महाकुंभ 2025 : महाकुंभ में फसाड लाइट्स से जगमग होंगे संगम नगरी के पौराणिक मंदिर

प्रयागराज, 28 अक्टूबर . प्रयागराज में आयोजित होने जा रहे महाकुंभ में दुनिया के कोने-कोने से करोड़ों श्रद्धालुओं और पर्यटकों के कुंभ नगरी पहुंचने का अनुमान है. कुंभ के इस भव्य आयोजन को स्मरणीय बनाने के लिए शहर की सड़कों, चौराहों, दीवारों के साथ मंदिरों और सेतुओं को भी सजाया संवारा जा रहा है.

इन तैयारियों को देखते हुए दिन में तो संगम नगरी दिव्य नजर आएगी ही, साथ ही रात में इसकी आभा को अलौकिक बनाने के लिए भी योगी सरकार ने पहल की है. प्रयागराज के कई पौराणिक मंदिरों और इमारतों पर फसाड लाइटिंग की व्यवस्था इसी तैयारी का हिस्सा है.

धार्मिक नगरी प्रयागराज को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है. देश-विदेश से महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए यहां के पौराणिक मंदिर आस्था और आकर्षण का केंद्र रहते हैं. महाकुंभ में प्रदेश की योगी सरकार इन्हें नव्य स्वरूप प्रदान कर रही है.

प्रयागराज की क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी अपराजिता सिंह का कहना है कि जिले के पांच पौराणिक मंदिरों में इस बार फसाड लाइटिंग का कार्य किया जा रहा है. जिन मंदिरों का इसके लिए चयन किया गया है, उसमें मां अलोप शंकरी देवी मंदिर, श्री शंकर विमान मंडपम मंदिर, सिविल लाइन्स का श्री हनुमंत निकेतन मंदिर, श्रृंगवेरपुर धाम का श्रृंगी ऋषि मंदिर और नागवासुकी मंदिर शामिल हैं. इसके अलावा यमुना किनारे स्थित किले और शास्त्री पुल में भी फसाड लाइटिंग का कार्य होगा. इसके लिए 18.94 करोड़ की धनराशि की प्रशासकीय स्वीकृति मिल चुकी है.

फसाड लाइटिंग सामान्य प्रकाश व्यवस्था से बिल्कुल अलग होती है. इसका उपयोग सूर्यास्त के बाद किसी इमारत की वास्तुकला की सुंदरता को उभारने में किया जाता है. सामान्य प्रकाश व्यवस्था में जहां संरचना को प्रकाशित करना महत्वपूर्ण होता है तो वहीं फसाड लाइटिंग में उस इमारत या संरचना को कलात्मक अंदाज में प्रकाशित करना होता है, जिससे यह पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनता है.

रात में किसी इमारत या संरचना की सुंदरता को खूबसूरत अंदाज में उजागर करने के कई तरीके हो सकते हैं. यह तरीका उस संरचना पर निर्भर करता है, जिसे रोशन करना है. इसमें स्पॉटलाइट, फ्लड लाइट, लैंडस्केप स्पॉटलाइट, रिसेस्ड डाउन लाइट, ट्रैक लाइट, लीनियर लाइट और पैनल लाइट का इस्तेमाल किया जाएगा.

क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी के मुताबिक महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक रात्रि के समय इन मंदिरों के इस सुसज्जित और भव्य रूप को देख सकेंगे. इससे नाइट टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा.

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