टोक्यो, 1 अक्टूबर . जापान में इस मौसम में हीटस्ट्रोक के कारण कुल 1 लाख 1 सौ 43 लोगों को अस्पताल ले जाया गया है. पहली बार ये आंकड़ा एक लाख से अधिक है. इसकी जानकारी जापान के अग्निशमन एवं आपदा प्रबंधन एजेंसी ने दी है.
एजेंसी ने Tuesday को प्रारंभिक आंकड़े जारी किए. जिसके अनुसार, मई से 28 सितंबर तक के ये आंकड़े 2015 के बाद से सबसे ज्यादा हैं (तब सर्वेक्षण अवधि को मई में भी शामिल किया गया था). यह पिछले साल दर्ज किए गए 97,578 के रिकॉर्ड को पार कर गया है.
इस वर्ष 116 मरीजों की मृत्यु हो गई और 36,448 अन्य में ऐसे लक्षण दिखे जिसके लिए उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा.
65 वर्ष या उससे अधिक आयु के बुजुर्गों की संख्या 57,235 थी, जो कुल मामलों का आधे से भी ज्यादा है.
सिन्हुआ समाचार एजेंसी के अनुसार, टोक्यो में सबसे ज्यादा 9,309 मामले थे, उसके बाद ओसाका में 7,175 और आइची में 6,630 मामले थे.
मौसम एजेंसी के अनुसार, इससे पहले 30 अगस्त को जापान के टोक्यो सहित कांटो क्षेत्र से लेकर दक्षिण-पश्चिम में क्यूशू क्षेत्र तक 35 डिग्री सेल्सियस और उससे अधिक तापमान की आशंका थी.
जापान मौसम विज्ञान एजेंसी (जेएमए) ने देश के 47 प्रान्तों में से 22 (कांटो से लेकर क्यूशू तक) के लिए हीटस्ट्रोक की चेतावनी जारी की थी.
जेएमए ने कहा था कि ताकामात्सु शहर में दिन का अधिकतम तापमान 37 डिग्री सेल्सियस और ओसाका, नागोया और कुरुमे शहरों सहित अन्य स्थानों पर 36 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है.
मध्य टोक्यो और सैतामा, फुकुई और कोफू सहित अन्य स्थानों पर तापमान 35 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने का पूर्वानुमान है.
मौसम अधिकारियों ने कहा था कि कांटो-कोशिन क्षेत्र से लेकर किन्की के पश्चिमी क्षेत्र तक पारा खतरनाक स्तर तक बढ़ सकता है, और लोगों से हीटस्ट्रोक से बचने के लिए सावधानी बरतने का आग्रह किया था.
जापान में हीटस्ट्रोक पर्यावरणीय कारकों, विशेष रूप से उच्च तापमान और आर्द्रता के कारण होता है, जो बुजुर्ग आबादी और शहरों में अर्बन हीट आइलैंड प्रभावों के कारण और भी बढ़ जाता है. उम्र, पुरानी बीमारियां और निर्जलीकरण जैसे शारीरिक कारक, विशेष रूप से बुजुर्गों में, जिनके शरीर के तापमान को नियंत्रित करने की क्षमता कम होती है, के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाते हैं.
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केआर/