आम आदमी पार्टी वाले जिस राजनीति और लोकतंत्र की बात करते हैं, वह पार्टी के अंदर ही नहीं है : आदर्श शास्त्री (आईएएनएस साक्षात्कार)

नई दिल्ली, 24 मई . देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पोते और कांग्रेस नेता आदर्श शास्त्री ने से खास बातचीत की है. इस दौरान उन्होंने आप-कांग्रेस गठबंधन, आम आदमी पार्टी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, स्वाति मालीवाल के साथ सीएम आवास में हुई मारपीट, बिभव कुमार सहित कई मुद्दों पर अपनी बात रखी.

सवाल :- आप आम आदमी पार्टी में विधायक रहे, जाहिर है आम आदमी पार्टी को करीब से जानते हैं, आपने जब पार्टी छोड़ी तो आपने कहा कि अरविंद केजरीवाल तानाशाह हैं, उन पर 10-20 करोड़ में टिकट बेचने के आरोप भी लगाए थे? कितनी सच्चाई थी इन आरोपों में?

जवाब :- मैं अपनी एप्पल कंपनी की नौकरी छोड़कर जब राजनीति में आया था तो उस समय अरविंद केजरीवाल ने एक वैकल्पिक राजनीति की बात कही थी, ऐसा लग रहा था कि वह सही मायने में ईमानदारी की बात कर रहे हैं, जो शायद उस समय के राजनीतिक माहौल में नहीं हुई थी. शास्त्री जी का पोता होने के नाते, यह सोचकर ईमानदारी की बात करने वाले लोगों के बारे में जानकर मैं अपनी नौकरी छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हुआ. द्वारका विधानसभा से चुनाव लड़ा, विधायक रहा, मगर कुछ ही समय में मुझे घुटन होने लगी, महसूस होने लगा कि ये लोग जिस राजनीति और लोकतंत्र की बात करते हैं, वह पार्टी के अंदर ही नहीं है. पार्टी के अंदर लोकतंत्र नहीं है, अपनी बात रखने का मौका नहीं मिलता. अरविंद केजरीवाल की सोच, पार्टी की बातों में अंतर है. मैंने भ्रष्टाचार को पांच सालों में बहुत करीब से देखा और आज पूरा देश देख रहा है. चाहे वह शराब घोटाला की बात करें, चाहे दिल्ली जल बोर्ड के घोटाले की बात करें. राज्यसभा से लेकर पार्षदों की टिकटों में पैसे देने की बात करें तो वह सब चीज मैंने देखी और मुझे लगा कि जो मैं सोचकर आया था, वहां से तो बहुत दूर हैं. आम आदमी पार्टी में जो ईमानदारी की बात कही थी, अगर वह ईमानदारी की बात सही होती तो मेरे जैसे अनगिनत लोग जिन्होंने आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल की सोच पर विश्वास किया था, वह आज आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल के साथ जुड़े होते.

सवाल :- जब आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस का गठबंधन हो रहा था तो क्या आपने सुझाव नहीं दिया था कि यह गठबंधन कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकता है?

जवाब :- मुझे ऐसा लगता है कि दिल्ली कांग्रेस में शायद ही कोई कार्यकर्ता होगा, जिसने आलाकमान के आगे यह बात नहीं रखी होगी कि आम आदमी पार्टी के साथ समझौता करने में कांग्रेस को कोई फायदा नहीं है. यह वह पार्टी है जो निरंतर कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाती रही है, हमारे नेताओं के ऊपर आरोप लगाती रही है. यह वही पार्टी है जिसने राहुल गांधी से लेकर सोनिया गांधी तक के खिलाफ मोर्चा खोला था. साल 2014 और 2019 में आप ने ही वो जगह ली, जो दिल्ली में कभी कांग्रेस की हुआ करती थी. मैं समझता हूं दिल्ली कांग्रेस के सभी कार्यकर्ता एकमत थे कि यह समझौता नहीं होना चाहिए. मगर, राजनीतिक समस्या यह है कि एक बड़ी लड़ाई भाजपा और पीएम मोदी के खिलाफ नजर आ रही थी और ऐसा मुझे लगता है कि शायद उस लड़ाई के लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने तय किया कि इस तरह की बड़ी लड़ाई के लिए समझौता करना पड़ेगा. मैं इस बात को दोहराना चाहता हूं कि कांग्रेस पार्टी का कोई कार्यकर्ता इस समझौते के पक्ष में नहीं था.

सवाल :- कांग्रेस के नेता या कार्यकर्ता आम आदमी पार्टी के साथ अलायंस के पक्ष में नहीं थे, क्या यही वजह है कि कांग्रेस के कई नेता पार्टी छोड़कर जा चुके हैं?

जवाब :- कांग्रेस नेताओं के पार्टी छोड़ने के पीछे क्या वजह रही होगी इस पर व्यक्तिगत टिप्पणी मैं नहीं कर सकता हूं. लेकिन, यह जरूर कहूंगा कि कांग्रेस पार्टी का कठिनाई के समय में उन लोगों का छोड़कर जाना सही नहीं है. हालांकि, यह सच है कि आम आदमी पार्टी से कांग्रेस का हाथ मिलाना पार्टी को नुकसान पहुंचा रहा है. मैं यकीन से कह सकता हूं कि दिल्ली में कांग्रेस के तीनों उम्मीदवार भारी मतों से जीतेंगे.

सवाल :- कांग्रेस के तीन में से एक उम्मीदवार कन्हैया कुमार हैं. वह लेफ्ट से कांग्रेस में आए हैं, उदित राज भाजपा से कांग्रेस में आए हैं, तो, क्या ऐसा मान लिया जाए कि कांग्रेस ने अपनों पर भरोसा नहीं जताया?

जवाब :- ऐसा नहीं है, कन्हैया कुमार बड़े छात्र नेता रहे हैं और बहुत मजबूती से कांग्रेस की लोकतंत्र की लड़ाई, देश को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. मुझे बहुत गर्व है कि कन्हैया जैसे व्यक्ति को पार्टी ने दिल्ली में उतारा है. उदित राज की मैं बात करूं तो वह लंबे अरसे से पिछड़ा वर्ग की लड़ाई लड़ते आए हैं. मुझे ऐसा लगता है कि भाजपा में उनको इज्जत और सम्मान नहीं मिला, जिससे व्यथित होकर वह कांग्रेस में आए हैं, ऐसे में कांग्रेस पार्टी के जितने उम्मीदवार हैं, सब मजबूत हैं. जेपी अग्रवाल लंबे अरसे से कांग्रेस की सेवा में रहे हैं और मैं समझता हूं चांदनी चौक से बहुत भारी मतों से विजयी होंगे.

सवाल :- क्या आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन आगे भी जारी रहेगा?

जवाब :- मुझे लगता है कि यह गठबंधन लोकसभा चुनाव तक है, वहीं तक सीमित रहेगा. दिल्ली में छह महीने बाद विधानसभा चुनाव है और मुझे पूरा यकीन है कि कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व इस बात को समझता है कि कांग्रेस को दोबारा वह जगह बनानी है जो दिल्ली में कांग्रेस की थी. शीला दीक्षित के 15 साल के कार्यकाल आज भी दिल्लीवासी याद करते हैं. मुझे पूरा यकीन है कि विधानसभा चुनाव में दिल्ली में यह गठबंधन नहीं रहेगा. दिल्ली कांग्रेस के हर कार्यकर्ता की आवाज यही है, मुझे यकीन है कि कांग्रेस का आलाकमान भी इसी बात को मानता है.

सवाल :- अभी लोकसभा की सीटों की बात करें तो क्या स्थिति आप देख रहे हैं? क्या अनुमान लग रहा है? अगर हम बात नतीजों की करें तो?

जवाब :- मुझे ऐसा लगता है कि इंडिया गठबंधन रिकॉर्ड तोड़ सीटों से आगे बढ़ेगा और भारतीय जनता पार्टी गठबंधन 200 से 220 सीटों तक सीमित रह जाएगी.

सवाल :- अगर दिल्ली में गठबंधन हुआ तब सीटों को लेकर क्या स्थिति हो सकती है? और, अगर नहीं हुआ तो कांग्रेस विधानसभा चुनाव में लगभग कितनी सीटें जीतेगी?

जवाब :- मुझे लगता है कि दिल्ली के लोगों को समझ आ गया है कि दिल्ली में अगर विकास की गंगा को बहाना है तो दोबारा से कांग्रेस को लाना पड़ेगा. मुझे ऐसा लगता है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच लड़ाई होगी. मुझे ऐसा यकीन है कि दिल्ली के लोग इस बार के चुनाव में कांग्रेस का मुख्यमंत्री बनाएंगे.

सवाल :- हाल ही में स्वाति मालीवाल के साथ जो कुछ हुआ उस पर क्या कहेंगे?

जवाब :- यह बड़ा अफसोसजनक है कि वह पार्टी जो कि महिलाओं की सुरक्षा, महिलाओं के हित की बात किया करती थी, आज इस स्तर पर गिर गई है कि उनके मुख्यमंत्री निवास के अंदर इस तरह की घटना हो रही है, यह बहुत ही शर्मनाक बात है. उसी पार्टी के कई ऐसे नेता हैं जो इसे डिफेंड कर रहे हैं. बड़ा दुख होता है कि राजनीतिक स्तर कहां तक गिर गया है. किस तरह की राजनीतिक समझौता आम आदमी पार्टी के बाकी नेता और विधायक कर रहे हैं. ऐसे मामले में भी एक महिला का साथ देने के बजाय वह अरविंद केजरीवाल का साथ दे रहे हैं.

सवाल :- बिभव कुमार से आप मिले होंगे. किस तरह का, क्या व्यक्तित्व रहा है उनका?

जवाब :- मैं विधायक था तभी मेरी उनसे मुलाकात हुई है. बिभव कुमार आंख और कान का काम करते थे, मैं समझता हूं गेटकीपर का काम करते थे. कौन मिलेगा, कौन नहीं मिलेगा, क्या बात करनी है, क्या नहीं करनी है, सब वही देखते थे. वह कई बार सीएम केजरीवाल की बातें, उनके मैसेज देने के लिए पोस्टमैन का काम करते थे. मैसेज पास करने का काम बिभव करते हैं, व्यक्तिगत रूप से मैं उनको नहीं जानता हूं.

सवाल :- स्वाति के साथ जो कुछ भी हुआ है उसके पीछे क्या सुनीता केजरीवाल हैं? ऐसा लगता है क्या ?

जवाब :- यह तो मैं नहीं कह सकता हूं, मुझे ऐसा लगता है कि उस समय अरविंद केजरीवाल वहां घर पर थे तो जो भी हुआ होगा इसकी जानकारी जरूर अरविंद केजरीवाल को होगी. उनके बाकी परिवार के सदस्य का इसमें क्या है रोल, उसके बारे में तो मैं नहीं कह सकता, मगर मुख्यमंत्री आवास में अगर कोई आ रहा है, मुख्यमंत्री घर में हैं तो ऐसा संभव नहीं है कि मुख्यमंत्री को पता नहीं हो कि उनके घर में कौन आ रहा है, कौन उनसे मिलना चाहता है.

सवाल :- निर्भया केस के दौरान महिलाओं के पक्ष में आंदोलन हुआ था. उस वक्त सीएम केजरीवाल ने कांग्रेस के खिलाफ काफी कुछ कहे थे, लेकिन, जब उनके घर में ही इस तरह की चीजें हुई तो वह लंबे समय तक खामोश रहे, इस पर क्या कहेंगे आप?

जवाब :- बहुत अफसोस है इस बात का मुझे और बड़ी तकलीफ होती है कि राजनीतिक फायदे के लिए अरविंद केजरीवाल ने निर्भया का नाम लिया. महिला सुरक्षा की बात कही और आज उन्हीं के घर में इस तरह की हरकत होती है. अरविंद केजरीवाल की सरकार में निर्भया फंड से मात्र 10-15 परसेंट फंड महिला सुरक्षा के लिए इस्तेमाल हुआ बाकी ऐसे ही पड़ा है. यह सब देखकर तकलीफ होती है.

सवाल :- तो, क्या माना जाए जिस तरह से स्वाति के साथ हुआ है, आने वाले दिनों में हम किसी के साथ भी कुछ ऐसा देख सकते हैं?

जवाब :- मुझे ऐसा लगता है कि महिलाओं के प्रति सम्मान अब आम आदमी पार्टी में नहीं है. मैं तो यही कहूंगा कि महिलाओं को अलर्ट रहना चाहिए, अपना ध्यान रखना चाहिए और आगे किस तरह से राजनीति करें और किस तरह से आगे बढ़ें, उनको खुद अपना यह तय करने की जरूरत है. अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी से जितने लोग जुड़े थे, उनके अलग होने का कारण अरविंद केजरीवाल दो तरफा चेहरा है.

सवाल :- राहुल गांधी ने दिल्ली में महिलाओं से चर्चा की है. आपको क्या लगता है, उन्हें भी एक बार केजरीवाल से स्वाति मालीवाल के मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए?

जवाब :- मैं समझता हूं कि राहुल गांधी इस मामले पर चर्चा जरूर करेंगे. राहुल गांधी और कांग्रेस नेतृत्व महिलाओं के सम्मान की रक्षा करता है. कांग्रेस पार्टी के मेनिफेस्टो में महिलाओं को न्याय दिलाना सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण मुद्दा है. राहुल गांधी और कांग्रेस नेतृत्व अरविंद केजरीवाल से सवाल जरूर पूछेगा.

सवाल :- क्या आपको लगता है अरविंद केजरीवाल खुद भ्रष्टाचार में शामिल हैं, क्या आपने खुद इसे महसूस किया है?

जवाब :- मैं यही कहूंगा कि मुख्यमंत्री की जानकारी के बिना प्रदेश में कोई काम नहीं होता है. अगर आप शराब घोटाले की बात करें तो यह कह देना कि मेरे पास कोई पोर्टफोलियो नहीं है, मैं फाइल नहीं साइन करता हूं, यह केवल बरगलाने का काम है. जब सरकार के मुखिया अरविंद केजरीवाल हैं तो चाहे वह शराब घोटाला हो, चाहे दिल्ली जल बोर्ड घोटाला हो, चाहे और भी जितने भी काम इस तरह के हुए, जिसके ऊपर आज शक बढ़ा है, उसमें सबमें मेरा मानना है कि अरविंद केजरीवाल शामिल हैं.

सवाल :- क्या केजरीवाल का संबंध खालिस्तानियों से है?

जवाब :- जब मैं विधायक था उस वक्त मैं ओवरसीज आम आदमी पार्टी का काम भी देखता था. कुमार विश्वास के साथ मैं कनाडा गया, जर्मनी गया तो कई ऐसे गुरुद्वारों में गया जहां पर जो पंजाब के लिए सहयोग करना चाहते थे. कई जगह गुरुद्वारों में हमने भिंडरावाले, ऑपरेशन ब्लू स्टार में सेना द्वारा मारे गए आतंकवादियों की तस्वीरें लगी हुई देखी. मैं इस बात से बड़ा परेशान हुआ कि ऐसे गुरुद्वारों में हम जा रहे हैं और चंदा मांग रहे हैं. मैं और कुमार विश्वास ने इस बात को मुख्यमंत्री के आगे रखा था. मगर इस बात को नजरअंदाज कर दिया गया. अब इसके क्या मायने हैं? यह खुद समझा जा सकता है.

सवाल :- सीएम केजरीवाल की पार्टी को फंड कहां से आता है?

जवाब :- यह सवाल तो केजरीवाल से किया जाए तो बेहतर है, मगर जो आदमी और जो व्यक्ति यह कहता था कि हम बेईमानी का एक रुपया भी चंदा नहीं लेंगे, वह आज इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा ले रहा है. बड़े-बड़े पूंजीपतियों से पैसा आया है. मैं समझता हूं कि इनकी सरकार में जितने घोटाले हुए हैं उन सब से पार्टी को फंड आ रहा होगा.

सवाल :- केजरीवाल तो महिला सुरक्षा और बेहतरीन शिक्षा की बात करते थे और उनके नेता लीकर स्कैम को लेकर घिरे हैं, इस पर आपका क्या कहना है?

जवाब :- अरविंद केजरीवाल की दिल्ली की सरकार विज्ञापन की सरकार है. विज्ञापन पर चलने वाली सरकार है. शीला दीक्षित की सरकार में लगभग एक हजार स्कूल थे, आज भी 1,000 स्कूल हैं. 40 से 42 अस्पताल थे, आज भी उतने ही हैं. मोहल्ला क्लीनिक की बात करते थे, आज मात्र 300-400 मोहल्ला क्लीनिक रह गए. स्कूल सुधारने की बात करते हैं. लेकिन, 30 परसेंट से ज्यादा स्कूल में प्रिंसिपल नहीं हैं, 40 परसेंट ज्यादा स्कूल में टीचर्स कम हैं, 40 परसेंट स्कूलों में विज्ञान की पढाई ग्यारहवीं-बारहवीं में नहीं होती है तो यह विज्ञापन की सरकार बना रखी है.

सवाल :- क्या कांग्रेस पार्टी शास्त्री जी के भावों, विचारों को समझ रही है. क्या उन आदर्शों पर चल रही है, क्या लगता है?

जवाब :- मुझे लगता है कि शास्त्री जी, गांधी जी और नेहरू जी के अनुयायी थे. उनके पदचिन्हों पर चले और सच्चाई यह है कि आज अगर दिल से देश के अंतिम पंक्ति में खड़े आखिरी गरीब व्यक्ति की कोई बात कर रहा है तो राहुल गांधी, कांग्रेस कर रही है. अगर कोई न्याय की बात, मजदूरों की बात, महिलाओं की बात कर रहा है तो वह राहुल गांधी और कांग्रेस है.

सवाल :- आरक्षण पर आपका क्या विचार है. क्योंकि कांग्रेस के घोषणापत्र जो है, उसमें यह बात है, उसमें मुस्लिम लीग की छाप दिख रही है. क्या धर्म के आधार पर आरक्षण होना, कुछ ऐसा आप सोचते हैं?

जवाब :- ऐसा कांग्रेस के घोषणापत्र में नहीं है. यह माननीय प्रधानमंत्री मोदी की नैरेटिव बिल्डिंग है जो यह बात कर रहे हैं, जिन्होंने इस तरह की बात की. राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी सामाजिक न्याय और बराबरी की बात करती है.

सवाल :- पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है. सरकार बनने से पहले कहा गया कि नशा मुक्त कर देंगे, क्या पंजाब में नशा कम हो गया?

जवाब :- मैं हाल में लुधियाना, जालंधर, अमृतसर गया था. मुझे बड़ा अफसोस है कहते हुए कि शायद जिस सोच को लेकर पंजाब के हमारे लोगों ने वोट दिया आम आदमी पार्टी को वह पूरी तरह से निरस्त हो गया, सब दुखी हो गए. आज भी पंजाब की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है. पंजाब की युवा पीढ़ी नशे की समस्या से जूझ रही है. सबने आम आदमी पार्टी की सरकार देख ली, मैं यकीन से कह सकता हूं कि वहां पर पंजाब में लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के नतीजे कांग्रेस के पक्ष में आएंगे, कांग्रेस पार्टी पूर्ण बहुमत से आएगी.

जीकेटी/