रांची, 15 सितंबर . Jharkhand हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने Monday को नियुक्तियों में जाति प्रमाणपत्र को लेकर अहम फैसला सुनाया. अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि किसी भी नियुक्ति प्रक्रिया में विज्ञापन की तिथि के बाद जारी जाति प्रमाणपत्र मान्य नहीं होगा. ऐसे मामलों में अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा और उन्हें अनारक्षित श्रेणी में माना जाएगा.
मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान, न्यायमूर्ति आनंद सेन और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने कुल 44 याचिकाओं पर सुनवाई के बाद यह निर्णय सुनाया. इस मामले में 21 अगस्त को सुनवाई पूरी हो चुकी थी और फैसला सुरक्षित रखा गया था.
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि Supreme court के राम कुमार गिजरोया मामले में दिया गया आदेश सभी मामलों पर स्वतः लागू नहीं होगा. राज्य Government, Jharkhand लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) और Jharkhand कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) को जाति प्रमाणपत्र का फॉर्मेट और मान्यता की शर्तें तय करने का अधिकार है.
याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि जेपीएससी और जेएसएससी नियुक्ति विज्ञापन की तिथि के बाद जारी जाति प्रमाणपत्र स्वीकार नहीं कर रहे हैं, जिससे आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा. उनका कहना था कि आयोग विज्ञापन तिथि तक ही जाति प्रमाणपत्र को सीमित नहीं कर सकता. Supreme court के राम कुमार गिजरोया केस का हवाला देते हुए दलील दी गई कि जाति प्रमाणपत्र जन्म के आधार पर होता है, न कि समय के आधार पर. इसलिए विज्ञापन की तिथि के बाद जारी प्रमाणपत्र भी मान्य होना चाहिए.
वहीं, आयोग की तरफ से यह दलील दी गई कि Supreme court का एक अन्य आदेश स्पष्ट करता है कि नियुक्ति विज्ञापन की तिथि तक का ही जाति प्रमाणपत्र मान्य होगा. यदि उस तिथि तक प्रमाणपत्र नहीं है, तो अभ्यर्थी को आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकता. अदालत ने आयोग के तर्क को स्वीकार किया और कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए यह व्यवस्था आवश्यक है.
–
एसएनसी/पीएसके