डॉ. संजीव बालियान के समर्थन में आई मुजफ्फरनगर की जनता कर रही मांग, मंदिर विरोधी पुलिस कप्तान हटाए यूपी सरकार

नई दिल्ली, 17 जनवरी . पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता डॉ. संजीव बालियान को यूपी सरकार की तरफ से मिली ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा को हटाने को लेकर विवाद गहराता ही जा रहा था. इस बीच संजीव बालियान की सिक्योरिटी बहाली का आदेश भी यूपी सरकार की तरफ से आ गया.

दरअसल, पिछले दिनों मुजफ्फरनगर में विवादित मंदिर को लेकर थाना मंसूरपुर के इंस्पेक्टर से डॉ. संजीव बालियान की बहस हो गई थी, जिसके बाद उनकी सुरक्षा को हटा लिया गया था.

संजीव बालियान को भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई है. मुजफ्फरनगर पुलिस के द्वारा सुरक्षा बहाली के आदेश में बताया गया है कि उनकी आवास की सुरक्षा के लिए एक से चार सशस्त्र गार्ड और 3 पीएसओ समेत कुल 8 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं. उत्तर प्रदेश के सुरक्षा विभाग ने जिला पुलिस को पत्र भेजकर इससे अवगत कराया है. उत्तर प्रदेश के सुरक्षा विभाग के आदेश के बाद उनकी सिक्योरिटी को फिर से बहाल किया गया है.

संजीव बालियान मंसूरपुर डिस्टलरी और खानूपुर गांव के बीच मंदिर की भूमि को लेकर चल रहे विवाद को लेकर सुर्खियों में आए थे. उसके बाद उनकी सिक्योरिटी हटा ली गई थी. अपनी सिक्योरिटी वापस लिए जाने के बाद संजीव बालियान ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी एक चिट्ठी लिखी थी. सीएम को लिखे पत्र में उन्होंने अपने साथ हुए गलत व्यवहारों का जिक्र भी किया था.

संजीव बालियान पहले ही कह चुके थे कि सिक्योरिटी का हटाया जाना उनके लिए मुद्दा नहीं है. उनके साथ जो अपमानजनक व्यवहार मुजफ्फरनगर पुलिस के अधिकारियों द्वारा किया गया. जिसकी वजह से उन्हें थाने पर जाकर धरने पर बैठना पड़ा, धरने के तुरंत बाद उनकी सिक्योरिटी को वापस बुला लिया गया. ऐसे में संजीव बालियान अधिकारियों के इस व्यवहार से खफा दिखे.

मुजफ्फरनगर के खानुपुर गांव के लोगों और जाट समाज में संजीव बालियान की सुरक्षा को हटाए जाने पर शासन-प्रशासन को लेकर काफी गुस्सा देखने को मिला. जिसके चलते यहां के स्थानीय लोगों ने 19 जनवरी को विवादित जमीन पर एक महापंचायत करने का ऐलान किया.

बीजेपी के पूर्व सांसद संजीव बालियान खानुपूर गांव में स्थित एक विवादित मंदिर की जमीन को कब्जे से मुक्त कराने की मांग को लेकर ग्रामीणों के साथ मंसूरपुर थाने पहुंचे थे, जहां उनकी पुलिस इंस्पेक्टर के साथ बहस हो गई थी. वह वहां धरने पर बैठ गए थे. इसके बाद उनकी सिक्योरिटी हटा ली गई थी. जिसके बाद बालियान के समर्थन में ग्रामीण और जाट समाज के लोग आ गए और उन्होंने 19 जनवरी को महापंचायत का ऐलान किया और विवादित जमीन को मुक्त कराने और पुलिस द्वारा स्थानीय लोगों पर दर्ज कराए गए मुकदमे वापस किए जाने की मांग की. इस विवादित जमीन पर मंदिर प्रकरण का मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है.

हालांकि, अब डॉ. संजीव बालियान की सुरक्षा व्यवस्था को फिर से बहाल कर दिया गया है. लेकिन, अब कहा जा रहा है कि दिल्ली चुनाव को देखते हुए केंद्र सरकार के दबाव में उत्तर प्रदेश सरकार ने उनकी सुरक्षा बहाली का निर्णय लिया है.

डॉ. संजीव बालियान पहले ही कह चुके हैं कि मुद्दा उनकी सुरक्षा का नहीं है. बल्कि मुद्दा मंदिर की भूमि का है, जो शराब फैक्ट्री के मालिकों के साथ मिलकर पुलिस द्वारा क़ब्ज़ाई गई है.

ऐसे में मुज़फ़्फ़रनगर में जो डॉ. संजीव बालियान की समर्थक जनता है, वह साफ कह रही है कि मंदिर विरोधी पुलिस कप्तान उन्हें नहीं चाहिए. जब तक उत्तर प्रदेश सरकार कप्तान को नहीं हटाती तब तक आंदोलन जारी रहेगा. मंदिर की भूमि बचाने के लिए 19 जनवरी को जो महापंचायत बुलाई गई है, वह होकर रहेगी.

जीकेटी/