मुंबई, 30 जून . विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीराज नायर ने कांग्रेस और विपक्षी दलों पर मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति और हिंदू समाज को विभाजित करने की कोशिश का आरोप लगाया है.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की यह नीति अब बिहार में भी नजर आ रही है, जहां वह एमआईएम के साथ गठबंधन की कोशिश कर रही है. कांग्रेस पहले आंध्र प्रदेश में एमआईएम के साथ गठबंधन कर चुकी है और अब बिहार में भी वही रणनीति अपना रही है. यदि ओवैसी भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस का साथ देते हैं, तो यह कोई नई बात नहीं होगी. लेकिन बिहार का हिंदू समाज अब पूरी तरह जागरूक और एकजुट है. मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति अब विपक्ष को कोई लाभ नहीं देगी.
श्रीराज नायर ने समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के हालिया बयानों पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव का धर्माचार्यों के खिलाफ दिया गया बयान गैर-जिम्मेदाराना और हिंदू धर्म पर सीधा प्रहार है. यह सब आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए मुस्लिम वोटों को रिझाने और हिंदुओं को जातियों में बांटने की कोशिश है, लेकिन अखिलेश यादव का यह प्रयास पूरी तरह से विफल होगा. हिंदू समाज अब जागरूक और एकजुट है. हिंदुओं को आपस में लड़ाने की हर साजिश नाकाम होगी और यह सोच एक बड़ी भूल साबित होगी. हिंदू समाज को एकजुट रहकर विपक्ष की साजिशों को नाकाम करना चाहिए. हिंदू समाज की एकता और जागरूकता ही देश की ताकत है.
वक्फ बोर्ड के मुद्दे पर भी श्रीराज नायर ने विपक्ष को आड़े हाथों लिया. उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी राजनीति विरासत में मिली है, लेकिन बिना ज्ञान के जटिल विषयों पर टिप्पणी करना गलत है. सरकार द्वारा लाए गए संशोधित कानून का हम पूर्ण समर्थन करते हैं. विपक्ष, विशेषकर तेजस्वी यादव और उनके सहयोगी, इस मुद्दे पर औंधे मुंह गिरेंगे. वक्फ बोर्ड पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए और इसे पूरी तरह से खारिज किया जाना चाहिए.
मराठी भाषा विवाद को लेकर उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की भाषा मराठी का सभी को सम्मान करना चाहिए. मराठी साहित्य, रंगमंच और संस्कृति अत्यंत समृद्ध हैं. सभी लोगों को मराठी सीखनी चाहिए. विश्व हिंदू परिषद सभी भारतीय भाषाओं जैसे हिंदी, तमिल, भोजपुरी, मैथिली आदि का सम्मान करती है. हमारा मानना है कि बहुभाषी होना व्यक्ति के निजी और सामाजिक जीवन में लाभकारी होता है. जितनी भाषाएं हम सीखते हैं, उतने अधिक अवसर और समझ बढ़ती है. मराठी का सम्मान आवश्यक है, परंतु अन्य भाषाओं का ज्ञान भी उतना ही महत्वपूर्ण है.
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एकेएस/डीएससी