आवाज हुई रिजेक्ट,लंबी टांगों ने वायु सेना का ख्वाब तोड़ा फिर यूं बने अमिताभ ‘शहंशाह’

नई दिल्ली, 10 अक्टूबर . अमिताभ बच्चन की जिंदगी मिसाल है. किसी फिल्म की मानिंद इसमें एक्शन, रोमांस, कॉमेडी, ट्रैजेडी और वो सब कुछ है जिसमें तप कर ये मिलेनियम स्टार कुंदन बना. 11 अक्टूबर को बिग बी 82 साल के हो जाएंगे. 54 साल अमिताभ ने इस इंडस्ट्री को दिए हैं, जिसमें कई बार उठे तो गिरे भी.

जिस आवाज को ऑल इंडिया रेडियो ने नकारा उससे निराश हताश नहीं हुए बल्कि उसी दम पर खास मुकाम बनाया. अपनी इसी आवाज के जरिए पर्दे पर डेब्यू किया! फिल्म ‘भुवन शोम’ थी. 1969 में एक एक्टर के तौर पर नहीं बल्कि नरेटर के तौर पर हिंदी सिनेमा में कदम रखा. एक्टर खुश थे कि 300 रुपए तो मिले.

काफी संघर्ष के बाद मल्टीस्टारर ‘सात हिंदुस्तानी’ उसी साल यानि 1969 में मिली. इसके लिए 5 हजार रुपए भी मिले. फिर 1971 में ‘रेशमा और शेरा’. इसमें एक छोटा सा रोल मिला था वो भी मूक बधिर युवक छोटू का. फिल्में मिल रही थीं लेकिन वो मुकाम नहीं जिसकी दरकार थी. तभी जिंदगी में ‘आनंद’ ने दस्तक दी और ‘बाबू मोशाय’, ‘आनंद बाबू’ के साथ सबके चहेते बन गए. इनकी ‘बक-बक’ सुनने के लिए लोग थिएटर्स में खिंचे चल आए.

काम मिलने लगा, हरिवंशराय बच्चन का ये बड़ा बेटा अब खुद को स्थापित करने लगा था. फिर आई एक फिल्म जो टर्निंग प्वाइंट साबित हुई और यह थी 1973 की ‘जंजीर’. बॉलीवुड को अपना एंग्री यंग मैन मिल चुका था.

इसके बाद अमिताभ ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. एक से बढ़कर एक ऐसी फिल्में की जिन्होंने इनकी काबिलियत को साबित किया.

सौदागर, दीवार, शोले, लावारिस, चुपके – चुपके, नमक हलाल, नमक हराम, नास्तिक, कालिया, खुद्दार, शराबी, डॉन जैसी फिल्मों के जरिए बॉलीवुड इंडस्ट्री के मयार को ऊंचा रखा. हर जॉनर की फिल्म की. हरेक किरदार बतियाता सा. सहज अभिनय इनकी खासियत थी.

अमिताभ युवाओं के आइकन बन गए. हिप्पी कट बाल, बैल बॉटम और एक हाथ उठाकर डांस करने का स्टाइल सिनेमा लवर्स के दिल में बस गया.

बैरिटोन वॉइस के लोग दीवाने हो गए और लंबी टांगों वाला अमिताभ किसी भी हीरोइन को अब अखरता नहीं था. दरअसल, उस दौर में अमिताभ संग अभिनेत्रियां काम करने से इसलिए इनकार कर दिया करती थीं क्योंकि वो कुछ ज्यादा ही लंबे थे.

वैसे, अपनी हाइट के कारण अमिताभ एक और सपना भी पूरा नहीं कर पाए थे और वो था देश सेवा का. केबीसी में एक्टर ने बताया था कि दिल्ली में एक सैन्य अफसर ने पिता जी से कहा था, “अपना यह बेटा मुझे दे दीजिएगा.” कॉलेज के बाद जब अमिताभ वायुसेना में भर्ती होने के लिए पहुंचे तो इंटरव्यू के दौरान छांट दिए गए. क्यों? क्योंकि टांगें लंबी थीं.

खैर, अमिताभ ने वो सब कुछ हासिल किया जिसके वो हकदार थे. कमियों को ताकत बनाया और बन गए इंडियन फिल्म इंडस्ट्री के शहंशाह.

अमिताभ ने अपने जीवन में हमेशा मूल्यों को महत्व दिया. मां-बाप से जो पाया, उस पर गर्व किया और खुशी से उसे सबसे शेयर भी किया. केबीसी के मंच पर कई ऐसे पल साझा किए हैं जो अनमोल हैं, जो रिश्तों की गहराई को बखूबी बयां करते हैं. जैसे पिता की वो सीख कि जो मन के मुताबिक न हो तो बुरा मत मानना क्योंकि ईश्वर ने तुम्हारे लिए कुछ अच्छा सोच रखा होगा या फिर मां तेजी की झिड़की कि कभी मार खाकर मत आना और खुद को कभी कमजोर मत समझना.

बिग बी ने शुरुआती असफलताओं के बाद सफलताएं भी पाईं तो जीवन की दोपहरी संघर्ष में भी बिताई. राजनीति में एंट्री मारी, संसद पहुंचे लेकिन सांसदी हो नहीं पाई. फिर एबीसीएल नाम से प्रोडक्शन कंपनी खोली जो चल नहीं पाई. सपना टूटा और साथ में आर्थिक संकट से भी जूझे, फिल्म फ्लॉप होती गईं. ऐसे समय में टेलीविजन इंडस्ट्री में प्रवेश किया. लोगों ने मजाक उड़ाया अपनों ने भी मना किया पर बिग बी ने क्विज मास्टर बनना कबूल किया. साल 2000 से ही सीनियर एबी अपने अंदाज से सबके प्यारे बन गए. बिग स्क्रीन का ये सौदागर अब टीवी इंडस्ट्री का भी शहंशाह बन गया है.

केआर/