रांची, 3 मार्च . झारखंड विधानसभा में सोमवार को पेश वित्तीय वर्ष 2025-26 के राज्य बजट को सीएम हेमंत सोरेन और सत्ता पक्ष के नेताओं ने संतुलित, दूरदर्शी और विकासोन्मुखी बताया है, जबकि विपक्ष ने इसे घिसा-पिटा और उबाऊ दस्तावेज करार दिया.
सीएम सोरेन ने विधानसभा परिसर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमारी सरकार किसी के ऊपर बोझ डाले बगैर बेहतरीन आर्थिक प्रबंधन कर रही है. बजट में आप देख सकते हैं कि हमारा कैपिटल एक्सपेंडिचर काफी बढ़ा है, सोशल सेक्टर में सरकार 60-62 हजार करोड़ रुपए खर्च कर रही है. यह सबको जोड़ने वाला बजट है. जो लोग छूटेंगे, उन्हें कैसे जोड़ा जाए, इस पर आने वाले दिनों में काम किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि झारखंड एक पिछड़ा राज्य होने के बावजूद अपनी वित्तीय व्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रहा है. एक खबर का हवाला देते हुए सीएम सोरेन ने कहा कि देश के स्तर पर हमारे राज्य ने बेहतरीन आर्थिक प्रदर्शन किया है.
पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि बजट इतना उबाऊ था कि वित्त मंत्री ने इसे पूरा पढ़ा ही नहीं. सदन में हम सुनने के लिए बैठे थे, लेकिन वित्त मंत्री मानो खुद ही किताब से खुद ही उब चुके थे और अंत में मोटी-मोटी आवाज में कविता पाठ करके उन्होंने भाषण समाप्त कर दिया. बजट में गरीबी और बेकारी- बेरोजगारी दूर करने की कोई दृष्टि नहीं दिखी.
भाजपा विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने बजट को दिशाहीन बताया है. उन्होंने कहा कि यह झारखंड प्रदेश के आदिवासियों और मूलवासियों के हित में नहीं है. जिस उद्देश्य से झारखंड राज्य का निर्माण किया गया, उसका कोई विजन इसमें दिखा ही नहीं. यह हर वर्ग को धोखा देने वाला बजट है.
मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि आने वाले एक वर्ष में इस बजट के आधार पर कई महत्वपूर्ण पड़ाव हासिल करेंगे. हमने बेहतर वित्तीय माहौल बनाने का प्रयास किया है. पिछले पांच साल में हमने सबसे कम लोन लिया है.
शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि गरीब मजदूर, छात्र-छात्राओं और यहां के लोगों के हितों का ध्यान बजट में रखा गया है. जदयू के विधायक सरयू राय ने कहा कि सरकार ने वास्तविक बजट पेश नहीं किया है. जानबूझकर आंकड़ों को बढ़ाया गया है, ताकि बजट का आकार बड़ा लगे. विश्लेषण करेंगे तो बजट में पैसा बहुत ज्यादा रख दिया जाता है, लेकिन वास्तविक खर्च उससे काफी कम होता है.
भाजपा विधायक नीरा यादव ने कहा कि 44 पेज के बजट में कुछ भी खास नहीं दिखा. केवल अपनी नाकामी छिपाने के लिए केंद्र पर आरोप-प्रत्यारोप किया गया है. पिछले बजट में इन्होंने 19 मॉडल डिग्री कॉलेज खोलने की बात की थी, लेकिन एक भी कॉलेज खुला क्या?
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एसएनसी/एबीएम