नई दिल्ली, 17 अक्टूबर . जेलों में होने वाली ज्यादतियों की याद दिलाते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग(एनएचआरसी) ने न्यायिक हिरासत में मौत का शिकार होने वाले 89 लोगों के परिजनों को 4.5 करोड़ रुपये से अधिक की आर्थिक राहत देने की सिफारिश की है. इनके मामलों का निपटारा अप्रैल-सितंबर 2024 के बीच अधिकार आयोग द्वारा किया गया था.
गृह मंत्रालय के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, विचाराधीन कैदियों और सजा काट रहे जेल कैदियों की मौत के मामले मानवाधिकार आयोग के पास पहुंचने वाले मामलों में सबसे बड़ा हिस्सा हैं. चार अक्टूबर तक ऐसे 2,109 मामले निपटान के लिए लंबित थे.
चालू वित्त वर्ष में एनएचआरसी द्वारा न्यायिक हिरासत में मौत के सबसे अधिक 32 मामले मई में निपटाए गए, जबकि अप्रैल में दूसरे सबसे अधिक 25 ऐसे मामलों का निपटारा किया गया.
पिछले वर्षों के अलावा, चालू वित्त वर्ष में एनएचआरसी द्वारा न्यायिक हिरासत में मौत के कुल 186 मामले दर्ज किए गए. अप्रैल से अब तक, मानवाधिकार आयोग ने 141 मामलों का निपटारा किया है, जिनमें से 89 मामलों में जेल अधिकारियों और राज्य सरकारों को चूक का दोषी पाया गया.
पुलिस हिरासत में मृत्यु और पुलिस मुठभेड़ में मृत्यु, एनएचआरसी के पास लंबित शिकायतों की अगली दो श्रेणियां हैं, जिनमें क्रमशः 265 और 201 मामले निपटान के लिए लंबित हैं.
न्यायिक हिरासत में मृत्यु से संबंधित शिकायतों के लंबित रहने और नियमित प्रवाह का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि पिछले एक दशक में एनएचआरसी को प्रतिवर्ष प्राप्त होने वाली सूचनाओं की संख्या औसतन 1,500 से अधिक रही है.
दिलचस्प बात यह है कि बलात्कार/अपहरण, बिजली का झटका या पुलिस गोलीबारी में मौत सहित मानवाधिकार उल्लंघन के विभिन्न मामलों में एनएचआरसी द्वारा आदेशित 7.36 करोड़ रुपये की आर्थिक राहत में से, चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में, अकेले न्यायिक हिरासत के पीड़ितों को 4.5 करोड़ रुपये दिए गए.
न्यायिक हिरासत में होने वाली मौतों को रोकने के लिए, एनएचआरसी ने यातना और हिरासत में हिंसा के खिलाफ सख्त कानूनों के कार्यान्वयन की सिफारिश की है, ताकि अपराधियों के लिए प्रभावी प्रवर्तन और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके.
पीड़ितों के लिए आर्थिक राहत की सिफारिशों के अलावा, आयोग न्यायिक हिरासत में हुई मौतों के मामलों में दोषी लोक सेवकों के खिलाफ अनुशासनात्मक या विभागीय कार्रवाई का भी सुझाव देता है. हिरासत में हुई मौतों पर एनएचआरसी के दिशा-निर्देशों के अनुसार, जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षकों को हिरासत में हुई मौतों की किसी भी घटना की सूचना घटना के 24 घंटे के भीतर या घटना के बारे में पता चलने पर एनएचआरसी को देनी चाहिए.
मृतक के परिवार को जल्द राहत देने के लिए, एनएचआरसी ने पीड़ित मुआवजा योजनाओं की स्थापना की भी सिफारिश की है, जो एफआईआर की आवश्यकता के बिना सुलभ हों, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हिरासत में हुई हिंसा के पीड़ितों को समय पर कानूनी सहायता और नागरिक समाज संगठनों से समर्थन मिले.
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आरके/