नई दिल्ली, 27 मई . केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के उस बयान पर पलटवार किया, जिसमें कांग्रेस सांसद ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि एससी, एसटी और ओबीसी के योग्य उम्मीदवारों को ‘नॉट फाउंड सूटेबल’ बताकर खारिज किया जा रहा है और यह एक “नए तरीके का मनुवाद” है.
धर्मेंद्र प्रधान ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस के “शाही परिवार” ने एससी, एसटी और ओबीसी को हमेशा छला है, लेकिन शहजादे को अपने ही परिवार का वंचित और दलित विरोधी इतिहास पता नहीं है. जिस एनएफएस ‘नॉट फाउंड सूटेबल’ की बात राहुल गांधी कर रहे हैं, वह बाबा साहेब का नाम लेकर राजनीति करने वाली दलित, शोषित और वंचित विरोधी कांग्रेसी सोच की ही देन थी.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर राहुल गांधी के वीडियो को रिपोस्ट करते हुए लिखा, “राहुल गांधी और पूरी कांग्रेस पार्टी आज देश में झूठ और फरेब की सबसे बड़ी ब्रांड एंबेसडर बन चुकी है. एससी, एसटी और ओबीसी को कांग्रेस के शाही परिवार ने हमेशा छला है, मगर शहजादे को अपने ही परिवार का वंचित और दलित विरोधी इतिहास पता नहीं है. इसीलिए आए दिन कांग्रेस आयातित टूलकिट के आधार पर शहजादे के लिए झूठ से भरी पोटली लेकर हाजिर हो जाती है. लंबे समय तक शासन करने के बाद भी कांग्रेस ने दलित, पिछड़ों और शोषितों को उनके अधिकारों से वंचित रखा. साल 2014 में जब यूपीए की सरकार गई, उस दौरान केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 57 प्रतिशत एससी, 63 प्रतिशत एसटी और 60 प्रतिशत ओबीसी वर्ग के शिक्षकों के पद रिक्त थे, जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने सत्ता में आने के साथ ही भरने का काम किया है. साल 2014 में रिक्त पदों की संख्या 37 प्रतिशत थी जो आज 25.95 प्रतिशत है और प्रधानमंत्री मोदी की सरकार में आज भी इन रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया निरंतर जारी है.”
केंद्रीय मंत्री ने लिखा कि कांग्रेस के 2004-14 के कार्यकाल में जहां आईआईटी में सिर्फ 83 एससी, 14 एसटी और 166 ओबीसी फैकल्टी थी, वहीं एनआईटी में केवल 261 एससी, 72 एसटी और 334 नियुक्तियां हुईं. वहीं मोदी सरकार के कार्यकाल 2014-24 के दौरान आईआईटी में 398 एससी, 99 एसटी और 746 ओबीसी तथा एनआईटी में 929 एससी, 265 एसटी और 1,510 ओबीसी शिक्षक नियुक्त हुए हैं. मोदी सरकार ने असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए पीएचडी की अनिवार्यता खत्म की.
उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए लिखा, “जिस एनएफएस ‘नॉट फाउंड सूटेबल’ की बात राहुल गांधी कर रहे हैं, वह बाबा साहेब का नाम लेकर राजनीति करने वाली दलित, शोषित और वंचित विरोधी कांग्रेसी सोच की ही देन थी. आजादी के उपरांत कांग्रेस की नीति के कारण ही यह एनएफएस अब तक चलता आ रहा था, जिस कारण एससी, एसटी और ओबीसी के हक मारे जाते थे. उस अन्याय से वंचित वर्ग को मुक्ति दिलाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की सामाजिक न्याय को समर्पित सरकार ने पहली बार द सेंट्रल एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन (रिजर्वेशन इन टीचर्स कैडर) एक्ट, 2019 लाया गया, जिसके उपरांत एनएफएस अब इतिहास है. अब एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित पद किसी भी अन्य वर्ग द्वारा भरा नहीं जाएगा, यह प्रधानमंत्री मोदी की ही देन है. साथ ही मोदी सरकार ने अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के आरक्षण में आ रही बाधाओं को भी समाप्त किया है, जो कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारें कभी नहीं कर सकीं.”
धर्मेंद्र प्रधान ने तंज कसते हुए लिखा, “कांग्रेस पार्टी को पीलिया हुआ है इसीलिए उनको सब कुछ पीले रंग का ही दिखाई पड़ता है, या यूं कहें कि हर अच्छे में भी उन्हें बुरा ही दिखाई पड़ता है. बात-बात पर संविधान का नाम लेने वाली कांग्रेस पार्टी स्वयं बाबा साहेब के संविधान पर सबसे बड़ा हमला है और आज देश का युवा जानता है कि असली सामाजिक न्याय का काम अगर किसी ने किया है, तो वह मोदी सरकार ने किया है और कांग्रेस चाहे जितना झूठ चला ले, देश के युवाओं का प्रधानमंत्री मोदी पर विश्वास अडिग है.”
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एसके/एकेजे