बेंगलुरु, 18 फरवरी . कर्नाटक खो-खो एसोसिएशन ने अपनी लंबित मांगों को पूरा करने के लिए मंगलवार को बेंगलुरु में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन किया. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ग्रामीण खेलों को सौतेला मानती है.
कर्नाटक खो-खो एसोसिएशन ने कहा कि अन्य राज्य सरकारों की तुलना में कर्नाटक सरकार कोई सुविधा या आर्थिक सहायता नहीं देती है. इसलिए, जब मुख्यमंत्री बजट तैयार करने में व्यस्त हैं, तो वह सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं कि उनके बारे में भी सकारात्मक रूप से सोचा जाए.
राष्ट्रीय खो-खो खिलाड़ी चैतन्य ने कहा, “अन्य राज्यों की बात करें तो उन्हें अपनी सरकार से समर्थन मिलता है. वे सभी खेलों को समान मानती हैं. लेकिन यहां हमें कुछ भी नहीं मिलता. इसलिए हमारी कोई अतिरिक्त मांग नहीं है. हम केवल सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि जैसे अन्य सरकारें पहले विश्व कप में खेलने वाले खिलाड़ियों को सम्मान दे रही हैं, उसी तरह हमारी मांग पर ध्यान दिया जाए.”
कर्नाटक खो-खो एसोसिएशन के उपाध्यक्ष सुरेंद्र बाबू ने कहा, “झारखंड हो या महाराष्ट्र, जब वहां के खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें दो करोड़ रुपये नकद राशि और सरकारी नौकरी मिलती है, लेकिन यहां के खिलाड़ियों को सिर्फ पांच लाख रुपये मिलते हैं. पिछले दो साल से टीए/डीए का भुगतान भी नहीं हुआ है. इसलिए, अब जब सीएम सिद्दारमैया बजट तैयार कर रहे हैं, तो उन्हें ग्रामीण खेलों के लिए फंड पर भी ध्यान देना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक सरकार इन दिनों अपने बजट पर काम कर रही है. कर्नाटक विधानसभा के बजट सत्र के दौरान कई बड़े ऐलान की उम्मीद है.
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एफएम/एकेजे