कोलकाता, 24 मार्च . कोलकाता हाई कोर्ट में पश्चिम बंगाल के आरजी कर बलात्कार और हत्या मामले की सुनवाई हुई. इस दौरान पीड़ित पक्ष ने सीबीआई के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एसपी) रैंक के अधिकारी की अध्यक्षता में एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) बनाने की मांग की.
पीड़ित परिवार के वकील ने कोलकाता हाई कोर्ट से यह भी अनुरोध किया कि सीबीआई से एक स्थिति रिपोर्ट (स्टेटस रिपोर्ट) मांगी जाए.
आरजी कर बलात्कार और हत्या मामले की सुनवाई करते हुए जज ने कहा, “चार्जशीट में साफ लिखा है कि जांच सीबीआई के अतिरिक्त एसपी रैंक के अधिकारी द्वारा ही की जा रही है. क्या आपने आरोपपत्र की जांच की है?”
जज ने सीबीआई से पूछा, “इस कोर्ट के सामने केस डायरी पेश करें और यह स्पष्ट करें कि क्या आप सामूहिक बलात्कार के आरोप और सबूतों को नष्ट करने की जांच कर रहे हैं.” इस पर अधिवक्ता ने कहा कि इस मामले में दोषी को भी पक्षकार बनाना चाहिए.
न्यायाधीश ने सीबीआई से फिर पूछा, “आप केस डायरी, स्थिति रिपोर्ट और सभी सामग्रियां इस कोर्ट के सामने कब पेश कर सकते हैं?” इस पर सीबीआई के वकील ने कहा कि अगले सप्ताह तक इसे पेश किया जाएगा.
वहीं, बंगाल सरकार की ओर से पेश हुए वकील कल्याण बनर्जी ने सीबीआई पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि सीबीआई इतनी धीमी गति से क्यों काम कर रही है? इसमें देरी क्यों हो रही है? पहले सीबीआई बहुत तेजी से काम करती थी, अब धीमी क्यों हो गई है? इस पर सीबीआई ने कहा कि यह सही नहीं है.
कल्याण बनर्जी ने कहा कि सीबीआई लगभग एक साल से ऐसा कर रही है! क्यों? देश जानना चाहता है. कृपया इसे अगले शुक्रवार को तय करें. “सबूत दें.” उन्होंने आगे कहा कि कृपया इसे रिकॉर्ड पर दर्ज करें कि अगर अदालत आगे की जांच के लिए आदेश देती है तो इस राज्य को कोई आपत्ति नहीं है.
लीगल सर्विस की ओर से कहा गया, “कृपया दोषी को भी इस मामले में पक्ष बनाएं, क्योंकि अगर कोर्ट कोई आदेश देता है तो इससे दोषी को नुकसान हो सकता है. यह उसका अधिकार है.” सीबीआई ने कहा कि अब वह पक्ष नहीं बन सकता, दोषी को यह अधिकार नहीं है.
इसके बाद जज ने कहा, “पहले अपने अधिकार दिखाएं, फिर इस पर विचार होगा.”
कोलकाता हाई कोर्ट के न्यायाधीश तीर्थंकर घोष ने कहा, “सीबीआई 28 मार्च को सुनवाई की अगली तारीख पर केस डायरी पेश करेगी. केस डायरी और स्थिति रिपोर्ट को पहले कोर्ट में जमा करना होगा. यह कोर्ट इस मामले की सुनवाई फिर से 28 मार्च को करेगा.”
वहीं, पीड़ित परिवार के वकील शमीम अहमद ने बताया कि एक कानूनी उलझन थी कि क्या हाई कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर सकता है, जबकि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि हाई कोर्ट हमारी याचिका पर सुनवाई कर सकता है. तो, आज के मामले के हिसाब से कोर्ट ने सीबीआई को रिपोर्ट देने और केस डायरी जमा करने का आदेश दिया है. इससे कोर्ट यह जान सकेगा कि सीबीआई ने जांच में क्या-क्या किया है.
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एफएम/केआर