आसमान कभी सीमा नहीं था, न हमारे लिए, न भारत के लिए : शुभांशु शुक्ला

Lucknow, 9 सितंबर . ‘आसमान कभी सीमा नहीं था- न मेरे लिए, न आपके लिए, न India के लिए.’ भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन और अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से लौटने वाले भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने Tuesday को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के 23वें दीक्षांत समारोह में यह संदेश देकर मेधावी छात्रों को नई उड़ान का संकल्प सौंपा.

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के 23वें दीक्षांत समारोह में Governor आनंदीबेन पटेल से मानद डी.एससी. की उपाधि ग्रहण करते हुए शुभांशु ने छात्रों से कहा कि दीक्षांत कोई अंत नहीं, बल्कि नई उड़ान की शुरुआत है. अब डिग्री से आगे की असली परीक्षा जीवन के फैसले, जिम्मेदारियां और देश की उम्मीदें होंगी.

उन्होंने कहा कि आज से आपको कोई टाइम-टेबल फॉलो नहीं करना होगा, न कोई प्रोफेसर याद दिलाएगा. अब खुद सीखना होगा, खुद टेस्ट देना होगा और खुद ही पास करना होगा. आजादी मिली है, लेकिन यह सिर्फ आपके लिए नहीं, बल्कि India के लिए भी है. करियर और सपनों की दौड़ में प्रक्रिया का आनंद लेना न भूलें. असफलताओं से सीखें, छोटी-छोटी जीतों का जश्न मनाएं और दोस्तों के साथ हंसना कभी न छोड़ें.

शुभांशु ने कहा कि India अब पीछे छूटने वाला देश नहीं, बल्कि भविष्य गढ़ने वाला नेतृत्वकारी राष्ट्र है—जहां 2035 तक अपना अंतरिक्ष स्टेशन और 2040 तक चांद पर भारतीय कदम रखने का लक्ष्य है.

इस मौके पर शुभांशु ने मेधावी छात्र-छात्राओं से कहा कि आपके हाथों में जो यह डिग्री है, उसके पीछे आपके माता-पिता की अनगिनत जागी हुई रातें, शिक्षकों का धैर्य और परिवार के त्याग शामिल हैं. यह जीवन का सबसे बड़ा सबक है कि कोई भी अकेले सफल नहीं होता. आज से आपको कोई प्रोफेसर कुछ बताने नहीं आएगा; अब आपको अपनी लाइफ में क्या सीखना है, वह खुद ही सीखना होगा, खुद ही टेस्ट देना होगा, खुद ही उसे पास करना होगा और आगे का निर्णय लेना होगा.

उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में जाने के बाद मुझे जैसा अनुभव हुआ था, वैसा ही अनुभव अब आपको यह डिग्री पूरी होने के बाद लाइफ में आगे महसूस होगा. आज भले ही यह आपको आपकी शैक्षिक यात्रा का अंत लगे, पर दीक्षांत समापन नहीं है, यह तो आपका लॉन्च पैड है. अब तक आपकी ज़िंदगी टाइम-टेबल, उपस्थिति और परीक्षाओं से बंधी थी. कल से न तो कोई प्राध्यापक आपको डेडलाइन याद दिलाएगा और न ही कोई अंकपत्र बताएगा कि आप अच्छे हैं या नहीं. अब प्रतिक्रिया आपको अवसरों, विश्वास और आपके द्वारा किए गए प्रभाव के रूप में मिलेगी. यह उत्साहजनक और चुनौतीपूर्ण भी है.

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता रोमांचक है, लेकिन जिम्मेदारी भी साथ लाती है. प्रतीक्षा बर्बादी नहीं, बल्कि तैयारी है. इस विश्वविद्यालय से बाहर निकलते समय, इतनी जल्दी पहुंचने की जल्दी में मत रहिए कि जीना ही भूल जाएं. करियर का पीछा कीजिए, लक्ष्यों का पीछा कीजिए, सपनों का पीछा कीजिए, लेकिन अपने दोस्तों के साथ हंसना मत भूलिए.

शुभांशु ने कहा कि आप ऐसे समय में स्नातक हो रहे हैं जब India अपनी अंतरिक्ष यात्रा के सबसे रोमांचक चरण में है. हम इसरो के चंद्रयान-3 मिशन से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाले पहले देश बने. मिशन गगनयान भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर रहा है. 2035 तक हमारा लक्ष्य है एक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और 2040 तक एक भारतीय का चंद्रमा पर कदम रखना.

उन्होंने कहा कि यह वह India नहीं है जो पिछड़कर पकड़ने की कोशिश कर रहा था; यह वही India है जो नेतृत्व कर रहा है, नवाचार कर रहा है और भविष्य को आकार दे रहा है. यह वही India है जो आपका इंतजार कर रहा है. शुभांशु ने इस दौरान अपने दो वादों के बारे में बताते हुए कहा कि मैं मानता हूं कि India का अंतरिक्ष क्षेत्र हमारे ‘विकसित India 2047’ के लक्ष्य को पूरा करने में परिवर्तनकारी शक्ति रखता है. यह सिर्फ़ सपना नहीं, बल्कि जिम्मेदारी है जिसे हमें मिलकर निभाना है. दूसरा, India का अंतरिक्ष उद्योग अब तेजी से उभर रहा है. कुछ साल पहले तक लगभग नगण्य उपस्थिति थी, और आज लगभग 400 स्टार्टअप्स इसमें काम कर रहे हैं. आने वाले वर्षों में ये संख्या और बढ़ेगी.

उन्होंने कहा कि अक्सर छात्रों को छह महीने या उससे अधिक का अतिरिक्त प्रशिक्षण चाहिए होता है. यह अंतर विश्वविद्यालय स्तर पर भरा जा सकता है. मुझे गर्व है कि एकेटीयू अपने कई परिसरों में “सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन स्पेस” की स्थापना करेगा. इसके अलावा, एकेटीयू निजी अंतरिक्ष कंपनियों के साथ एमओयू भी करेगा.

विकेटी/एसके