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New Delhi, 20 नवंबर . सनातन धर्म में गंगा को मां का दर्जा दिया गया है. माना जाता है कि गंगा केवल एक नदी नहीं बल्कि करुणा और पवित्रता की प्रतीक है. पुराणों में वर्णन है कि गंगा ऋषि-मुनियों की तपस्या से पृथ्वी पर अवतरित हुईं और मनुष्यों के पाप और दुख हरने लगीं. यही कारण है कि हरिद्वार सहित कई स्थानों पर अस्थि-विसर्जन किया जाता है, ताकि आत्मा को शांति मिल सके.
गंगा जल को सदियों से पूजा-पाठ में उपयोग करते आए हैं. इतना ही नहीं, इसके अनगिनत उपाय भी हैं जो आज भी किए जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि जिस घर में गंगा जल रखा होता है, वहां सकारात्मक ऊर्जा रहती है. लोग पूजा के बाद घर के कोनों में गंगाजल का छिड़काव करते हैं, ताकि नकारात्मकता दूर हो और शांति का माहौल बने.
कहा जाता है कि अगर घर में क्लेश या टकराव बढ़ गया हो, तो रोज सुबह थोड़ा-सा गंगाजल छिड़कने से वातावरण हल्का और शांत हो जाता है. कुछ लोग यह भी मानते हैं कि बिस्तर पर गंगाजल छिड़क कर सोने से बुरे सपने नहीं आते.
पूजा-पाठ में गंगाजल का महत्व सबसे ज्यादा बताया गया है. विशेषकर Monday की शिव पूजा में शिवलिंग को गंगाजल से अभिषेक करना अत्यंत शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इससे भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं. इसी तरह नजर दोष दूर करने के लिए भी गंगाजल से छींटे मारने की परंपरा है, जो कई परिवार आज भी निभाते हैं.
शनि के अशुभ प्रभाव से राहत के लिए Saturday को पीपल पर गंगाजल मिला हुआ जल चढ़ाने का उपाय बताया गया है. तरक्की और सफलता के लिए गंगाजल को पूजा स्थल या किचन में रखने की परंपरा भी है. कुछ लोग कर्ज या परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए पीतल की बोतल में गंगाजल भरकर उत्तर-पूर्व दिशा में रखते हैं.
वैज्ञानिक दृष्टि से भी लोग यह बताते हैं कि गंगाजल लंबे समय तक खराब नहीं होता. यही वजह है कि लोग इसे बोतल में वर्षों तक सुरक्षित रखते हैं.
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पीआईएम/एबीएम