हाईकोर्ट ने झारखंड के डीजीपी से पूछा, ‘धरना, प्रदर्शन, रैली के दौरान आम जनता की सुरक्षा का क्या प्लान है?’

रांची, 6 सितंबर . झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य के डीजीपी से पूछा है कि रांची में होने वाले धरना, प्रदर्शन, रैली के दौरान आम जनता की सुरक्षा के लिए पुलिस के पास क्या प्लान है? कोर्ट ने उन्हें इस संबंध में स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.

हाईकोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी 23 अगस्त को रांची में भारतीय जनता युवा मोर्चा की रैली के दौरान कांके रोड में सीएम आवास के पास काफी देर तक जाम में फंस गए थे. उनके पीएसओ ने ट्रैफिक एसपी समेत कई आला पुलिस अफसरों से कई बार मोबाइल पर संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन दूसरी तरफ से किसी तरह का रिस्पांस नहीं आया.

इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से संपर्क किया, तो उन्होंने डीजीपी से बात की. डीजीपी के निर्देश पर पुलिस ने जस्टिस की गाड़ी जाम से बाहर निकलवाई. इस मामले में कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए डीजीपी, रांची के एसएसपी और डीसी को तलब किया था.

कोर्ट ने शुक्रवार को मौखिक तौर पर कहा कि भीड़ का मूड कोई नहीं जानता है. इसलिए, किसी खास व्यक्ति की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की बजाय प्रशासन को आम लोगों की सुरक्षा पर भी ध्यान देना होगा. सभी की जान की कीमत है. आपको धरना-प्रदर्शन की तिथि की जानकारी होती है, वैसे में वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था कराई जा सकती है. धरना-प्रदर्शन आदि के दौरान प्रशासन एक खास जगह पर सिर्फ फोकस ना करें.

कोर्ट ने कहा कि गुड गवर्नेंस के तहत लॉ एंड ऑर्डर को मेंटेन करने की जरूरत है ताकि सोसाइटी सुरक्षित रहे. भीड़ को पुलिस का भय हो, यह प्रशासन को देखना जरूरी है. साथ ही जिस किसी खास जगह पर धरना-प्रदर्शन या कार्यक्रम हो रहे हैं, वहां पुलिस बल की पूरी तैनाती होनी चाहिए ताकि भीड़ को कोई मौका ना मिले.

कोर्ट ने मामले में डीजीपी को शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश देते हुए अगली सुनवाई की तारीख 20 सितंबर निर्धारित की है.

एसएनसी/एबीएम