कोयंबटूर, 16 अगस्त . कोयंबटूर की सड़कों पर लगने वाले जाम की स्थिति काफी गंभीर होती जा रही है. यहां हर दिन जब गाड़ियां फुटपाथ पर चलने लगती हैं और मुख्य सड़कों पर जाम लगा देती हैं, तो लोगों को हमेशा याद आता है कि नगर निगम ने पार्किंग नीति बनाने का वादा तो किया था, लेकिन उसे आज तक लागू नहीं किया.
करीब दो साल तक योजनाएं बनीं, अध्ययन हुए और चर्चा की गई, पर नगर निगम और पुलिस द्वारा शुरू की गई पहल अधर में लटक गई. नतीजा यह हुआ कि ट्रैफिक की समस्या और पैदल चलने वालों की सुरक्षा दोनों और बिगड़ गई.
साल 2022 में उम्मीद जगी थी, जब कोयंबटूर नगर निगम ने परिवहन और विकास नीति संस्थान (आईटीडीपी) से सड़क किनारे पार्किंग व्यवस्था की व्यवहार्यता पर अध्ययन करवाया. आर.एस. पुरम और रेस कोर्स इलाके को पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुना गया था. उम्मीद थी कि कोयंबटूर भी चेन्नई की तरह औपचारिक पार्किंग नीति अपना लेगा.
18 नवंबर 2022 को अधिकारियों, पुलिस, विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की बड़ी बैठक हुई और एक विस्तृत रिपोर्ट भी तैयार की गई, जिसे 2023 के बजट में शामिल किया जाना था. लेकिन इसके बाद योजना ठंडे बस्ते में चली गई.
इस बीच स्थिति और बिगड़ गई. दोपहिया और कारें लगातार फुटपाथ पर खड़ी की जाती हैं, जिससे पैदल यात्री मजबूरी में सड़क पर उतरते हैं और जाम और बढ़ जाता है. सामाजिक कार्यकर्ता एम. राजेंद्रन कहते हैं, “हम सालों से मांग कर रहे हैं कि निगम ठीक से पार्किंग स्थान चिन्हित करें और नियम लागू करें. फुटपाथ लोगों के लिए होते हैं, गाड़ियों के लिए नहीं.”
आलोचना के बाद नगर निगम आयुक्त एम. शिवगुरु प्रभाकरण ने कहा कि योजना को दोबारा शुरू किया गया है और पहले चरण में आर.एस. पुरम चुना गया है. यहां नौ सड़कों को पार्किंग के लिए चिन्हित किया गया है, जिनमें भुगतान वाली पार्किंग और नो-पार्किंग क्षेत्र शामिल हैं. इस योजना को डी.बी. रोड पर बने मल्टी लेवल कार पार्किंग से भी जोड़ा जाएगा.
आयुक्त के अनुसार, आईटीडीपी का नया अध्ययन यह देखेगा कि सड़क पर कितनी गाड़ियां खड़ी हो सकती हैं, कार और दोपहिया के लिए अलग जगह कहां बनेगी, व्यस्त समय में कितनी जगह चाहिए और पार्किंग शुल्क कितना हो सकता है. उन्होंने माना कि लोग भुगतान वाली पार्किंग का विरोध कर सकते हैं, लेकिन उनकी चिंताओं का समाधान करने के बाद ही नीति लागू होगी.
फिर भी लोग संदेह में हैं. पहले भी डी.बी. रोड पर भुगतान वाली पार्किंग योजना विरोध के कारण बंद करनी पड़ी थी. निगम भी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए सावधानी बरत रहा है.
अब जब ट्रैफिक जाम बढ़ता जा रहा है और पैदल यात्रियों की सुरक्षा खतरे में है, तब लोग चेतावनी दे रहे हैं कि अगर देरी और हुई तो कोयंबटूर की पार्किंग समस्या गंभीर संकट में बदल सकती है. शहर के लिए अब ठोस नीति बनाना बहुत जरूरी और देर से ही सही, अनिवार्य है.
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एएस/