पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में पीड़ित मां ने कहा, उसे स्थानीय पुलिस पर नहीं है भरोसा

कोलकाता, 17 फरवरी . संदेशखाली में पुलिस की वर्दी में नकाबपोश गुंडों द्वारा छीनकर फेंके गए बच्चे की मां ने शनिवार को पश्चिम बंगाल बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डब्ल्यूबीसीपीसीआर) और मीडिया को बताया कि वह घटना के बाद मदद के लिए पुलिस से मदद मांगनेे नहीं गई थी, क्योंकि उसे स्थानीय पुलिस पर भरोसा नहीं है.

उत्तर 24 परगना जिले के हिंसा प्रभावित संदेशखाली में हुई इस घटना के बारे में शुक्रवार को जिला मजिस्ट्रेट को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) से नोटिस मिलने के बाद डब्ल्यूबीसीपीसीआर घटना के एक सप्ताह बाद जागा.

जैसे ही डब्ल्यूबीसीपीसीआर के सदस्य शनिवार सुबह संदेशखाली पहुंचे, बच्चे की मां ने उस भयावह अनुभव का वर्णन किया जो उसे 10 फरवरी की रात को हुआ था, जब गुंडे घर पर आए, बच्चे को उसकी बाहों से छीन लिया और उसे दूर फेंक दिया.

बच्चे की मां ने कहा कि उस रात जो लोग उसके घर पर आए थे, वे पुलिस की वर्दी में नकाबपोश थे. उनमें से कुछ ने पुलिस द्वारा पहने जाने वाले जूतों के बजाय चप्पलें पहन रखी थीं.

जब डब्ल्यूबीसीपीसीआर सदस्यों ने पूछा कि घटना के तुरंत बाद उन्होंने कोई पुलिस में शिकायत क्यों दर्ज नहीं कराई, तो मां ने कहा कि उन्हें स्थानीय पुलिस पर भरोसा नहीं है.

उन्होंने बातचीत के दौरान उपस्थित मीडियाकर्मियों से कहा,“हमें स्थानीय पुलिस पर भरोसा नहीं है. हम अभी भी बहुत डरे हुए हैं. मेरे पति उत्पीड़न के डर से अभी भी घर से दूर रहते हैं. मुझे डर है कि डब्ल्यूबीसीपीसीआर के सदस्यों के जाने के बाद क्या होगा. मैंने आयोग के सदस्यों को सब कुछ बता दिया है.”

दौरे पर आई डब्ल्यूबीसीपीसीआर टीम के सदस्य ने कहा कि घटना की जानकारी मिलते ही वे सक्रिय हो गए और अब तक उन्हें इसके बारे में कुछ भी पता नहीं है.

शुक्रवार को एनसीपीसीआर ने दक्षिण 24 परगना जिले के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) शरद कुमार द्विवेदी को मामले में त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया.

एनसीपीसीआर अध्यक्ष के प्रधान निजी सचिव धर्मेंद्र भंडारी द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में डीएम से बच्चे के चिकित्सा उपचार की व्यवस्था करने के लिए भी कहा गया है.

उनसे पीड़ित परिवार के सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के अलावा परिवार को पर्याप्त मुआवजा देने और उनका उचित पुनर्वास सुनिश्चित करने को भी कहा गया है.

जिला प्रशासन को अगले 48 घंटों के भीतर आयोग के साथ संबंधित दस्तावेजों के साथ की गई कार्रवाई रिपोर्ट साझा करने का भी निर्देश दिया गया है.

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