पटना, 31 दिसंबर . बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा रद्द करने और इसकी फिर से परीक्षा लेने की मांग को लेकर शुरू हुए छात्र आन्दोलन में राजनीतिक दलों के नेताओं के कूद जाने के बाद अब यह आन्दोलन राजनीतिक अखाड़ा बनते जा रहा है.
दरअसल, करीब सभी राजनीतिक दल अगले साल होने वाले चुनाव की तैयारी में जुटे हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि इस मामले के जरिये राजनीतिक दल युवाओं और छात्रों के हितैषी बनने का यह मौका छोड़ना नहीं चाहते. कहा तो यहां तक जा रहा है कि चुनावी साल में करीब सभी राजनीतिक दल इस आंदोलन की गर्मी में राजनीतिक रोटी सेंकना चाह रहे हैं.
वैसे देखा जाए तो इस परीक्षा की शुरुआत में ही नॉर्मलाइजेशन को लेकर छात्र सड़कों पर उतरे थे. हालांकि आयोग की सफाई के बाद यह मामला शांत हो गया. लेकिन पीटी की परीक्षा के दौरान हुए पटना के बापू भवन स्थित परीक्षा केंद्र में अनियमितता को लेकर हुए हंगामे और इस परीक्षा केंद्र पर हुई परीक्षा को रद्द करने और फिर से पुनर्परीक्षा लिए जाने के आयोग के निर्णय के बाद अभ्यर्थी पूरी परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. इसके बाद बड़ी संख्या में अभ्यर्थी पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल पहुंचे और धरना पर बैठ गए.
अब अभ्यर्थियों की नाराजगी का मुद्दा बड़ा हो गया है. बीते करीब दो सप्ताह से चल रहा बीपीएससी अभ्यर्थियों का आंदोलन अब राजनीतिक रूप ले चुका है. विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने जब धरनास्थल पहुंचकर छात्रों के आन्दोलन का समर्थन दिया तो फिर जन सुराज प्रशांत किशोर और निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने भी मोर्चा संभाल लिया. पप्पू यादव ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल से मुलाकात की तो प्रशांत किशोर मुख्य सचिव के पास छात्रों के एक प्रतिनिधिमंडल को लेकर पहुंच गए. फिलहाल परीक्षा रद्द करने को लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ लेकिन इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक बयानबाजियों का दौर जारी है.
नेता एक -दूसरे को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का खेल कर रहे हैं. इधर, राजनीति के जानकार अजय कुमार कहते हैं कि चुनावी वर्ष की शुरुआत होने वाली है. कोई भी दल इस मौके के जरिये अपने वोट बैंक में इजाफा करने की चेष्टा करेगा. छात्र भी इस स्थिति में हैं कि जो भी इनकी मदद की बात करते नजर आता है, उनके साथ ये हो लेते हैं.
हालांकि, इस आन्दोलन की शुरुआत करने वाले छात्र नेता दिलीप कुमार कहते हैं कि जो भी पार्टी विपक्ष में रहती है, उस पार्टी के नेता हो रहे आंदोलन के साथ चले जाते हैं. वह समर्थन देने का दिखावा करते हैं. लेकिन जब सरकार में आते हैं, तो चुप्पी साध लेते हैं, लाठी चार्ज करवाते हैं. वे चाहे किसी भी पार्टी के नेता हों. उन्होंने यह भी कहा कि इस आन्दोलन का पूरा राजनीतिकरण कर दिया गया.
उल्लेखनीय है कि 13 दिसंबर को आयोजित संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा आयोजित की गई थी. बीपीएससी ने बापू परीक्षा परिसर में परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों के लिए फिर से परीक्षा आयोजित करने का आदेश दिया है. दूसरी तरफ छात्र पूरी परीक्षा को रद्द कराने की मांग को लेकर पटना के गर्दनीबाग में धरने पर बैठे हुए हैं. बहरहाल, अब देखना होगा कि छात्रों की मांगों को लेकर सरकार या आयोग क्या निर्णय लेती है.
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एमएनपी/एएस