गडग (कर्नाटक), 12 जनवरी . कर्नाटक के गडग जिले के मुलगुंड कस्बे में एक 88 वर्षीय मां और उसकी 64 वर्षीय बेसहारा बेटी की कहानी आपको जिंदगी में फिर से सोचने पर मजबूर कर देगी. बुजुर्ग मां-बेटी का इस दुनिया में कोई नहीं है. न कमाने वाला, न खिलाने वाला. दोनों महिलाओं को किसी सरकारी योजना का लाभ भी नहीं मिलता है. दोनों दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए दर-दर ठोकरें खाती हैं. लेकिन शासन, प्रशासन किसी को इन बेसहारा महिलाओं का दर्द दिखाई नहीं देता.
दोनों महिलाएं जैसे-तैसे जीवन-यापन कर रही हैं. गरीबी की वजह से उनकी देखभाल करने वाले उनके परिवार के एकमात्र सदस्य, उनके पोते ने भी घर छोड़ दिया.
कर्नाटक के गडग जिले के मुलगुंड कस्बे में रहने वाली 88 वर्षीय सुभानबी बयाली और उनकी 64 वर्षीय बेटी फातिमा दो सालों से सरकारी योजनाओं से वंचित हैं और उनका जीवन एक गंभीर संघर्ष बन चुका है.
इस परिवार को अन्नभाग्य योजना, गृहलक्ष्मी योजना, और सिलेंडर सुविधा का कोई लाभ नहीं मिल पाया है. सुभानबी और फातिमा ने रोते हुए कहा कि उन्हें खाने के लिए भी मुश्किलें आ रही हैं. दो वर्षों से यह परिवार अन्नभाग्य योजना से वंचित है, और गृहलक्ष्मी योजना का लाभ भी उन्हें नहीं मिला है. सिलेंडर सुविधा भी बंद हो गई है.
सुभानबी और फातिमा का जीवन और भी कठिन हो गया जब उनके पोते ने घर छोड़ दिया, जो घर की देखभाल करता था. अब ये दोनों महिलाएं अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिकारियों से बार-बार मदद की गुहार लगा रही हैं, लेकिन कोई असर नहीं हुआ.
फातिमा ने बताया, “करीब डेढ़ साल पहले मेरा बेटा गुजर गया. वह नौकरी करता था. अभी हम दो बुजुर्ग हैं. हम चुपचाप घर में बैठे रहते हैं. हमारी कोई मदद नहीं हुई. फिर हमने आसपास वालों को बुला कर बोला कि हमारे पास संसाधन नहीं है. हम भूख से मर जाएंगे. मेरे आसपास के लोगों ने राशन-पैसा आदि की मदद की. हमारा राशन, गैस, गृह लक्ष्मी योजना के पैसे बंद हो गए. हमें समझ नहीं आ रहा था कि हम क्या खाएं. मुझे कोई सरकारी मदद नहीं मिली. हम चाहते हैं कि हमारा राशन कार्ड हो. भाग्य लक्ष्मी योजना से हमें पैसे मिलें. इसके अलावा मुझे गैस सिलेंडर मिल जाए. इन तीन चीजों के न होने से मेरी जिंदगी रुक सी गई है.”
एक स्थानीय व्यक्ति हाजिरेशा ने बताया, “उनको सरकार की कोई मदद नहीं मिल रही है. सरकार उनकी कोई मदद नहीं कर रही है. सरकार को उनकी मदद करनी चाहिए. सरकार को गरीबों का हक उनको देना चाहिए. मां-बेटी की हालत बहुत खराब है. वह मजबूर हो गई हैं. हम लोग इन महिलाओं के लिए जिलाधिकारी व जिला सप्लाई अधिकारी सब से मिले. लेकिन, उनकी मदद नहीं हो पाई. दोनों महिलाएं बहुत गरीब हैं. मां 88 साल की है, जबकि बेटी 64 साल की है. इस उम्र में उन्हें बहुत परेशानी हो रही है.”
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पीएसएम/