोटा छोटा कट कर के डिजाइन दिया जाता है. 2014 के बाद जरदोजी को जीआई में शामिल किए जानेे के बाद इंटरनेशनल एक्सपोर्ट में काफी काम हुआ है. इसके बाद बैज का ऑर्डर लगातार मिल रहा है. काम करने वाले कारीगरों की भी संख्या बढ़ाई गई है. इसमें 30 महिलाएं और 25 पुरुष हैं. फ्रांस के राष्ट्रपति ए मैन्युअल मैक्रों वाराणसी दौरे पर थे, तब उनके देश का एनवेलप शादाब द्वारा तैयार करके दिया गया था, जिसे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हाथों से दिया और कई बार हाथों से बने अंग वस्त्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया गया है.”

अपने काम के बारे में बताते हुए वो कहते हैं कि इसे डिजाइन करके एक नया लुक दिया जाता है. ये काफी महीन काम होता है और इसमें लाइट की खास जरूरत होती है. 2014 के बाद जरदोजी को जीआई में शामिल होने से हमलोगों के कारोबार में बढ़ोत्तरी हुई है.

पहले हमलोगों का काम 3 महीने में समाप्त हो जाता था लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद इंटरनेशनल एक्सपोर्ट को बढ़ावा मिला है. अब हमारे पास इतने ऑर्डर रहते हैं कि हम समय से पूरा नहीं कर पाते हैं. हमारे यहां काम करने वाले कारीगरों की भी संख्या पहले से बढ़ी है. इस समय 30 महिला और 25 पुरुष कारीगर हैं.

एसएचके/