लता मंगेशकर से मिली संगीत की पहली बड़ी सौगात, जिसने बदल दी थी प्यारेलाल की किस्मत

Mumbai , 2 सितंबर . भारतीय फिल्म संगीत के इतिहास में कई नाम ऐसे हैं जिन्होंने अपनी धुनों और रचनाओं से लोगों के दिलों पर अलग छाप छोड़ी है. इनमें लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी का नाम सबसे ऊपर आता है. यह जोड़ी बॉलीवुड के सुनहरे दौर की पहचान थी, जिन्होंने न केवल फिल्मों को संगीत से सजाया बल्कि गीत में नया रंग भी भरा. प्यारेलाल का संगीत सफर बहुत ही दिलचस्प है, जिसमें एक खास मोड़ था जब उन्होंने पहली बार अपनी वायलिन की कला से देश की महान गायिका लता मंगेशकर का दिल जीत लिया था.

प्यारेलाल का जन्म 3 सितंबर 1940 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में हुआ था. उनका पूरा नाम प्यारेलाल रामप्रसाद शर्मा है. उनके पिता एक ट्रम्पेट बजाने वाले संगीतकार थे. वे चाहते थे कि प्यारेलाल भी संगीत की दुनिया में कदम रखें. उन्होंने गुरु एंथनी गोंजाल्विस से प्यारेलाल को वायलिन बजाने की शिक्षा देने के लिए विनती की, जो गोवा के जाने-माने संगीतकार थे. प्यारेलाल आठ साल की उम्र से रोजाना आठ से बारह घंटे तक अभ्यास करते रहे.

हालांकि पढ़ाई के मामले में उनकी जिंदगी थोड़ी कठिन रही. प्यारेलाल ने स्कूल में सातवीं कक्षा तक पढ़ाई की, लेकिन फीस न देने के कारण उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ा, जिसके बाद उन्होंने पूरा ध्यान वायलिन की बारिकियां सीखने में लगा दिया. उन्होंने Mumbai में ‘रंजीत स्टूडियो’ के ऑर्केस्ट्रा में नौकरी की. यहां उनकी मेहनत रंग लाई और धीरे-धीरे वह बॉलीवुड संगीत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए.

एक खास मौका आया जब उनके पिता उन्हें लता मंगेशकर के घर ले गए. उस समय लता बॉलीवुड की सबसे बड़ी गायिका थीं. प्यारेलाल ने वहां वायलिन बजाना शुरू किया. परफॉर्मेंस देख लता इतनी खुश हुईं कि उन्होंने प्यारेलाल को 500 रुपए इनाम में दिए. यह रकम उस समय के लिए बहुत बड़ी थी. इस सम्मान ने प्यारेलाल के मनोबल को बढ़ाया और संगीत की ओर उनका रुझान और भी मजबूत हो गया.

संगीत में लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी काफी मशहूर है. प्यारेलाल की लक्ष्मीकांत से मुलाकात महज 10 साल की उम्र में हो गई थी. उस समय लता मंगेशकर परिवार द्वारा चलाई जा रही बच्चों की अकादमी, सुरील कला केंद्र, में बच्चे संगीत सीखने आया करते थे. यहां पर दोनों अच्छे दोस्त बन गए. प्यारेलाल ने लक्ष्मीकांत के साथ मिलकर पहली बार 1963 में आई फिल्म ‘पारसमणि’ के लिए संगीत दिया, जो लोगों के दिलों पर छा गया. लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी जैसे महान गायकों ने भी उनके साथ काम किया और कई सुपरहिट गाने दिए.

लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी ने बॉलीवुड में लगभग 35 वर्षों तक संगीत की दुनिया पर राज किया. उन्होंने ‘अमर अकबर एंथनी’, ‘खलनायक’, ‘तेजाब’, ‘मिस्टर इंडिया’, ‘सौदागर’, ‘कुली’, ‘कर्ज’, ‘सत्यम शिवम सुंदरम’, ‘दोस्ती’, और ‘सरगम’ जैसी 500 से ज्यादा फिल्मों के लिए संगीत दिया और करीब 3000 से ज्यादा गाने बनाए. इस जोड़ी को सात बार फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया.

लक्ष्मीकांत की मृत्यु के बाद प्यारेलाल ने संगीत की दुनिया से लगभग दूरी बना ली, लेकिन वे हमेशा ‘लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल’ के नाम को बनाए रखने पर जोर देते रहे. उन्होंने कई अवसरों पर कहा कि वे किसी भी काम को बिना अपने साथी के सम्मान के साथ नहीं करना चाहते. 2013 में उन्होंने ‘आवाज दिल से’ नामक एक एल्बम भी बनाया, जिसमें उन्होंने अपने दिल की आवाज को संगीत के जरिए व्यक्त किया.

पीके/एएस