तानजियान, 30 अगस्त . शंघाई शिखर सम्मेलन (एससीओ) 2025 का आयोजन चीन के तानजियान में 31 अगस्त से 1 सितंबर तक होगा. इस बैठक में Prime Minister Narendra Modi भी हिस्सा लेंगे. अमेरिका की टैरिफ नीति की वजह से बदल रही अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के बीच आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन में Prime Minister मोदी के जाने से चीन में रह रहे भारतीय बेहद खुश हैं. भारतीय नागरिकों का कहना है कि अगर भारत, चीन और रूस साथ आ जाएं तो अमेरिका को कड़ी चुनौती मिलेगी. रूस के President व्लादिमीर पुतिन भी बैठक में हिस्सा ले रहे हैं.
ललित शर्मा ने से बात करते हुए कहा, “चीन और India दोनों तेजी से विकसित होते राष्ट्र हैं. इसलिए जरूरी है कि दोनों देश एक साथ मिलकर काम करें, दोनों के संबंध अच्छे हों. दोनों देशों की अपनी क्षमताएं हैं. चीन को हार्डवेयर में तो India को सॉफ्टवेयर में बढ़त हासिल है. दोनों देशों की बड़ी जनसंख्या अपने आप में एक बड़ा बाजार है. भारत, रूस और चीन अगर एक साथ आ जाएं तो जी-7 देशों को चुनौती दे सकते हैं. इसके अलावा, अगर अमेरिका के टैरिफ के विरोध में अन्य देश एकजुट हो जाएं तो उसे पता चलेगा कि उसके हिसाब से दुनिया नहीं चलेगी.
पूरन चंद जैसवानी ने से बात करते हुए कहा, “एससीओ शिखर सम्मेलन तानजियान में हो रहा है. अभी तक इससे जुड़ी सभी सकारात्मक रिपोर्ट आई है. India और चीन एक साथ आ जाएं तो विश्व पर दबदबा बना सकते हैं. एससीओ शिखर सम्मेलन में दोनों देशों के नेता मिल रहे हैं. इसका फायदा दोनों देशों को होगा.”
उन्होंने कहा, “चीन के साथ 2020 से जारी सीमा विवाद फिलहाल शांतिपूर्ण है. एससीओ बैठक के बाद सीमा विवाद और टैरिफ की जो समस्या सामने आई है, उसका समाधान निकलेगा. एससीओ शिखर सम्मेलन में चीन, India और रूस के नेताओं की मुलाकात का बड़ा संदेश अमेरिका को जाएगा, जो टैरिफ की धमकी दे रहा है.”
अरुण कुमार वर्मा ने कहा, “India और चीन के बीच संबंध शुरुआत से ही बेहतर रहे हैं. 2020 के दौरान दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर तल्खी बढ़ी थी. लेकिन, पिछले 2-3 सालों में संबंधों में सुधार हुआ है. पहले India चीन का माल ज्यादा आयात करता था. अब चीन भी भारतीय सामान का आयात करता है. यह भविष्य में दोनों देशों के मजबूत व्यापारिक रिश्तों का संकेत है.”
शंघाई में रहने वाले करण ने से बात करते हुए कहा, “अंतरराष्ट्रीय राजनीति जिस तरह बदल रही है, उस परिप्रेक्ष्य में एससीओ बैठक बेहद अहम है. इस शिखर सम्मेलन से व्यापार क्षेत्र को मजबूती तो मिलेगी ही, इससे निकलने वाले Political संदेश अंतरराष्ट्रीय राजनीति के लिए अहम होंगे.”
भार्गव जोशी ने से कहा, “India और चीन विश्व की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाएं हैं. एससीओ शिखर सम्मेलन से दोनों देशों को फायदा होगा. यह बैठक युवाओं के लिए भी बेहद अहम है. इस शिखर सम्मेलन में भारत, चीन और रूस एक साथ आ रहे हैं. इसका सख्त संदेश अमेरिका को जाएगा.”
पिछले 17 साल से चीन में रह रहे संतोष पटेल ने कहा, “एससीओ पर पूरी दुनिया की नजर है. शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले देश अपनी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने की रणनीति पर काम करेंगे. भारत, चीन और रूस अगर एक साथ मिलकर काम करेंगे तो हमें किसी भी दूसरे देश की जरूरत नहीं पड़ेगी.”
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पीएके/एएस