मुंबई और शिवसेना का संबंध बहुत गहरा है, शिवाजी पार्क में रैली यूबीटी ही करेगी : आनंद दुबे

मुंबई, 10 नवंबर . मुंबई के शिवाजी पार्क में 17 नवंबर को बाल ठाकरे की पुण्यतिथि पर शिवसेना (यूबीटी) ने रैली के लिए स्थानीय प्रशासन से अनुमति मांगी थी. इसके बाद राज ठाकरे की महाराष्ट्र नव निर्माण सेना ने भी उसी पार्क में उसी दिन रैली के लिए प्रशासन से अनुमति मांगी है. इस पर दोनों पार्टियों के बीच रार बढ़ गई है. शिवसेना (यूबीटी) नेता आनंद दुबे ने से बात करते हुए पार्टी का पक्ष रखा.

आनंद दुबे ने कहा, “शिवाजी पार्क और शिवसेना का संबंध आज का नहीं है. यह एक गहरा और अटूट नाता है. जब बालासाहेब ठाकरे ने 1966 में शिवसेना की स्थापना की थी, तभी से शिवाजी पार्क हमारी रैलियों का स्थल रहा है. आपने देखा होगा कि जब शिवसेना को धोखे से तोड़ा गया और पार्टी के दो हिस्से किए गए, तब भी जब हमने अनुमति मांगी, तो नकली शिवसेना ने भी वही आवेदन किया था. फिर भी, हम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद वहां रैली करने में सफल हुए. अब, अगर 17 तारीख को, बालासाहेब ठाकरे की पुण्यतिथि पर हम शिवाजी पार्क में रैली करना चाहते हैं, तो हम जानते हैं कि भारतीय जनता पार्टी और महाराष्ट्र नव निर्माण सेना इस मौके पर हमारी रैली को रुकवाने के लिए आकर आवेदन करेगी. लेकिन हमें पूरा यकीन है कि शिवाजी पार्क पर रैली हमारी ही होगी, क्योंकि मुंबई और शिवसेना का संबंध बहुत गहरा नाता है. मुंबई मतलब शिवसेना, और शिवसेना मतलब मुंबई.”

उन्होंने आगे कहा, “यदि विरोधी पार्टियां हमें धोखा देने के लिए कोई षड्यंत्र करती हैं, तो हम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने में संकोच नहीं करेंगे. चुनाव आयोग से सवाल है कि आचार संहिता लागू करने वाले अधिकारी कहां हैं? एक ऐसी पार्टी जिसे पिछले कई दशकों से शिवाजी पार्क पर रैलियां करने का हक है, उस पार्टी को अनुमति न देना गलत है. हम यह मानते हैं कि चुनाव आयोग को महाराष्ट्र नव निर्माण सेना को रैली की अनुमति देने की बजाय शिवसेना को प्राथमिकता देनी चाहिए, क्योंकि यह हमारी ऐतिहासिक जगह है. विरोधी पार्टियां सिर्फ चुनाव में वोट काटने के लिए भाजपा का समर्थन कर रही हैं, लेकिन शिवसेना के समर्थक और बालासाहेब ठाकरे के विचारों को मानने वाली जनता हमसे हमेशा जुड़ी रही है. हम विश्वास रखते हैं कि 17 नवंबर को शिवाजी पार्क पर रैली सिर्फ शिवसेना की होगी, और यह रैली महाराष्ट्र भर से लाखों लोगों को आकर्षित करेगी. चुनाव आयोग को इस पर फैसला करते समय सिर्फ कानून और नियमों का पालन करना चाहिए, और पहले से आवेदन करने वाली पार्टी को प्राथमिकता देनी चाहिए.”

पीएसएम/एकेजे