पतंगबाजी के साथ रोलर-कोस्टर ड्रामे का मिश्रण है फिल्‍म ‘गबरू गैंग’

मुंबई, 25 अप्रैल . सिनेमा और खेल का जुनून हर भारतीय की रगों में बसता है. आप कल्पना कर सकते हैं कि अगर फिल्म और खेल का अद्भुत मिश्रण पेश किया जाए तो यह दर्शकों के लिए कितना मनोरंजक होगा?

हिंदी सिनेमा जगत/बॉलीवुड में खेल पर केंद्रित कई फिल्में बनी हैं. खासकर क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी, बॉक्सिंग, बैडमिंटन और रेसिंग पर आधारित फिल्मों को दर्शकों का भरपूर प्यार और समर्थन मिला है.

अब एक नई हिंदी फिल्म ‘गबरू गैंग’ भी इस कतार में शामिल हो गई है. यह फिल्‍म पतंगबाजी पर आधारित है. पतंगबाजी के विषय पर बनी यह दुनिया की पहली फिल्म है. फिल्म की कहानी पंजाब की पृष्ठभूमि पर आधारित है.

‘मंडली’, ‘पटाखा’, ‘वीरे की वेडिंग’ और ‘सुल्तान’ जैसी फिल्मों में अपने अभिनय के लिए मशहूर अभिषेक दुहान ने इस फिल्म में मुख्य भूमिका बखूबी निभाई है. वहीं, अमर मोहिले का बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म के दृश्यों को एक नई ऊर्जा प्रदान करता है.

जहां तक फिल्म की कहानी की बात है तो यह काफी दिलचस्प है. आठ साल का लड़का राजबीर सलूजा अपने दो दोस्तों अरशद और उदय के साथ प्रतिष्ठित पतंग प्रतियोगिता हाई-फ्लाई 1999 में प्रथम पुरस्कार जीतता है और 2011 तक पंजाब में नंबर वन बन जाता है. सर्वश्रेष्ठ टीम ‘गबरू गैंग’ जल्द ही हर किसी की पसंदीदा बन जाती है.

लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था क्योंकि 2011 में राजबीर फाइनल में दिल्ली शहजादे टीम के हैरी से हार गया क्योंकि अंतिम दौर में उसका ध्यान खेल से हटकर एक लड़की पर भटक गया था. उदय के साथ लड़ाई के बाद राजबीर ने गेम छोड़ दिया और ‘गबरू गैंग’ को खत्म कर दिया.

हालांकि नियति राजबीर को फिर से पतंग उड़ाने के लिए मजबूर करती है जो कहानी का महत्वपूर्ण मोड़ है. हाई-फ्लाई 2019 अब एक बड़ा ब्रांड बन गया है और प्रतियोगिता राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गई है जहां 29 राज्यों की 29 टीमें भाग लेंगी. ‘गबरू गैंग’ को एकजुट होकर लंबी लड़ाई लड़नी होगी क्योंकि हाई-फ्लाई 2019 चैंपियनशिप में पंजाब का प्रतिनिधित्व करने के लिए उन्हें पहले सभी स्थानीय टीमों को हराना होगा और फिर फाइनल जीतना होगा.

अब राजबीर के सामने चुनौती उस हैरी को हराने की है जिसने 2011 में उन्हें हराया था. इस स्पोर्ट्स ड्रामा में आगे क्या होता है यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी. फिल्म का क्लाइमेक्स दर्शकों को चौंका देता है.

फिल्म का सबसे अच्छा हिस्सा इसकी दिलचस्प कहानी में ड्रामा के साथ-साथ आने वाले ट्विस्ट और टर्न भी हैं. फिल्‍म का शानदार संगीत, अमर मोहिले का पावरफुल बैकग्राउंड स्कोर, कलाकारों का स्वाभाविक अभिनय और संवाद दर्शकों को उनकी सीटों से बांधे रखेगा.

आरती पुरी ने बुलबुल का किरदार बहुत ही सहजता से निभाया है. उन्होंने फिल्म के दृश्यों की जरूरत के मुताबिक नाटकीयता/अपने अभिनय को बरकरार रखा है. सच कहें तो ‘गबरू गैंग’ एक जादुई सिनेमाई अनुभव है जहां खेल भावना के साथ-साथ कई अन्य भावनाएं भी जागृत हो जाती हैं.

फिल्म में राजबीर का मुख्य किरदार अभिषेक दुहन ने बखूबी निभाया है. उन्होंने एक खिलाड़ी की भावनाओं को बखूबी दर्शाया है. बाकी कलाकारों ने भी पतंग उड़ाने के खेल को सही तरीके से पेश किया है. हर फ्रेम में डायरेक्टर समीर खान की मेहनत साफ नजर आ रही है.

बतौर निर्देशक समीर खान ने फिल्म की कहानी के साथ पूरा न्याय किया है. इसमें खेल और भावनाओं के बीच संतुलन बनाए रखा गया है. फिल्म शुरू होने के बाद काफी देर तक कहानी के मुताबिक कोई खेल दृश्य देखने को नहीं मिलता लेकिन बाद में निर्देशक फिल्म के अंत तक खेल और इमोशनल ड्रामा के बीच काफी अच्छे से संतुलन बनाए रखते हैं.

स्पोर्ट्स ड्रामा पसंद करने वालों के लिए ‘गबरू गैंग’ किसी तोहफे से कम नहीं है. यह फिल्म हर आयु वर्ग का मनोरंजन कराती है.

हिंदी सिनेमा में ऐसी और फिल्में बनाने की जरूरत है. पतंगबाजी को कभी भी खेल श्रेणी में शामिल नहीं किया गया है, जबकि यह वास्तव में बहुत दिलचस्प, रोमांचक और प्रेरणादायक है.

फिल्म: गबरू गैंग

अवधि: 123 मिनट

निर्देशक: समीर खान

कलाकार: अभिषेक दुहान, सृष्टि रोडे, अवतार गिल, आरती पुरी, अभिलाष कुमार, मुकेश भट्ट, कंवलप्रीत सिंह, ब्रजेश तिवारी

निर्माता: अशोक गोयनका, आरती पुरी, समीर खान और विवेक सिन्हा

रेटिंग: ***1/2

एमकेएस/एकेजे