बिहार में भूमि सर्वे पर जागरूकता बढ़ाने के लिए नुक्कड़ नाटक का सहारा

पटना, 27 जनवरी . बिहार सरकार भूमि सर्वे को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाने में जुटी है. इसे लेकर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने भूमि सर्वे के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाने के लिए नुक्कड़ नाटक का सहारा लेने का निर्णय लिया है. भूमि सर्वे पर तैयार नुक्कड़ नाटक का प्रस्तुतीकरण सोमवार को पटना के सर्वे प्रशिक्षण संस्थान में किया गया.

45 मिनट के नुक्कड़ नाटक में भूमि सर्वे से संबंधित जटिल विषय को आम बोलचाल की सरल भाषा में समझाने का प्रयास किया गया है. नाटक को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अधिकारियों और कर्मियों ने सामूहिक रूप से देखा. इस दौरान कई सलाह और सुझाव भी दिए गए, जिन्हें अब स्क्रिप्ट में शामिल किया जाएगा. इस अवसर पर विभाग के सचिव जय सिंह और भू अभिलेख एवं परिमाप निदेशक कमलेश कुमार सिंह उपस्थित थे.

सचिव जय सिंह ने कहा कि अभी भी रैयतों को भूमि संबंधी तकनीकी मुद्दों को समझने में दिक्कत होती है. किस्तवार, खानापुरी, सुनवाई, कैथी लिपि, भू-अभिलेख पोर्टल के बारे में सही जानकारी का अभाव है. नुक्कड़ नाटक के जरिए गांवों के लोगों को आसानी से इन बारीकियों को समझाया जा सकेगा.

उन्होंने बताया कि इससे सर्वे के काम में उनकी दिलचस्पी बढ़ेगी, जिससे सर्वे कर्मियों को भी अपने काम को समय से निपटाने में सहूलियत होगी. विभाग इसके अलावा कई अन्य तरीकों से लोगों को जागरूक करने की दिशा में काम कर रहा है.

विभाग रेडियो और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी सर्वे के बारे में बता रहा है. विभाग के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लगातार जानकारी दी जा रही है. सर्वे की सफलता के लिए जरूरी है कि लोगों को इससे संबंधित सभी जानकारी उपलब्ध हो.

बताया गया कि नुक्कड़ नाटक का आयोजन अगले माह बिहार के सभी 534 अंचलों में एक साथ किया जाएगा. प्रत्येक अंचल में एक नाटक मंडली को दो दिन प्रस्तुतीकरण देना है. एक मंडली प्रत्येक दिन दो स्थानों पर नुक्कड़ नाटक का मंचन करेगी. इस प्रकार एक अंचल में चार जगहों पर इस नुक्कड़ नाटक का प्रदर्शन किया जाएगा.

एक माह तक चलने वाले इस आयोजन में करीब चार दर्जन नाटक मंडलियां हिस्सा लेंगी. प्रत्येक मंडली में 10 कलाकार होंगे. इस नुक्कड़ नाटक का नाम ‘चली सरकार जनता के द्वार, आपकी जमीन आपके नाम’ रखा गया है. नाटक में मुखिया और राजस्व अधिकारी के जरिए सर्वे के तकनीकी पहलुओं को समझाने का प्रयास किया गया है. बीच-बीच में गीत-संगीत का सहारा लिया गया है.

एमएनपी/एबीएम