भारत के 16वें वित्त आयोग की हुई पहली बैठक

नई दिल्ली, 14 फरवरी . वित्त मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि 16वें वित्त आयोग ने अपने संदर्भ की शर्तों और अन्य मामलों पर चर्चा करने के लिए बुधवार को अपनी पहली बैठक की.

बयान में कहा गया है कि आयोग ने राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों, केंद्रीय मंत्रालयों और विशेषज्ञों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श की जरूरत को स्वीकार किया.

बयान में कहा गया है कि यह माना गया है कि यह विस्तृत विश्‍लेषणात्मक कार्य करेगा और इसमें प्रमुख अनुसंधान संगठनों, थिंक टैंक और राजकोषीय संघीय संबंधों के क्षेत्र में काम करने वाले अन्य संगठनों सहित सभी विशेषज्ञता को शामिल करने की जरूरत होगी.

केंद्र और राज्‍य सरकारों के बीच वित्तीय संबंधों और कर बंटवारे के फार्मूले को परिभाषित करने के लिए राष्ट्रपति द्वारा गठित आयोग केंद्र से राज्यों को करों के हस्तांतरण की मात्रा पर निर्णय लेगा. आयोग नई दिल्ली में जनपथ पर जवाहर व्यापार भवन में अपना कार्यालय स्थापित करेगा.

यह 31 अक्टूबर 2025 तक अपनी सिफारिशें उपलब्ध कराएगा, जिसमें 1 अप्रैल 2026 से शुरू होने वाली पांच साल की पुरस्कार अवधि शामिल होगी.

अर्थशास्त्री अरविंद पनगढ़िया की अध्यक्षता वाले वित्त आयोग को 2026-27 से शुरू होने वाले पांच वर्षों के लिए राज्यों को केंद्र के कर राजस्व के वितरण के लिए फॉर्मूला तैयार करने का काम सौंपा गया है. यह सुनिश्चित करने की भी अपेक्षा की जाती है कि राज्यों के पास राज्य वित्त आयोगों की सलाह के अनुसार स्थानीय निकायों के वित्तपोषण के लिए कुशल प्रणालियाँ और उपाय हों.

पूर्व व्यय सचिव और 15वें वित्त आयोग के सदस्य ए.एन. झा, व्यय विभाग के पूर्व विशेष सचिव एनी जॉर्ज मैथ्यू और अर्थ ग्लोबल के कार्यकारी निदेशक निरंजन राजाध्यक्ष को वित्त आयोग के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है, जबकि एसबीआई के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष अंशकालिक सदस्य हैं.

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