नई दिल्ली, 21 अक्टूबर . संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने उम्मीद जताई कि जब कभी भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में नए सदस्यों को जोड़ने की प्रक्रिया शुरू होगी तो पहला मौका भारत को मिलेगा. बता दें पिछले कुछ समय में दुनिया के कई वैश्विक नेताओं ने भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाए जाने का समर्थन किया है.
तिरुमूर्ति ने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र और खासतौर पर सुरक्षा परिषद, 1945 के दौर में अटका है. जब यूएन की स्थापना हुई तो इसके 51 सदस्य थे और आज 193 मेंबर हैं.’
उन्होंने कहा, ‘हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनोमी है और तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है. इस बात को मान्यता मिल रही है कि यूएनएससी में सुधार होना चाहिए. मैं सिर्फ इतना ही कह सकता हूं जब भी यूएनएससी में नए सदस्यों को जोड़ने की प्रक्रिया शुरू होगी तो भारत पहला देश होगा जिसे सदस्यता मिलेगी क्योंकि दुनिया भारत की अहमियत को समझ रही है.’
इससे पहले सोमवार को ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन सोमवार को उन वैश्विक नेताओं में शामिल हो गए जो भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थायी सीट दिलाने का समर्थन कर रहे हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया को कई बड़ी चुनौतियों पर भारत का नजरिया सुनने की जरूरत है.
कैमरन ने सोमवार को नई दिल्ली में आयोजित एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में कहा, “हमें एक रीसेट की जरूरत है. दूसरे विश्व युद्ध के बाद संस्थाओं की स्थापना से दुनिया में बड़ा बदलाव आया है. यह रीसेट का समय है, आप भारत का उदय देख रहे हैं, जो इस सदी में कभी न कभी दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा.”
कैमरन ने कहा, “हमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की जरूरत है. मैंने यह तर्क 2005 में ही दे दिया था, जब मैं कंजर्वेटिव पार्टी का नेता बना था और भारत यूरोप के बाहर पहला देश था, जिसका मैंने दौरा किया था. इसी तरह जब मैं प्रधानमंत्री बना, तो 2010 में यूरोप के बाहर पहला देश, भारत था जहां मैं गया…जाहिर है, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट ऐसी चीज है, जो इस बदली हुई दुनिया में भारत का अधिकार है.”
पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा की उच्च स्तरीय बैठक में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने भी कुछ ऐसी ही बात कही थी. उन्होंने पुनर्गठित सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य के रूप में भारत को शामिल करने, साथ ही अफ्रीकी देशों, ब्राजील, जापान और जर्मनी को स्थायी प्रतिनिधित्व देने और निर्वाचित सदस्यों के लिए अधिक सीटों का समर्थन किया था.
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