मुंबई, 29 अप्रैल . जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद देश की सियासत गरमा गई है. भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता तुहिन सिन्हा ने कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि आतंकी हमले के बाद कांग्रेस नेताओं के बयान न केवल गैर-जिम्मेदाराना हैं, बल्कि उनकी ‘जिहादी मानसिकता’ को भी उजागर करते हैं.
भाजपा प्रवक्ता तुहिन सिन्हा ने से बात करते हुए कहा कि कांग्रेस नेता रॉबर्ट वाड्रा ने हमले के लिए हिंदुत्व को जिम्मेदार ठहराया, वहीं सीएम सिद्धारमैया युद्ध से इनकार करते हैं और कर्नाटक के एक मंत्री ने तो आतंकियों को निर्दोष करार दे दिया. उन्होंने इसे कांग्रेस की कट्टरपंथियों को खुश करने की रणनीति करार दिया और कहा कि पार्टी को आत्ममंथन करना चाहिए.
तुहिन सिन्हा ने कांग्रेस पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पाकिस्तान से प्रशंसा पाने के लिए ऐसे कृत्य कर रही है, जिससे भारत को शर्मिंदा होना पड़ता है. हाल ही में लंदन में हुए एक प्रदर्शन में पाकिस्तान के डिप्लोमैट की हरकत से जुड़ा चित्र कांग्रेस ने पोस्ट किया, जिसमें प्रधानमंत्री के चेहरे को हटाकर आपत्तिजनक संदेश दिया गया. सिन्हा ने इसे कांग्रेस की जिहादी मानसिकता का प्रतीक बताया और कहा कि देश के प्रधानमंत्री का ऐसा अपमान देश विरोधी कृत्य है और इसकी कड़ी निंदा होनी चाहिए.
गौरव गोगोई पर जुबानी हमला बोलते हुए तुहिन सिन्हा ने कहा कि उनकी पत्नी पाकिस्तान की नागरिक रह चुकी हैं और एक पाकिस्तानी एनजीओ से जुड़ी थीं. इतना ही नहीं, गोगोई स्वयं 15 दिनों तक पाकिस्तान में बिना किसी औपचारिक जानकारी के रह चुके हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से अत्यंत गंभीर विषय है. सिन्हा ने आरोप लगाया कि अब गोगोई भ्रष्टाचार के बेबुनियाद आरोप लगाकर ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि पहले उन्हें अपने ऊपर लगे गंभीर आरोपों का जवाब देना चाहिए. उन्होंने इस पूरे प्रकरण को कांग्रेस के पाकिस्तान प्रेम का प्रतीक बताया.
पहलगाम हमले के बाद सरकार की प्रतिक्रिया का उल्लेख करते हुए सिन्हा ने कहा कि हमले के तुरंत बाद सरकार ने कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी और सर्वदलीय बैठक बुलाई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार हर आवश्यक विकल्प पर विचार कर रही है. उन्होंने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो संसद की बैठक बुलाकर भी निर्णय लिया जाएगा. उन्होंने विपक्ष को नसीहत देते हुए कहा कि केवल सरकार को सलाह देने से काम नहीं चलेगा, विपक्ष को भी अपने बयान और व्यवहार में परिपक्वता दिखानी होगी. इस संवेदनशील समय में सभी दलों को राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए एकजुटता और जिम्मेदारी का परिचय देना चाहिए.
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