राम जन्मभूमि मंदिर के लिए कृष्ण की नगरी में तैयार हुआ था रोडमैप, पीएम मोदी भी थे उस धर्म संसद का हिस्सा

नई दिल्ली, 25 फरवरी . अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद 23 जनवरी से यह मंदिर आम लोगों के लिए खुल गया. बता दें कि 500 साल से ज्यादा समय तक चले राम जन्मभूमि विवाद के बाद पीएम मोदी के प्रयास से अब देश-दुनिया के राम भक्तों के लिए खुशी का क्षण आया. लेकिन, कम ही लोग जानते हैं कि राम जन्मभूमि के लिए आरएसएस, भाजपा और अन्य का संघर्ष कैसा रहा होगा. इसका ब्लूप्रिंट श्रीकृष्ण की भूमि पर तैयार किया गया था.

पीएम मोदी हाल ही में मथुरा गए थे और तब उनकी बातों से ऐसा लग गया था कि प्रभु श्रीराम को उनके मंदिर में स्थापित कर देने के बाद अब बारी मथुरा की है. इसे संवारने का काम भी उनके हाथों ही होगा. इसके पहले पीएम मोदी अपने लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में स्थित काशी-विश्वनाथ मंदिर और उनकी नगरी को संवारने का काम कर चुके हैं और आज भी उनकी तरफ से काशी मेंं बचे हुए कामों को आगे बढ़ाने का प्रयास सतत जारी है.

सोशल मीडिया एक्स पर मोदी आर्काइव अकाउंट पर इसके बारे में जानकारी साझा की गई है. इसमें लिखा गया है कि श्री राम जन्मभूमि मंदिर का खाका श्री कृष्ण की धरती से तैयार किया गया था. इसके अनुसार 1991 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की एक बैठक वृन्दावन में हुई थी. इस बैठक में नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए थे. वह तब भाजपा के कार्यकर्ता के तौर पर काम कर रहे थे. वह संघ से पहले से ही जुड़े थे. ऐसे में वह आरएसएस प्रतिनिधियों की इस बैठक में शामिल होने आये थे.

इसके साथ एक फोटो भी शेयर किया गया है, इसमें उन्हें जमीन पर बैठकर दूसरों के साथ खाना खाते देखा जा सकता है. इस बैठक के दौरान आरएसएस की तरफ से अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर के निर्माण के लिए हर तरह के बलिदान का संकल्प लिया गया था. साथ ही राम जन्मभूमि आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए लोग यहां सकल्पित हुए थे. इसी धर्म संसद बैठक के बाद ही विश्व हिंदू परिषद ने भी अयोध्या में कारसेवा फिर से शुरू करने का संकल्प लिया था.

बता दें कि इसके बाद से भाजपा के हर घोषणापत्र में श्रीराम मंदिर प्रमुखता से शामिल रहा. वहीं अब मोदी आर्काइव से पीएम मोदी की इस पुरानी तस्वीर के वायरल होने के बाद ऐसा लगने लगा है कि अब मथुरा के विकास का रोडमैप भी पीएम मोदी के मन में तैयार होगा. क्योंकि काशी और अयोध्या के विकास के बाद वह मथुरा के विकास की बात भी कह चुके हैं.

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