नैनोटेक्नोलॉजी की सफलता से ब्रेस्‍ट कैंसर के घातक स्‍वरूप का हो सकता है प्रभावी उपचार : अध्ययन

सिडनी, 24 मार्च . ब्रेस्‍ट कैंसर के सबसे घातक रूपों में से एक ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर (टीएनबीसी) के उपचार के ल‍िए ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ता अगली पीढ़ी के नैनोकणों का विकास कर रहे हैं.

समाचार एजेंसी श‍िन्‍हुआ ने सोमवार को बताया कि क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के ऑस्ट्रेलियाई जैव अभियांत्रिकी और नैनो प्रौद्योगिकी संस्थान (एआईबीएन) के अनुसार शोधकर्ता एक नए लौह-आधारित नैनोकणों, या “नैनो-एडजुवेंट्स” को डिजाइन कर रहे हैं. इसके तहत बालों के एक ही रेशे पर हजारों नैनोकणों को फिट क‍िया जा सकता है. इसका उद्देश्‍य टीएनबीसी के खिलाफ शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को मजबूत करना है.

एआईबीएन के प्रोफेसर यू चेंगझोंग के अनुसार, अन्य ब्रेस्‍ट कैंसरों के विपरीत, टीएनबीसी में अन्य कैंसरों के खिलाफ इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ पारंपरिक उपचारों द्वारा लक्षित प्रोटीन की कमी होती है, जिससे प्रभावी उपचार करना एक चुनौती बन जाता है.

यू ने कहा, “इम्यूनोथेरेपी के बावजूद, ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर के खिलाफ इसकी प्रभावशीलता बेहद सीमित है. इससे प्रभावी उपचार नहीं हो पाता. ऐसी अवस्‍था में शोध के जर‍िए नए व‍िकल्‍प की तलाश की जा रही है.”

यू के अनुसार नैनोकणों को ट्यूमर माइक्रो एनवायरनमेंट के भीतर टी-कोशिकाओं से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा उपयोग की जाने वाली श्वेत रक्त कोशिकाओं की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इससे कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और उन पर हमला करने की प्रतिरक्षा प्रणाली की क्षमता में वृद्ध‍ि होती है.

राष्ट्रीय स्वास्थ्य और चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा तीन मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (1.89 मिलियन डॉलर) की मदद से पांच वर्षीय शोध परियोजना का उद्देश्य ब्रेस्‍ट कैंसर के उपचार को और प्रभावी बनाना है. यह नई पहल न केवल टीएनबीसी के लिए, बल्कि डिम्बग्रंथि के कैंसर के उपचार के ल‍िए भी मार्ग प्रशस्त कर सकता है.

नैनो टेक्नोलॉजी और नैनो मेडिसिन में दो दशकों से अधिक के अनुभव के साथ, यू को उम्मीद है कि यह सफलता इम्यूनोथेरेपी को अधिक प्रभावी बनाकर कैंसर उपचार को बदल देगी.

एआईबीएन के निदेशक एलन रोवन ने कहा, “यह शोध विज्ञान की सीमाओं को आगे बढ़ाएगा और ऐसे नए उपचार खोजेगा, जो इस कैंसर से लड़ने के हमारे तरीके को बदल देंगे. यह जीवन व मृत्‍यु के बीच संघर्ष कर रहीं महिलाओं के लिए आशा की किरण बनेगा.”

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