सामाजिक दायित्वों के प्रति सजग डॉक्टरों ने राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई : राष्ट्रपति मुर्मू

New Delhi, 30 जुलाई . President द्रौपदी मुर्मू Wednesday को एम्स, कल्याणी के पहले दीक्षांत समारोह में शामिल हुई. इस अवसर पर President मुर्मू ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि अपने सामाजिक दायित्वों के प्रति सजग डॉक्टरों ने राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. स्वतंत्रता के समय औसत जीवन प्रत्याशा केवल 32 वर्ष थी, जो अब दोगुनी से भी अधिक होकर लगभग 70 वर्ष हो गई है.

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में टीकाकरण के क्षेत्र में असाधारण प्रगति हुई है. कई बीमारियों का उन्मूलन किया गया है. उदाहरण के लिए, पिछले वर्ष India को ट्रेकोमा-मुक्त घोषित किया गया. लेकिन अभी भी अनेक चुनौतियां मौजूद हैं, जिनसे निपटने में नौजवान डॉक्टर निर्णायक भूमिका निभाएंगे. मधुमेह, हृदय रोग और मोटापे जैसी स्वास्थ्य समस्याओं को नियंत्रित करने में डॉक्टरों की भूमिका Government और अन्य हितधारकों से भी बड़ी है.

उपाधि प्राप्‍त करने वाले विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए President मुर्मू ने कहा कि एम्स, कल्याणी के पहले बैच के विद्यार्थी होने के नाते, वे इस संस्थान के सबसे वरिष्ठ पूर्व विद्यार्थी हैं. इस संस्थान की पहचान बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी. इस प्रकार, वे एम्स, कल्याणी के भविष्य-निर्माता भी हैं.

चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में प्रतिदिन हो रहे नए बदलावों को रेखांकित करते हुए उन्होंने विद्यार्थियों को आजीवन सीखने वाला बनने तथा नए अनुसंधान और चिकित्सा पद्धतियों के बारे में अपडेट रहने की सलाह दी.

President ने कहा कि नियोजित कल्याणी शहर की आधारशिला डॉ. बिधान चंद्र रॉय ने रखी थी. Chief Minister के रूप में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान भी, डॉ. बीसी रॉय रोगियों की निःशुल्क सेवा करते रहे.

उन्होंने एम्स कल्याणी के विद्यार्थियों, शिक्षकों और प्रशासकों से कहा कि वे एम्स कल्याणी को राष्ट्रीय गौरव का संस्थान बनाने का संकल्प लें.

President ने उन्हें गरीबों और वंचितों को निःशुल्क चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के डॉ. बीसी रॉय के उदाहरण का अनुसरण करने की भी सलाह दी.

President ने डॉक्टरों से कहा कि वे ऐसी जीवनशैली अपनाएं, जो जन साधारण के लिए मिसाल बन सके. आनुवंशिक लक्षणों की बात अलग है, लेकिन उचित आहार और जीवनशैली की मदद से स्वास्थ्य से संबंधित ज़्यादातर समस्याओं की रोकथाम की जा सकती है या काफी हद तक उनका समाधान किया जा सकता है.

उन्‍होंने कहा कि इलाज के लिए आने वाले लोगों को दवाओं के अलावा, जीवनशैली से जुड़ी सलाह भी दी जानी चाहिए. जब डॉक्टर कोई सलाह देता है, तो उसका लोगों पर ज्यादा असर होता है. जब डॉक्टर खुद को आदर्श के रूप में प्रस्तुत करता है, तो उसका असर और भी ज़्यादा होता है.

एसके/जीकेटी