‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का प्रस्ताव क्षेत्रीय दलों और जनता के हित में नहीं : महुआ माजी

रांची, 12 दिसंबर . राज्यसभा में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की सांसद महुआ माजी ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव पर विरोध जताया है. उन्होंने कहा कि भाजपा इस व्यवस्था को लागू करना चाहती है, लेकिन इससे क्षेत्रीय दलों और आम जनता को नुकसान उठाना पड़ेगा.

गुरुवार को रांची में मीडिया से बात करते हुए महुआ माजी ने कहा कि इंडिया गठबंधन के ज्यादातर नेता इस प्रस्ताव को नुकसानदेह मानते हैं.

उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय दल जनता से सीधे-सीधे जुड़ती हैं. जंगल, पहाड़ और दुर्गम इलाकों में रहने वाले लोगों का क्षेत्रीय दलों से ज्यादा जुड़ाव रहता है, क्योंकि वे उनके हितों की बातें करती हैं और उनके मुद्दों को उठाती हैं. केंद्रीय स्तर पर एक-दो पार्टियां राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर संसदीय चुनाव लड़ती हैं. लेकिन, विधानसभाओं के चुनाव में लोगों के स्थानीय मुद्दे महत्वपूर्ण होते हैं. ऐसे में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की व्यवस्था लागू होने से लोग दिग्भ्रमित हो जाएंगे और उनकी रोज की जिंदगी से जुड़े मुद्दे चुनाव में गौण हो जाएंगे.

झारखंड में हाल में हुए विधानसभा चुनाव का उदाहरण देते हुए राज्यसभा सांसद ने कहा कि बाहर से ‘कुछ पक्षी’ उड़कर यहां आए. उन्होंने नफरत वाले मुद्दों को हवा देकर लोगों को लड़ाने-भिड़ाने की कोशिश की. उनकी चली नहीं और वापस चले गए. इससे साफ जाहिर है कि उनके फर्जी मुद्दे नहीं चले, लेकिन ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ लागू होने से बड़ी पार्टियां एक मुद्दे को लेकर चुनाव लड़ेंगी. इससे जनता के स्थानीय मुद्दों को प्राथमिकता नहीं मिल पाएगी और वह ठगी रह जाएगी.

केंद्रीय कैबिनेट ने गुरुवार को ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ से जुड़े विधेयक को मंजूरी दी. संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है, इसी सत्र में यह बिल संसद में पेश किया जा सकता है.

केंद्रीय कैबिनेट ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर रामनाथ कोविंद समिति की रिपोर्ट को पहले ही मंजूरी दे दी है. यह बिल पूरे देश में एक चुनाव का मार्ग प्रशस्त करता है.

सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार अब विधेयक (बिल) पर आम सहमति बनाना चाहती है. सरकार इसे विस्तृत चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति या जेपीसी के पास भेज सकती है.

एसएनसी/एबीएम