रांची, 12 दिसंबर . झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र के आखिरी दिन गुरुवार को राज्य में बालू की किल्लत का मुद्दा सदन के अंदर और बाहर गूंजता रहा.
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ विधायक बाबूलाल मरांडी ने राज्यपाल के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान यह मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि पूरे राज्य में बालू का संकट ज्वलंत मुद्दा बन गया है. सरकार बालू घाटों की नीलामी नहीं कर पा रही है. लोग घर बनाने के लिए बालू ले रहे हैं तो पुलिस उन्हें पकड़ रही है, उनपर केस कर रही है. अगर सरकार घाटों की नीलामी नहीं करा पा रही है, तो गृह निर्माण कार्य के लिए बालू को मुफ्त कर देना चाहिए.
उन्होंने कहा कि सरकार को जवाब देना चाहिए कि किस तरह बालू घाटों पर लूट मची है. प्रधानमंत्री आवास और अबुआ आवास की योजनाओं का सरकार उल्लेख कर रही है, लेकिन इसके लिए भी बालू नहीं मिल रहा है.
बाबूलाल मरांडी ने इस मुद्दे को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी उठाया है. उन्होंने लिखा, ‘झारखंड में बालू की कमी ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. 444 बालू घाटों में से केवल 51 को स्वीकृति है और उनमें से भी केवल 24 से निकासी हो रही है. इस कारण राज्य में निर्माण कार्य पूरी तरह ठप हो गए हैं.’
सदन की कार्यवाही शुरू होने के पहले पांकी क्षेत्र के भाजपा विधायक कुशवाहा शशिभूषण प्रसाद मेहता ने बालू की किल्लत पर विरोध जताते हुए विधानसभा के द्वार पर धरना दिया. उन्होंने कहा कि बालू की कमी के कारण पीएम आवास और अबुआ आवास का निर्माण कार्य ठप हो गया है. सरकार इस समस्या के समाधान के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाएं. मेहता ने सदन की कार्यवाही के दौरान भी यह मुद्दा उठाया कि उनके गृह जिले पलामू में लोग 45-50 रुपए प्रति किलो बालू खरीद रहे हैं. सरकार से आग्रह है कि इस समस्या का जल्द समाधान निकालें.
भाजपा के विधायक और पूर्व सीएम चंपई सोरेन ने सदन के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि सरकार ने गृह निर्माण के लिए बालू मुफ्त उपलब्ध कराने की घोषणा की थी, लेकिन इसपर अमल नहीं हो रहा है. घर बनाने के लिए जो लोग बालू ले रहे हैं, उनकी धर पकड़ हो रही है. सरकार बोलती कुछ है और होता कुछ और है.
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एसएनसी/एएस