‘मन्नू क्या करेगा?’ में खुद की खोज का सफर, युवाओं की उलझनों की कहानी कहती है फिल्म

निर्देशक: संजय त्रिपाठी.
कलाकार: व्योम, साची बिंद्रा, कुमुद मिश्रा, विनय पाठक, चारु शंकर, राजेश कुमार, बृजेंद्र काला.
लेखक: सौरभ गुप्ता, राधिका मल्होत्रा.
अवधि: 141.35 मिनट.
रेटिंग: 4 स्टार.

बॉलीवुड फिल्म ‘मन्नू क्या करेगा?’ ने बड़े ही सरल और सच्चे अंदाज में दर्शकों का दिल जीत लिया है. यह फिल्म एक हल्की-फुल्की, प्यारी सी कहानी लेकर आती है. जहां आजकल बड़े-बड़े ड्रामे और दिखावे वाली फिल्मों की भरमार है, वहां यह फिल्म अपनी सादगी और जज्बातों की गहराई से अलग छाप छोड़ती है.

फिल्म की कहानी एक कॉलेज छात्र मानव चतुर्वेदी यानी मन्नू (अभिनेता व्योम) के इर्द-गिर्द घूमती है. मन्नू एक ऐसा लड़का है, जो हर चीज में थोड़ा-थोड़ा अच्छा है, जैसे फुटबॉल, पढ़ाई, आईटी, ड्रामा. वह खुद को लेकर पूरी तरह से निश्चित नहीं है. टैलेंट तो उसके पास भरपूर है, लेकिन वह यह नहीं जानता कि जिंदगी में उसकी मंजिल क्या है.

फिर कहानी में आती है, जिया रस्तोगी (साची बिंद्रा), जो एक महत्वाकांक्षी लड़की है. वह दिल्ली विश्वविद्यालय से ट्रांसफर होकर देहरादून आई है और उसका सपना है कि वह स्टैनफोर्ड या हार्वर्ड जैसे बड़े विश्वविद्यालयों में पढ़े. जिया की पूरी तरह से अपनी मंजिल पर नजर है, जबकि मन्नू अभी भी अपने रास्ते की तलाश में है.

एक गलती से छूटी हुई कॉलेज ट्रिप की बस के बाद मन्नू और जिया के बीच दोस्ती होती है, जो धीरे-धीरे प्यार में बदल जाती है. यह सिर्फ एक रोमांटिक कहानी नहीं है, बल्कि मन्नू की खुद को पहचानने, अपनी राह खोजने की कहानी भी है.

फिल्म में कहानी तब मोड़ लेती है जब मन्नू, जिया को प्रभावित करने के लिए एक झूठ बोल देता है. वह बताता है कि उसने एक स्टार्टअप शुरू किया है. यह झूठ हंसी-मजाक में शुरू होता है, लेकिन धीरे-धीरे मन्नू इस झूठ के जाल में फंस जाता है, नकली ऑफिस, फर्जी कर्मचारी, बड़े-बड़े सपने.

आखिर में सच सामने आता है और मन्नू का रिश्ता टूट जाता है, परिवार में भी परेशानी होती है, और मन्नू जिंदगी के सबसे मुश्किल दौर से गुजरता है. लेकिन फिल्म यहीं खत्म नहीं होती. मन्नू के प्रोफेसर ‘डॉन’ (विनय पाठक) उसे जापानी फिलॉसफी ‘इकिगाई’ से परिचित कराते हैं, जो जिंदगी का उद्देश्य खोजने में मदद करता है.

‘मन्नू क्या करेगा?’ में नौ खूबसूरत गाने हैं, जिनमें ‘मन्नू तेरा क्या होगा’, ‘फना हुआ’, ‘हमनवां’ और ‘तेरी यादें’ जैसे गाने शामिल हैं. ये गाने केवल बैकग्राउंड म्यूजिक नहीं हैं, बल्कि कहानी को भावनात्मक रूप से आगे बढ़ाते हैं.

फिल्म में सभी कलाकारों की परफॉर्मेंस बहुत ही शानदार है. व्योम ने मन्नू के किरदार को इस तरह निभाया है कि आप उसकी गलतियों के बावजूद उससे जुड़ाव महसूस करें. साची बिंद्रा ने जिया के किरदार में एक मजबूत, शांत और जोशीली लड़की के रूप में ताजगी का एहसास दिया है. कुमुद मिश्रा और चारू शंकर ने मन्नू के माता-पिता के किरदार को बहुत भावुकता और संतुलन के साथ निभाया है. विनय पाठक ने अपने रोल ‘डॉन’ में जान डाल दी है.

तकनीकी रूप से फिल्म सादगी से चमकती है. सौरभ गुप्ता-राधिका मल्होत्रा ​​की स्क्रिप्ट में कोई जबरदस्ती का ड्रामा या झूठे उतार-चढ़ाव नहीं हैं. कहानी बिलकुल नेचुरल तरीके से चलती है, जैसे असली जिंदगी में होती है. देहरादून की खूबसूरत वादियां और कॉलेज का माहौल कैमरे में इतनी खूबसूरती से कैद हुआ है कि देखने वाले को अपना कॉलेज टाइम याद आ जाए.

‘मन्नू क्या करेगा?’ आज के युवा वर्ग की उलझनों, भ्रम और संभावनाओं को बड़ी ईमानदारी से दिखाती है. मन्नू का किरदार उन सभी लोगों की कहानी कहता है, जो जिंदगी के रास्ते पर खो जाते हैं, पर फिर अपने दिल की सुनकर सही दिशा में कदम बढ़ाते हैं.

यह फिल्म सिर्फ एक कॉलेज रोमांस नहीं, बल्कि एक आत्म-खोज की यात्रा है. यह दर्शकों को प्यार, दोस्ती, परिवार और खुद को समझने के सफर पर ले जाती है.

पीके/एबीएम