फरवरी में ब्याज दरों में कटौती से अर्थव्यवस्था को मिलेगी रफ्तार: इंडस्ट्री

नई दिल्ली, 30 जनवरी . भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं और फरवरी की मौद्रिक नीति समितिो (एमपीसी) की बैठक में रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती करना उचित है. यह जानकारी गुरुवार को इंडस्ट्री के सदस्यों द्वारा दी गई.

एंजेल वन में आयनिक वेल्थ की मुख्य मैक्रो और ग्लोबल रणनीतिकार, अंकिता पाठक ने कहा कि केंद्रीय बैंक द्वारा फरवरी में ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती करना उचित फैसला रहेगा. आरबीआई पहले ही बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने के उपाय लागू कर रहा है.

ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने कहा कि आने वाली आरबीआई की मौद्रिक नीति कमेटी की बैठक में सकारात्मक फैसले देखने को मिल सकते हैं और इससे विकास को बढ़ावा मिलेगा.

आरबीआई की मौद्रिक नीति कमेटी (एमपीसी) की बैठक 5 से 7 फरवरी के बीच होगी और इसके फैसलों का ऐलान 7 फरवरी को किया जाएगा.

जेफरीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए उठाए गए कदम काफी सकारात्मक हैं. हाल ही में आरबीआई द्वारा की गई घोषणा से आने वाले हफ्तों में (फरवरी के अंत तक) बैंकिंग सिस्टम में 1.5 लाख करोड़ की लिक्विडिटी आएगी.

इससे पहले आरबीआई ने दिसंबर की एमपीसी में कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) को 0.5 प्रतिशत घटाने का फैसला किया था, जिससे बैंकों के पास अधिक धन उपलब्ध हो. हालांकि, इस दौरान रेपो रेट को स्थिर रखा गया था.

अमेरिकी फेड रिजर्व की ओर से जनवरी में ब्याज दरों को 4.25 प्रतिशत से लेकर 4.50 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है. फेड के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियों और उनके प्रभाव पर अनिश्चितता के कारण अमेरिकी केंद्रीय बैंक निकट भविष्य में ब्याज दरों को कम करने की “जल्दबाजी” में नहीं है.

एक्सिस सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख अक्षय चिंचालकर ने कहा, “एक मजबूत श्रम बाजार और लगातार बढ़ती अर्थव्यवस्था ने फेड को आने वाले आंकड़ों का आकलन करने के लिए पर्याप्त समय दिया है. फेड का मानना ​​है कि दरों में कटौती के अगले दौर के लिए महंगाई के दबाव में महत्वपूर्ण गिरावट देखी जानी चाहिए.”

एबीएस/